नई दिल्ली। EWS कोटे के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को लेकर सियासी नाराज़गी शुरू हो गई है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने EWS कोटे का विरोध करने वाले लोगों और संस्थाओं से एकजुटता की अपील की है। स्टालिन ने कहा कि 2019 में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए EWS कोटे के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दशकों से चलाई जा रही सामाजिक मुहिम के लिए झटका है। इस बीच BJP ने फैसले का स्वागत किया है तो कांग्रेस ने अलग ही सुर आलापा है।
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EWS कोटा संघ परिवार का एजेंडा
CM एमके स्टालिन ने कहा कि इस फैसले के सभी कानूनी पहलुओं की समीक्षा के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। वहीं, राज्य सरकार में डीएमके साथी वीसीके ने भी फैसले पर नाखुशी जाहिर की है। वीसीके चीफ थोल थिरुमालावलन ने EWS कोटा को संघ परिवार का एजेंडा बताया है।
दूसरी तरफ, केंद्र में सत्ताधारी BJP ने सोमवार को EWS कोटे के तहत सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है। BJP ने कहा कि एक बार फिर साबित हो गया कि नरेंद्र मोदी सरकार सभी लोगों को संविधान के मुताबिक बिना किसी भेदभाव के सबको समान अवसर दे रही है। मीडिया को संबोधित करते हुए पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन मोदी सरकार के संविधन के 103वें संशोधन के फैसले पर मुहर है। उन्होंने कहा कि इससे साबित हो जाता है कि देश गरीबों की दशा को बेहतर बनाने और उनकी सामाजिक-आर्थिक दशा को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री का विजन स्पष्ट है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने फैसले पर विवादास्पद ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट अपर कास्ट माइंडसेट वाली है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देने की बात भी कही है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, ‘EWS आरक्षण का विरोध नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं सुप्रीम कोर्ट की उच्च जाति की मानसिकता को चुनौती देता हूं। जब SC/ST/OBC के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का विस्तार करने की बात आई, तो उन्होंने इंद्रा साहनी फैसले की 50 प्रतिशत सीमा का हवाला दिया। आज वे संविधान का हवाला दिया कि नहीं इसकी कोई सीमा नहीं है।’
वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने EWS पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि जयराम रमेश ने इस फैसले का क्रेडिट पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को दिया है। उन्होंने कहा कि इस सुधार की शुरुआत डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हो गई थी। साल 2005-06 में उन्होंने सिन्हो आयोग की नियुक्ति की थी, जिसने जुलाई 2010 में अपनी रिपोर्ट फाइल की थी। उन्होंने कहा कि इसके बाद बड़े पैमाने पर विचार-विमर्श किए गए थे और 2014 में बिल भी तैयार हो गया था। मोदी सरकार को बिल लागू करने में पांच साल का समय लग गया।
इससे पहले आज सुबह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले EWS कोटे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने इस 10 फीसदी आरक्षण को वैध करार दिया। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण को सही करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी। उनके अलावा जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को सही करार दिया।
जस्टिस यूयू ललित और रविंद्र भट ने कहा, कानून भेदभाव से पूर्ण
पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक बेंच में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ही ऐसे थे, जिन्होंने इस कोटे को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभाव से पूर्ण है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। गौरतलब है कि बता दें कि संविधान में 103वें संशोधन के जरिए 2019 में संसद से EWS आरक्षण को लेकर कानून पारित किया गया था। इस फैसले को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने आज फैसला सुनाया है।