जयपुर। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कई दिनों तक चली खींचतान के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने हैं। खड़गे ने रविवार को कहा कि वह इस चुनाव में किसी के विरोध में नहीं, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उतरे हैं। उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि उन्हें गांधी परिवार का समर्थन हासिल है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ और युवा नेताओं के कहने पर वह चुनाव मैदान में उतरे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे की एकतरफा जीत होगी, क्योंकि उनके पास वह अनुभव है, जो पार्टी को चलाने के लिए जरूरी है और यह अनुभव शशि थरूर के पास नहीं है, जो ‘कुलीन वर्ग’ से आते हैं। गहलोत ने कहा, “खड़गे के पास एक लंबा राजनीतिक अनुभव है। उनका दिल साफ है, वह दलित समुदाय से ताल्लुख रखते हैं। खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के फैसले का हर जगह स्वागत हो रहा है।”
खड़गे के प्रस्तावकों में से एक गहलोत ने सचिवालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से बाचतीत में कहा, “शशि थरूर भी अच्छे आदमी हैं, वह अच्छे विचार रखते हैं, लेकिन वह ‘कुलीन वर्ग’ से आते हैं। कार्यकर्ता क्या सोचते हैं… ब्लॉक, बूथ, जिला स्तर पर पार्टी संगठन कैसे मजबूत होगा… इन सबका अनुभव खड़गे साहब को कहीं ज्यादा है… उसकी तुलना शशि थरूर से नहीं की जा सकती… ऐसे में स्वाभाविक रूप से खड़गे की एकतरफा जीत होगी। ”
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए खड़गे और थरूर के बीच सीधा मुकाबला है। 80 वर्षीय खड़गे ने चुनाव लड़ने के लिए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। .खड़गे ने कहा कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत के तहत उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से नामांकन के दिन इस्तीफा दे दिया। मालूम हो कि झारखंड के पूर्व मंत्री के केएन त्रिपाठी का नामांकन शनिवार को खारिज हो गया। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में रह गए हैं।