नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) से जुड़े मामले को लेकर अहम सुनवाई हुई। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने राजनीतिक पार्टियों की ओर से भुनाए गए हर चुनावी बॉन्ड के ब्योरे का खुलासा करने के लिए और समय मांगा था। कोर्ट ने SBI की इस अर्जी को खारिज करते हुए कल तक जानकारी देने को कहा है।
सोमवार की सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SC में एसबीआई ने समय सीमा समाप्त होने से 2 दिन पहले इस अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें 30 जून तक विस्तार की मांग की गई। इस बात का विश्लेषण किया जाना चाहिए कि क्या SBI का समय विस्तार की मांग करना उचित है। SBI इस आधार पर समय विस्तार चाहता है कि “चुनावी बॉन्ड को डिकोड करने और दानकर्ताओं को दान से मिलाने” की प्रक्रिया एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें यह जांचने की जरूरत है कि क्या SBI द्वारा की गई मांग उचित है? इसमें कहा गया है कि जहां तक बॉन्ड की बिक्री और भुनाने का सवाल है, जानकारी डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा कोई केंद्रीय डेटाबेस भी नहीं है। दाता विवरण, प्राप्तकर्ता विवरण दो अलग साइलो में उपलब्ध हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 22217 बॉन्ड खरीदे गए। SBI की दलील का सार यह है कि किस राजनीतिक दल को किसने योगदान दिया, यह पता लगाने के लिए जानकारी का मिलान एक समय लेने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि जानकारी दो अलग-अलग साइलो में रखी जाती है।
SBI की ओर से दी गई ये दलील
साल्वे का कहना है कि एसबीआई की एकमात्र समस्या ये है कि पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा। स्कीम की एसओपी के कारण कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं था। हमें बताया गया था कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा कि उसने अपने फैसले में बैंक से मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा है, हमने अपने निर्णय के तहत आपसे स्पष्ट खुलासा करने के लिए कहा है। इसलिए यह कहते हुए समय मांगना कि एक मिलान अभ्यास किया जाना है, उचित नहीं है, हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको समय दिया था। आपने अब तक क्या किया? 6 मार्च तक जानकारी देनी थी। पिछले 26 दिन में आपने क्या कदम उठाए? आपकी अर्जी में इसे लेकर कुछ नहीं बताया गया।सारी जानकारी मुंबई की ब्रांच के पास है। कोर्ट ने कहा कि हमने डेटा मांगा था। दिक्कत कहां आ रही है, लिफाफा खोलिए, आंकड़ा उपलब्ध कराइए।
SBI की अर्जी खारिज
कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों ने पहले ही अपने द्वारा किए गए नकदीकरण का विवरण दे दिया है। खरीददारों का विवरण पहले से ही उपलब्ध है।SBI की दलीलें पर्याप्त रूप से संकेत देती हैं कि जानकारी आसानी से उपलब्ध है। 30 जून, 2024 तक समय बढ़ाने की मांग करने वाली SBI की अर्जी खारिज की जाती है। कोर्ट ने SBI से कल तक जानकारी देने को कहा है। जिसे चुनाव आयोग को 15 मार्च तक वेबसाइट पर डालने होगा।