आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने वालों को सजा मिलना जरुरी – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार ने एक्टर और तमिलनाडु के पूर्व विधायक एस वे शेखरराव के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने को लेकर मुकदमा खारिज करने से इनकार कर दिया। इस पोस्ट में महिला पत्रकारों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई थी।

DrashtaNews

-किसी को सोशल मीडिया का उपयोग करते समय बहुत सावधान रहना होगा। सोशल मीडिया का उपयोग करना आवश्यक नहीं है, लेकिन अगर कोई इसका उपयोग कर रहा है तो उसे परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर अश्लील और अपमानजनक पोस्ट करने को लेकर महत्वपूर्ण बात कही है। एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी तरह की अपमानजक और अश्लील पोस्ट करने पर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। साथ ही इस तरह के मामलों में सिर्फ माफी मांग लेना ही आपराधिक कार्रवाई को माफ करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार ने एक्टर और तमिलनाडु के पूर्व विधायक एस वे शेखरराव के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने को लेकर मुकदमा खारिज करने से इनकार कर दिया। इस पोस्ट में महिला पत्रकारों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता और तमिलनाडु के पूर्व विधायक एस वे शेखर की याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, पूर्व विधायक की ओर से याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ दर्ज मामले को निरस्त करने की मांग की गई थी।इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा की सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में सावधान रहना चाहिए।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश के खिलाफ शेखर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दरअसल, कोर्ट ने उनके द्वारा साझा की गई पोस्ट से संबंधित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे पोस्ट पर आरोपी को सजा मिलनी जरूरी है। ऐसे मामलों में सिर्फ माफी मांगने से काम नहीं चलेगा। ऐसे लोग आपराधिक कार्यवाही से नहीं बच सकते।

वकील बोले-अनजाने में शेयर हुई पोस्ट

अदालत ने 72 वर्षीय अभिनेता की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। एक फेसबुक पर पोस्ट शेयर करने के बाद शेखर के खिलाफ तमिलनाडु में कई मामले दर्ज किए गए थे। शेखर के वकील ने कहा कि अभिनेता ने गलती का एहसास होने के बाद पोस्ट हटा दी थी। साथ ही बिना शर्त माफी भी मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि अभिनेता ने अनजाने में किसी और की पोस्ट को बिना पढ़े साझा कर दिया क्योंकि उस समय उनकी दृष्टि धुंधली थी।

अभिनेता और तमिलनाडु के पूर्व विधायक एस वे शेखर के वकील ने कहा कि पोस्ट कुछ ही समय में वायरल हो गई। उनके वकील ने कहा कि मैं एक सम्मानित परिवार से आता हूं। मेरा परिवार महिला पत्रकारों का सम्मान करता है। मैंने उस समय अपनी आंखों में दवा ले ली थी। इसके कारण मैं अपनी तरफ से शेयर की गई पोस्ट के कंटेंट को नहीं पढ़ सका।

हालांकि, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अभिनेता ने सामग्री को पढ़े बिना इतनी लापरवाही से पोस्ट कैसे साझा किया। कोर्ट ने उनके खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। पीठ ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, “अगर कोई सोशल मीडिया का उपयोग करता है, तो उसे इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर किसी को सोशल मीडिया का उपयोग करना आवश्यक लगता है, तो उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

मद्रास हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

अपने आदेश में, एचसी ने कहा था कि शेखर ने 19 अप्रैल, 2018 को “अपने फेसबुक अकाउंट पर एक अपमानजनक और अश्लील टिप्पणी पोस्ट की थी, जिसके बाद चेन्नई पुलिस आयुक्त के समक्ष एक शिकायत दर्ज की गई।” कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में शेखर के खिलाफ अन्य निजी शिकायतें भी दर्ज की गई थीं।

शेखर के वकील ने कहा था कि पोस्ट में शामिल अपमानजनक टिप्पणियों के बारे में पता चलने के बाद, शेखर ने उसी दिन कुछ घंटों के भीतर पोस्ट को हटा दिया और इसके बाद 20 अप्रैल, 2018 को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बिना शर्त संबंधित महिला पत्रकार और मीडिया से माफी मांगी थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बताया कि वकील ने कहा था कि मामले के लंबित रहने के दौरान, याचिकाकर्ता को माफी मांगते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, जो उसने किया।

मद्रास हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि सोशल मीडिया पर भेजा या फॉरवर्ड किया गया संदेश उस तीर की तरह होता है जिसे पहले ही धनुष से छूट चुका होता है। जब तक वह संदेश भेजने वाले के पास रहता है, तब तक वह उसके नियंत्रण में रहता है। एक बार भेजे जाने के बाद… संदेश भेजने वाले को उस तीर (संदेश) से हुई क्षति के परिणामों का स्वामित्व लेना होगा। एक बार क्षति हो जाने के बाद माफीनामा जारी करके उससे उबरना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

महिला पत्रकारों की छवि खराब करने वाला पोस्ट

हाई कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता के फेसबुक अकाउंट से 19 अप्रैल, 2018 को शेयर किए गए पोस्ट को ध्यान से पढ़ने पर महिला पत्रकारों की छवि खराब होती है। यह अदालत याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए संदेश का अनुवाद करने में भी बहुत झिझक रही है, क्योंकि वह घृणित है। यह पोस्ट पूरे तमिलनाडु में प्रेस के खिलाफ बेहद अपमानजनक है।”

इसमें आगे कहा गया था, “हम एक ऐसे युग में रहते हैं, जहां सोशल मीडिया ने दुनिया के हर व्यक्ति के जीवन पर कब्जा कर लिया है। सोशल मीडिया पर भेजा/फॉरवर्ड किया गया संदेश कुछ ही समय में दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच सकता है।” हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को अपना पद देखते हुए, बयान देते समय या कोई पोस्ट शेयर करते समय अधिक जिम्मेदार होने की उम्मीद है। इसमें कहा गया था, ”सोशल मीडिया पर भेजा या शेयर किया गया पोस्ट एक तीर की तरह है, जिसे पहले ही धनुष से निकाला जा चुका है।

Scroll to Top