68 प्रतिशत देशों के प्राथमिक स्कूलों में यौन शिक्षा अनिवार्य
नई दिल्ली। यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन शिक्षा को लेकर केवल 39 प्रतिशत देशों में एक राष्ट्रीय नीति है, जबकि केवल 20 प्रतिशत देशों में इसे लेकर कोई कानून है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राथमिक स्कूलों में यौन शिक्षा 68 प्रतिशत देशों में अनिवार्य है, जबकि माध्यमिक में 76 प्रतिशत देशों में अनिवार्य है।
यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार दस से अधिक देशों ने लैंगिक भूमिका, यौन और घरेलू अत्याचार और लैंगिक हिंसा को अपने पाठ्यक्रमों में शामिल किया है। हर दो देश में केवल एक देश में आपसी सहमति की अवधारणा को पढ़ाया जाता है। दो-तिहाई देशों के स्कूलों में ही गर्भनिरोधक के मुद्दे पर जानकारी दी जाती है। लैंगिकता के सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और ज्ञान संबंधी पहलुओं को समग्र यौन शिक्षा (सीएसई) के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। इस शिक्षा की आवश्यकता बच्चों और युवाओं को सामाजिक व यौन संबंधों को विकसित करने, उनकी सेहत के सशक्तीकरण और मूल्यों को बताना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिकता मानव जीवन का एक अहम हिस्सा है। युवाओं में इस संबंध में विश्वसनीय जानकारी, सुरक्षित और जीवन की परिपूर्णता से संबंधित जानकारी दिए जाने की मांग बढ़ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘युवा लोगों को विश्वसनीय जानकारी की जरूरत होती है, जिसके जरिए वे एक सुरक्षित, खुशहाल और पूर्ण जीवन के लिए तैयार होते हैं। युवाओं को प्रभावी शिक्षा देने और उनकी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक संतुलित एवं व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।’
मालूम हो कि रिपोर्ट में की गई 50 देशों की पड़ताल से पता चलता है कि कई देश अपनी शिक्षा योजनाओं या दृष्टिकोण में यौन शिक्षा के महत्व को पहचानते हैं लेकिन उनके विधायी और नीतिगत ढांचे में इसको लेकर अंतर बना रहता है।