सिद्धरमैया और शिवकुमार 20 मई को लेंगे शपथ

नई दिल्ली/बेंगलुरु। कांग्रेस विधायक दल की बृहस्पतिवार को हुई एक बैठक में औपचारिक रूप से सिद्धरमैया को नेता और कर्नाटक का मुख्यमंत्री चुना गया, जिसके बाद सिद्धरमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि सिद्धरमैया मुख्यमंत्री होंगे, जबकि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डीके शिवकुमार एक मात्र उपमुख्यमंत्री होंगे। कर्नाटक में मुख्यमंत्री को लेकर अनिश्चितता का दौर तीन दिनों की गहन मंत्रणा के बाद बुधवार देर रात खत्म हुआ और इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सतत प्रयास के साथ ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद पर अपना मजबूती से दावा ठोक रहे डीके शिवकुमार उस समय नरम पड़े जब खरगे और गांधी परिवार विशेषकर सोनिया गांधी ने उन्हें पूरा सम्मान मिलने और सभी चिंताओं का निराकरण करने का विश्वास दिलाया। इंदिरा गांधी भवन में हुई कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और सांसदों की बैठक में AICC के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और दो अन्य केंद्रीय पर्यवेक्षकों- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह- ने भी भाग लिया। सुरजेवाला के अनुसार, शिवकुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के रूप में सिद्धरमैया को चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया। इसके बाद सिद्धरमैया ने शिवकुमार और अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ यहां राजभवन में राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार सुबह आधिकारिक रूप से यह घोषणा की कि सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार नयी सरकार में ‘एकमात्र’ उप मुख्यमंत्री होंगे। बेंगलुरु में 14 मई को कांग्रेस के तीनों पर्यवेक्षकों सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया ने विधायकों से मुलाकात कर और गोपनीय मतदान के माध्यम से उनकी राय ली थी। इसके बाद 15 मई से दिल्ली में मंथन का दौर आरंभ हुआ और 17 मई देर रात तक चलता रहा। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी बातचीत में निरंतर सक्रिय रहे। आलाकमान ने सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों को दिल्ली बुलाया। सिद्धारमैया सोमवार को ही दिल्ली पहुंच गए, लेकिन शिवकुमार उस दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दिल्ली नहीं आए। इसके बाद स्थिति पेचीदा दिखाई पड़ने लगी। अगले दिन मंगलवार को शिवकुमार दिल्ली पहुंचे। खरगे, सुरजेवाला और वेणुगोपाल के साथ मंत्रणा के बाद बुधवार को दिन में दोनों नेता कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और फिर बातचीत आखिर दौर में पहुंची। सूत्रों का कहना है कि इन दिनों शिमला में मौजूद सोनिया गांधी ने भी सिद्धारमैया एवं शिवकुमार से बात की तथा उन्होंने खरगे और राहुल से मामले जल्द सुलझाने के लिए कहा। सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी से बात करने के बाद शिवकुमार नरम पड़े। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए थे। उनका कहना था कि उन्होंने तीन वर्ष तक मेहनत की है और पार्टी को उनके अध्यक्ष रहते शानदार जीत मिली है, ऐसे में उन्हें सबसे महत्वपूर्ण पद मिलना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने दोनों नेताओं से कहा कि वे साथ बैठें और खरगे से मिलकर मामले को सुलझाए। इसके बाद खरगे, सिद्धारमैया और शिवकुमार से कहा कि वे वेणुगोपाल एवं सुरजेवाला से मिलें। सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार इस भरोसे पर तैयार हुए कि सरकार में वह एकमात्र उप मुख्यमंत्री होंगे तथा अगले एक वर्ष तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे तथा उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा। शिवकुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने गांधी परिवार और पार्टी के प्रति अपने समर्पण के चलते झुकने का फैसला किया। सिद्धरमैया और शिवकुमार 20 मई को दोपहर साढ़े 12 बजे मनोनीत मंत्रियों के समूह के साथ शपथ लेंगे। चुनाव परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद 14 मई को सीएलपी की बैठक हुई थी जिस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को नए मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए अधिकृत करते हुए एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया था. उस दिन आए तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने भी विधायकों की राय ली थी, जिसे उन्होंने खरगे के साथ साझा किया था. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनावों में कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर जोरदार जीत हासिल की, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमशः 66 और 19 सीटें हासिल कीं।

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 नई दिल्ली/बेंगलुरु। कांग्रेस विधायक दल की बृहस्पतिवार को हुई एक बैठक में औपचारिक रूप से सिद्धरमैया को नेता और कर्नाटक का मुख्यमंत्री चुना गया, जिसके बाद सिद्धरमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि सिद्धरमैया मुख्यमंत्री होंगे, जबकि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डीके शिवकुमार एक मात्र उपमुख्यमंत्री होंगे।

कर्नाटक में मुख्यमंत्री को लेकर अनिश्चितता का दौर तीन दिनों की गहन मंत्रणा के बाद बुधवार देर रात खत्म हुआ और इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सतत प्रयास के साथ ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद पर अपना मजबूती से दावा ठोक रहे डीके शिवकुमार उस समय नरम पड़े जब खरगे और गांधी परिवार विशेषकर सोनिया गांधी ने उन्हें पूरा सम्मान मिलने और सभी चिंताओं का निराकरण करने का विश्वास दिलाया।

इंदिरा गांधी भवन में हुई कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और सांसदों की बैठक में AICC के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और दो अन्य केंद्रीय पर्यवेक्षकोंमहाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे और एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंहने भी भाग लिया।

सुरजेवाला के अनुसार, शिवकुमार ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के रूप में सिद्धरमैया को चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसका समर्थन किया। इसके बाद सिद्धरमैया ने शिवकुमार और अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ यहां राजभवन में राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया।

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार सुबह आधिकारिक रूप से यह घोषणा की कि सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार नयी सरकार मेंएकमात्रउप मुख्यमंत्री होंगे। बेंगलुरु में 14 मई को कांग्रेस के तीनों पर्यवेक्षकों सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया ने विधायकों से मुलाकात कर और गोपनीय मतदान के माध्यम से उनकी राय ली थी। इसके बाद 15 मई से दिल्ली में मंथन का दौर आरंभ हुआ और 17 मई देर रात तक चलता रहा। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी बातचीत में निरंतर सक्रिय रहे।

आलाकमान ने सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों को दिल्ली बुलाया। सिद्धारमैया सोमवार को ही दिल्ली पहुंच गए, लेकिन शिवकुमार उस दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दिल्ली नहीं आए। इसके बाद स्थिति पेचीदा दिखाई पड़ने लगी। अगले दिन मंगलवार को शिवकुमार दिल्ली पहुंचे। खरगे, सुरजेवाला और वेणुगोपाल के साथ मंत्रणा के बाद बुधवार को दिन में दोनों नेता कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और फिर बातचीत आखिर दौर में पहुंची। सूत्रों का कहना है कि इन दिनों शिमला में मौजूद सोनिया गांधी ने भी सिद्धारमैया एवं शिवकुमार से बात की तथा उन्होंने खरगे और राहुल से मामले जल्द सुलझाने के लिए कहा।

सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी से बात करने के बाद शिवकुमार नरम पड़े। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए थे। उनका कहना था कि उन्होंने तीन वर्ष तक मेहनत की है और पार्टी को उनके अध्यक्ष रहते शानदार जीत मिली है, ऐसे में उन्हें सबसे महत्वपूर्ण पद मिलना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने दोनों नेताओं से कहा कि वे साथ बैठें और खरगे से मिलकर मामले को सुलझाए। इसके बाद खरगे, सिद्धारमैया और शिवकुमार से कहा कि वे वेणुगोपाल एवं सुरजेवाला से मिलें।

सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार इस भरोसे पर तैयार हुए कि सरकार में वह एकमात्र उप मुख्यमंत्री होंगे तथा अगले एक वर्ष तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे तथा उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा। शिवकुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने गांधी परिवार और पार्टी के प्रति अपने समर्पण के चलते झुकने का फैसला किया।

सिद्धरमैया और शिवकुमार 20 मई को दोपहर साढ़े 12 बजे मनोनीत मंत्रियों के समूह के साथ शपथ लेंगे। चुनाव परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद 14 मई को सीएलपी की बैठक हुई थी जिस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को नए मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए अधिकृत करते हुए एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया था।

उस दिन आए तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने भी विधायकों की राय ली थी, जिसे उन्होंने खरगे के साथ साझा किया था. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनावों में कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर जोरदार जीत हासिल की, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमशः 66 और 19 सीटें हासिल कीं।

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