देश से तानाशाही का खतरा टला, नरेन्द्र मोदी सत्ता पाने के लिए कर रहे हैं मुजरा

तानाशाही की ओर बढ़ रही सत्ता और सत्ताधीश नरेन्द्र मोदी पर देश के नागरिकों ने लगाम लगा दी है। स्वयं को अजन्मा और भगवान बताने वाले नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए मुजरा कर रहे हैं।

DrashtaNews
रविकांत सिंह ‘द्रष्टा ‘

-अपने घर में नौकरों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करने वाले शहरी और सामंती मानसिकता के पूंजीवादी, नरेन्द्र मोदी को भगवान मानते हैं।

-नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व में जो विकार था वह चुनाव नतीजों के बाद से फिलहाल कम हो रहा है। पर्सनालिटी डिसऑर्डर की बीमारी के मुख्य स्रोत में कमी आने पर मोदी भक्ति में लीन लोगों की भी बीमारी ठीक होने की सम्भावना है।

लोकसभा चुनाव 2024 सम्पन्न हो चुका है। भारतीय राजनीति को जिस ओर करवट लेने की बात द्रष्टा कह रहा था वह राजनीति लोकतंत्र की ओर करवट ले चुकी है। राजनीति के इस करवट ने सत्ता को संतुलित कर दिया है। तानाशाही की ओर बढ़ रही सत्ता और सत्ताधीश नरेन्द्र मोदी पर देश के नागरिकों ने लगाम लगा दी है। स्वयं को अजन्मा और भगवान बताने वाले नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए मुुजरा कर रहे हैं।

एनडीए की सत्ता को अपने अनुसार चलाने के मूड में विपक्षी दल

आप सभी द्रष्टा यहां मुजरे का अर्थ लाभ देने वाले व्यक्ति के सम्मान में झूकने से लगाइए। नरेन्द्र मोदी और उनकी मीडिया अब राजनीति के चाणक्य नीतीश और चन्द्र बाबू नायडु के सामने मुजरा कर रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के विरोध में मत पाए विपक्षी दल अभी तक नरेन्द्र मोदी के लगाम में ढील देने के मूड में नही हैं। विपक्षी दल नीतीश और चन्द्र बाबू नायडु को न केवल अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे है बल्कि एनडीए की सत्ता को अपने अनुसार चलाने के मूड में हैं।

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राहुलगांधी ने एक जनसभा में कहा था कि वह नरेन्द्र मोदी से जो कहलवाना चाहेंगे कहलवा सकते हैं। मैं द्रष्टा हूं राजनीति के इस मनोवैज्ञानिक खेल को बकायदा देख रहा हूं। अभी तक राहुल गांधी इस मामले में सही साबित हो रहे हैं। नरेन्द्र मोदी की मन:स्थिति को राहुल गांधी समझ चुके हैं। द्रष्टा इसी मन: स्थिति को मनौवैज्ञानिक तरीके से व्यक्ति में देखता है। द्रष्टा को नरेन्द्र मोदी में पर्सनालिटी डिसऑर्डर नामक बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं।

एक दशक से पूर्ण बहुमत के साथ केन्द्र की सत्ता संभाल रहे नरेन्द्र मोदी में पर्सनालिटी डिसऑर्डर नामक बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं । क्लबों में पार्टियां करने वाले, सोसायटियों के निवासी, रिटायर बूजूर्ग, व्यक्ति से अधिक कुत्ते की सेवा करने और उन्हें टहलाने वाले व्यक्ति नरेन्द्र मोदी की इस बीमारी वाले व्यक्तित्व की खुब सराहना करते हुए गॉसीप करते है।

किसानों और मजदूरों को फटे हाल ही देखने का नजरिया

द्रष्टा ने देखा कि जब किसानों के आन्दोलन को कुचलने के लिए सरकार कु्ररता की हदें पार कर रही थी तो, ऐसे पूंजीवादी और क्रूर  मानसिकता वाले घृणित लोग सत्ता के पक्ष में खड़े होकर किसानों को आतंकवादी, देशद्रोही साबित करने में जुटे थे। किसानों और मजदूरों को सरकार सुविधा मिलने की बातों से ऐसे लोग नाक भौ सिकोड़ लेते थे। पूंजीवादी और क्रुर मानसिकता वाले ऐसे लोग किसानों और मजदूरों को फटे हाल ही देखने का नजरिया रखते है।

बीमार मानसिकता वालों को तानाशाही पसंद

अपने घर में नौकरों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करने वाले शहरी और सामंती मानसिकता के पूंजीवादी, नरेन्द्र मोदी को भगवान मानते हैं। हजारों रुपये खर्च कर कीट्टी पार्टी की शौकीन महिलाओं को मैने नरेन्द्र मोदी के इस बीमार व्यक्तित्व की पूजा करते हुए भी देखा है। पूंजीवादी मानसिंकता और हरामखोरी की दूकान चलाने वालों के लिए नरेन्द्र मोदी की सत्ता किसी वरदान से कम नहीं है। ऐसे बीमार मानसिकता वालों को तानाशाही पसंद है।

भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति समर्पित भाव से जिसकी भक्ति करता है वह व्यक्ति वैसा ही बन जाता है। व्यक्तित्व विकार से ग्रसित नरेन्द्र मोदी की भक्ति करने वाले भी व्यक्तित्व विकार से ग्रसित हैं। आप सभी द्रष्टा ध्यान से इन लोगों में व्यक्तित्व विकार के लक्षण को देख सकते हैं।

ऐसे लोग पिंजड़े के रट्टू तोते की तरह कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी ने देश का नाम पूरी दुनिया में ऊंचा किया है। पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। नरेन्द्र मोदी से देश की सीमाएं सुरक्षित हैं। नरेन्द्र मोदी देवताओं के देवता हैं। भगवान जगन्नाथ भी नरेन्द्र मोदी की भक्ति करते हैं। मोदी है तो मुमकिन है अबकी बार चार सौ पार

विपक्ष के खिलाफ दुष्प्रचार

राहुल गांधी पप्पू है। कन्हैया कुमार देशद्रोही है। महंगाई भले ही बढ़ जाय लेकिन आयेगा तो मोदी ही। इस तरह की शब्दश: बातें आप सभी द्रष्टा ने अपने घर परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों सोसायटीयों के लोगों से सुनी होंगी।

देश-दूनिया में रहने वाले सभी लोग शब्दश: यही बातें कैसे बोल सकते हैं। यह बनावटी बातें मीडिया के जरिए हजारों बार दर्शकों को सुनाया गया है। जिस तरह सास बहु के सीरियल देखने वाली महिलाएं अभिनेत्रियों की तरह फैशन करने और डायलाग बोलने लग जाती हैं उसी तरह न्यूज़ चैनलों पर नरेन्द्र मोदी के बारे में पढ़े जा रहे कसीदे और विपक्ष के खिलाफ दुष्प्रचार को दर्शकों ने सच मान लिया है। और आत्मबल व मनोबल से कमजोर व्यक्तियों ने इसे अपना लिया है।

नागरिक धर्म भूलकर व्यक्तियों ने भावूकता में यह मान लिया है कि नरेन्द्र मोदी ही देश का भला कर सकते हैं। टायलेट, किचेन, पार्क, किट्टी पार्टी ,विवाह समारोह तक सुबह से रात, सुख से लेकर दुःख के माहौल तक नरेंद्र मोदी की चर्चाओं ने पुरे मानव समाज को विवेकहीन और बीमार कर दिया है। इसी विवेकहीनता को व्यक्तित्व विकार कहते हैं।

मन- मस्तिष्क पर कब्जा

2015 में द्रष्टा ने अपने एक लेख ‘चीखों को दफ़्न करता सियासत का ढिंढोरा’ में कहा था कि  ‘रसरी आवत जात ते सिल पर परहिं निशान’। जब कोमल रस्सी के रगड़ की बारम्बारता से कठोर पत्थर भी घिस जाता है तो भला द्वेष और ईर्ष्या से भरे विवादित बयानों व अराजक तत्वों की कारगुजारियों की बारम्बारता, क्या सामाजिक सौहार्द को खराब नहीं करेंगी? भारतीय नागरिकों के मन मस्तिष्क में रात-दिन सियासत का यह ढ़िढोरा उनके बुद्धि-विवेक को तहस-नहस कर देगा। नरेन्द्र मोदी और उनकी राजनीति के मामले में पिछले दस सालों से मीडिया के देश विरोधी, नफरती न्यूज़ एंकरों ने लोगों के मन मस्तिष्क पर अपना कब्जा जमा रखा है। बुद्धि विवेक के नाश होने के कारण ही मानव में व्यक्तित्व विकार उत्पन्न होता हैं।

पर्सनालिटी डिसआर्डर यानि व्यक्तित्व विकार के नाम से बीमारी के बारें में आम नागरिक नहीं जानते हैं। यह मनोविज्ञान की समझ रखने वालों का विषय है। मनोचिकित्सक इस बीमारी के लक्षण को तुरन्त पहचान जाते हैं। इसके बावजूद भारत के किसान, मजदूर और संघर्षशील नौजवान बीमारी का नाम भले न सही से जानते हों लेकिन नरेन्द्र मोदी में इस बीमारी के लक्षण को अच्छी तरह देख रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बीमारी से हो रहे नुकसान को सबसे अधिक इन्ही बेबस लोगों ने झेला था।

दस लाख का सूट, कैमरे लेकर ध्यान करना, रेड कार्पेट पर अकेले चलना, बेहतरीन परिधानों के साथ रुप-सज्जा, मेकअप आर्टिस्ट के सहारे बड़े पुजारियों की तरह दिखना, काले चश्में के साथ फिल्मी स्टाइल में पूजा पाठ करना, साउथ इंडियन फिल्मों की अतिशयोक्ति को फेल करते हुए तड़क-भड़क वाले जलवा दिखाना अभिनेताओं के अनिवार्य काम हैं। अलग-अलग व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए यह सब जरुरी है।

नेता से अभिनेता में हुए दोहरे व्यक्तित्व परिवर्तन

देश ने एक गरीब चाय वाले को प्रधान मंत्री चुना था न कि अभिनेता। देश नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व को नेता के रुप में देख रहा था लेकिन नरेन्द्र मोदी असल में नेता का अभिनय कर देश को हानि पहुंचा रहे हैं। नेता से अभिनेता में हुए दोहरे व्यक्तित्व परिवर्तन को ही मनोविज्ञान की भाषा में पर्सनालिटी डिसऑर्डर यानि व्यक्तित्व विकार कहते हैं।

रायपुर में एक कलेक्टर ने काला चश्मा पहनकर नरेन्द्र मोदी को रिसीव किया तो, उसका तबादला कर दिया गया।  बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह  नरेन्द्र मोदी के साथ भरे मंच पर जयमाल के भीतर प्रवेश कर रहे थे तो उन्हें नरेन्द्र मोदी ने अपनी आंखे तरेर कर किनारे लगा दिया।

रामायण के अनुसार अहंकार का प्रतीक विश्व विजेता रावण कहता था एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति! अर्थात् एक मैं ही हूं दूसरा सब मिथ्या है। न मेरे जैसा कभी कोई आया न आ सकेगा। नरेन्द्र मोदी का पूरा प्रचार तंत्र भी 10 सालों से इसी अहंकार पर टिका है। राजनीति में देशहित के लिए अपना अलग नजरिया रखने वाले राजनेताओं को नरेन्द्र मोदी किनारे कर सत्ता कब्जाने के लिए सदैव लगे रहते हैं।

नरेन्द्र मोदी ने अपना कद ऊंचा करने के लिए राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त किया ,कन्हैया कुमार को देशद्रोही बताया, अरविन्द केजरीवाल, संजय सिंह, हेमन्त सोरेन को न केवल जेल भेजा बल्कि इनसे पहले अपने ही दल के लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, वसुन्धरा राजे सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान, जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी अपने राह से हटा दिया था।

देश के मतदाताओं ने अपना मुद्दा चुन लिया

इसी अहंकार के कारण आरएसएस इस चुनाव में निष्क्रिय नजर आ रहा था । बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को कहना पड़ा कि बीजेपी को पहले संघ की जरूरत होती थी लेकिन अब बीजेपी सक्षम हो गई है। नरेन्द्र मोदी ने भी अपने चेहरे पर चुनाव लड़ा और बीजेपी 303 सीटों से 240 सीटों पर सीमट गई। बहुमत से कम सीटों ने नरेन्द्र मोदी को घूटनों पर ला दिया है। नरेन्द्र मोदी की गारंटी और विपक्ष की गारंटी के बीच देश के मतदाताओं ने अपना मुद्दा चुन लिया है और लोकतंत्र पर मंडरा रहे तानाशाही के खतरे को टाल कर सत्ता को संतुलित कर दिया है।

द्रष्टा देख रहा है कि नफरत, घृणा, ईर्ष्या, द्वेष के अज्ञान से उत्पन्न अंधकार में मानव समाज का पतन होता चला जा रहा है। मानव समाज के उत्थान के लिए प्रेम और न्याय के अतिरिक्त न कोई रास्ता था और न है। इस बात को मानव समाज द्वारा पहली बार में ही स्वीकार कर लिए जाने के बाद ही मानव अज्ञान के अंधकार से बाहर निकल सकता है।

आप सभी द्रष्टा भी देख रहे होंगे कि नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व में जो विकार था वह चुनाव नतीजों के बाद से फिलहाल कम हो रहा है। पर्सनालिटी डिसऑर्डर की बीमारी के मुख्य स्रोत में कमी आने पर मोदी भक्ति में लीन लोगों की भी बीमारी ठीक होने की सम्भावना है।

……….(व्याकरण की त्रुटि के लिए द्रष्टा क्षमाप्रार्थी है )

रविकांत सिंह
(संपादक -द्रष्टा )
drashtainfo@gmail.com
7289042763

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