वाराणसी। काशी विश्वनाथ परिसर में स्थित विवादित ढाँचे और श्रीनगर गौरी मंदिर को लेकर प्रशासनिक सर्वे व वीडियोग्राफी के आदेश के खिलाफ वहाँ के मुस्लिम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की माँग की है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी दलीलें पेश करने को कहा। ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी’ की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिवीज़न रवि कुमार दिवाकर ने की।
अब इस मामले की सोमवार(9 मई, 2022) को होगी। ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए प्रशासनिक टीम वहाँ पहुँची, साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स को भी सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगाया गया था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दरवाजे पर खड़े होकर जाम लगा दिया, जिससे एडवोकेट कमिश्नर अंदर जा ही नहीं पाए। माहौल बिगाड़ने की साजिश हुई और शाम के 5 बजे बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग वहाँ पर पहुँचने लगे।
विपक्षियों ने कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया। विपक्षी अधिवक्ता ने अंदर प्रवेश का आदेश न होने का हवाला दिया। इस वजह से सर्वे 9 मई को अगली सुनवाई तक टाल दिया गया है। वादी महिलाओं औऱ अधिवक्ताओं ने पुलिस प्रशासन पर सहयोग न करने का आरोप लगाया। ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने के लिए सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। कोर्ट कमिश्नर ने छह मई को सर्वे के तहत ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिम स्थित शृंगार गौरी व आसपास की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई थी।
शनिवार को कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद के अंदर जाकर विग्रहों की स्थिति देखनी थी। सर्वे की कार्यवाही दोपहर बाद तीन बजे शुरू होनी थी। उससे पहले विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव व एकलाख अहमद ने अदालत में आपत्ति दाखिल कर कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे जारी रखने और वादी को 9 मई को अपना पक्ष रखने का आदेश जारी किया। इसके बाद वादी व अधिवक्तागण ज्ञानवापी परिसर पहुंचे।
दरअसल, प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग वाला प्रार्थना पत्र सिविल जज (सीनियर डिविजन) के कोर्ट में पेश किया गया था। बता दें कि कमेटी ने सर्वे और वीडियोग्राफी की कार्रवाई में कोर्ट कमिश्नर के ऊपर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा था। प्रार्थना पत्र में मांग की गई है थी कि ‘कोर्ट एडवोकेट कमिश्नर को हटाकर, न्यायालय खुद या उनकी जगह किसी दूसरे वरिष्ठ वकील को मामले के निष्पादन के लिए नियुक्त करे, ताकि न्याय हो सके। ‘उधर विश्वनाथ धाम के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर धार्मिक नारेबाजी करने पर पुलिस ने चंदौली के एक अधेड़ को हिरासत में ले लिया। उससे पूछताछ की जा रही है।
कोर्ट कमिश्नर ने शाम करीब साढ़े चार बजे से सर्वे शुरू कराया। मस्जिद की चौहद्दी के बाद बाहरी दीवारों की स्थिति देखी। मस्जिद में प्रवेश करने पहुंचे तो अंदर पहले से मौजूद नमाजियों व विपक्षी अधिवक्ताओं ने रोक दिया। उन्होंने मस्जिद के अंदर प्रवेश का कोर्ट का आदेश मांगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के आदेश में मस्जिद के अंदर प्रवेश का जिक्र नहीं है। लिहाजा, बिना आदेश के अंदर नहीं आने दिया जाएगा।
कोर्ट कमिश्नर व वादी के अधिवक्ताओं ने मौके पर मौजूद पुलिस अफसरों से अंदर प्रवेश करने के लिए सहयोग मांगा। अफसरों ने भी आदेश का हवाला देते हुए कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस के रुख को देखते हुए कार्यवाही रोक दी गई। कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने बताया कि नौ मई को मस्जिद के अंदर प्रवेश के लिए कोर्ट से स्पष्ट आदेश देने की अपील की जाएगी।
सर्वे टलने के बाद धाम के बाहर निकले वादी महिलाओं व अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रशासन ने कमीशन की कार्यवाही में सहयोग नहीं किया। मस्जिद में पहले ही चार सौ से पांच सौ नमाजियों की मौजूदगी थी। पहली बार सामान्य दिनों में इतनी संख्या में नमाजी दिखे। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। जबकि पुलिस प्रशासन को पता था कि सर्वे के लिए कोर्ट कमीशन की कार्यवाही होनी है।