-वीआईपी के तीनों विधायकों ने बीजेपी को दिया समर्थन
पटना। बिहार में एनडीए के घटक वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी की राजनीतिक भविष्य खतरे में पद गया है। वीआईपी के तीनों विधायकों राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने पार्टी छोड़ दी है। तीनों विधायकों ने बीजेपी को समर्थन भी दे दिया है। तीनों विधायक बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से मिले और अपने फैसले से अवगत कराया। इस दौरान भाजपा के दोनों डिप्टी सीएम और भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल भी मौजूद रहे।
यूपी विधानसभा चुनाव के पहले से ही मुकेश सहनी और भाजपा में तकरार बढ़ रही थी। लगातार यह कहा जा रहा था कि मुकेश सहनी के साथ उनके तीनों विधायक नहीं हैं। उनके फैसलों का वीआईपी पार्टी में ही विरोध रहा था। बिहार में एनडीए की सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का अस्तित्व विधानसभा में पूरी तरह खत्म हो गया। वीआईपी के तीनों विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। तीन विधायकों के शामिल होते ही बिहार विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। बिहार विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 74 से बढ़कर 77 हो गई है। इससे पहले राजद 75 विधायकों के साथ सबड़े बड़ी पार्टी थी। वीआईपी के चार विधायक थे, जिनमें मुसाफिर पासवान की मृत्यु होने के बाद तीन ही बचे थे।
इससे पहले मुकेश सहनी को बड़ा झटका देते हुए वीआईपी के तीनों विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर अपने दल का विलय भाजपा में करने का पत्र सौंपा। विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ देर बाद ही विलय को मंजूरी भी दे दी।
पटना के भाजपा कार्यालय में तीनों विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह घर वापसी है। उन्होंने कहा कि यह लोग भाजपा के टिकट से लड़ने जा रहे थे, एक समझौते के तहत वीआईपी के टिकट पर लड़े थे। जायसवाल ने कहा कि पिछले दिनों जो भी घटनाक्रम हुए उससे तीनों विधायक सहमत नहीं थे। यह लोग चाहते थे कि इनकी घर वापसी हो जाए। इसी के बाद इनके भाजपा में शामिल करने पर विचार किया गया।
तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि वीआईपी की विधायक दल की नेता स्वर्णा सिंह ने अपने दल का भाजपा में विलय कर लिया है। उनके विलय को विधानसभा अध्यक्ष ने भी मंजूरी दे दी है। रेणु देवी ने कहा कि वीआईपी में हमारे ही लोग थे। उन लोगों को हमने ही वीआईपी के टिकट पर मैदान में उतारा था।
होना है उपचुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में शामिल वीआईपी के चार उम्मीदवार विजयी हुए थे। इनमें अलीनगर से मिश्रीलाल यादव, गौराबौराम से स्वर्णा सिंह, साहेबगंज से राजू सिंह और बोचहां से मुसाफिर पासवान जीते थे। मुसाफिर पासवान की मृत्यु के बाद बोचहां में 12 अप्रैल को उपचुनाव है। इस उपचुनाव को लेकर ही वीआईपी और बीजेपी आमने-सामने थी।
बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने बोचहां से अपना उम्मीदवार दिया। मुकेश सहनी ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए पूर्व मंत्री रमई राम की पुत्री गीता कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया। इसके बाद एक दिन पहले ही मंगलवार को उन्होंने बयान दिया कि उन्हें एनडीए से बाहर कर दिया गया है। इसके अगले ही दिन आज बुधवार को उनकी पार्टी के सभी विधायकों ने भाजपा को समर्थन दे दिया।