–महिलाओं के साथ पुरुषों के एक बड़े समूह ने लड़कियों के साथ दरिंदगी को दिया था अंजाम
–महिलाओं ने यौन उत्पीड़न करने के लिए पुरुषों को प्रोत्साहित किया।
इंफाल, एजेंसी। मणिपुर के लोगों को हिंसा और दुष्कर्म से भरा जनजीवन जीते 3 महीने बीत चुके हैं। मानव की मानव के प्रति घृणा और दरिंदगी की घटनाओं की दबी सूचनाएं बाहर निकल रही हैं। मानवता को शर्मसार करने वाली दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की सूचना आ चुकी है। लेकिन उसी दिन दो और युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में भी 16 मई को पीड़िता की मां की ओर से कांगपोपकी जिले के सैकुल थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस FIR में यौन हिंसा का कोई जिक्र नहीं किया गया था।
‘हमलावरों की भीड़ में 200 लोग शामिल‘
एक पीड़िता की मां ने बताया सैकुल थाना घटनास्थल से 35 किलोमीटर दूर है। पीड़िता की मां ने आरोप लगाया है कि, 4 मई को बहुसंख्यक समुदाय की भीड़ ने उनकी बेटी और उसकी सहेली के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर नृशंस हत्या कर दी। हमलावरों की भीड़ में 100 से 200 लोग शामिल थे। दोनों युवतियां पूर्वी इंफाल जिले के कोनुंग ममांग क्षेत्र में किराए के मकान में रहकर कार की सफाई करने वाले गैराज में काम करती थीं। अभी तक परिवार को उनके शव नहीं सौंपे गए हैं। माना जा रहा है कि इनके शव इंफाल घाटी स्थित एक अस्पताल के शवगृह में रखे हुए हैं। जातीय हिंसा के कारण युवतियों के स्वजन वहां नहीं जा पा रहे हैं।
महिलाओं के साथ पुरुषों के एक बड़े समूह ने किया था हमला
कथित तौर पर इन दो लड़कियों पर कुछ महिलाओं के साथ पुरुषों के एक बड़े समूह द्वारा हमला किया गया था। इस घटना को देखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि भीड़ में शामिल महिलाओं ने ही पुरुषों को दोनों लड़कियों को कमरे में खींच कर ले जाने के लिए कहा था। महिलाओं ने ही उनका यौन उत्पीड़न करने के लिए पुरुषों को प्रोत्साहित किया। दुष्कर्मियों ने लाइटें बंद कर दी और दोनों लड़कियों को चिल्लाने से रोकने के लिए कपड़ों से उनका मुंह बांध दिए। लगभग डेढ़ घंटे तक इस भयावह दरिंदगी को सहने के बाद, पीड़ितों को बाहर खींच लिया गया और आसपास के एक चीरघर के बगल में फेंक दिया गया। उनके कपड़े फटे हुए थे, उनके बाल कटे हुए थे और उनका शरीर खून से लथपथ था।
यौन उत्पीड़न से जुड़े कलंक के डर के कारण शुरू में पीड़ितों की पहचान रिपोर्ट नहीं की गई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित लड़कियों में से एक की मां ने 16 मई को सैकुल पुलिस स्टेशन में जीरो FIR दर्ज करने का साहस जुटाया।
क्या होती है जीरो FIR ?
एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जीरो FIR दर्ज होने के कारण पोरोंपैट पुलिस स्टेशन द्वारा जांच के दौरान अन्य धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। जब किसी पुलिस स्टेशन को उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर हुए किसी अपराध के संबंध में शिकायत मिलती है, तो वह जीरो एफआईआर दर्ज करता है।
किन धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला?
सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए आरोपों में आईपीसी की धाराओं-153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 397 और 398 (डकैती या घातक हथियार से लैस होकर डकैती का प्रयास), 427 (शरारत), 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा हमला), 448 (अतिक्रमण), 34 (सामान्य इरादा) और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1 सी) (प्रतिबंधित हथियार रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
चार मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना में पुलिस ने शनिवार को दो और आरोपितों को गिरफ्तार किया। इन दोनों में एक आरोपित 19 वर्ष का किशोर और दूसरा नाबालिग है। इसके साथ ही मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों की संख्या 6 हो गई है।
इंसानियत हुई शर्मसार
जघन्य घटना का वीडियो प्रसारित होने के बाद पुलिस ने मामले में धरपकड़ शुरू की है। दो महिलाओं के साथ दरिंदगी की निंदा करते हुए शनिवार को चूड़चंदपुर में रैलियां निकाली गईं और कुकी क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की गई।
यूनाइटेड नगा काउंसिल, आल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर (ANSAM) और नगा पीपुल्स फ्रंट सहित मणिपुर के कई नगा संगठनों ने दो महिलाओं के खिलाफ किए गए अमानवीय कृत्य की कड़ी निंदा की है। यूनाइटेड नगा काउंसिल ने मणिपुर सरकार से तुरंत न्याय देने के लिए मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाने को कहा।
संगठन का बयान
सरकार को ऐसे अमानवीय अपराध में शामिल सभी लोगों के खिलाफ तत्काल मामला दर्ज करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च‘ निकाला गया था। इस दौरान जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई अन्य घायल हुए हैं।
कुकी मूलत: म्यांमार से घुसपैठ कर मणिपुर में आए हुए हैं और मुख्य रूप से पहाडि़यों पर रहते हैं। राज्य में आदिवासियों, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, की आबादी 40 प्रतिशत है। मैतेई इंफाल घाटी में रहते हैं और इनकी आबादी 53 प्रतिशत है। बहुसंख्यक मैतेई हिंदू हैं।