रियल स्टेट पर महंगाई की मार, दिल्ली-एनसीआर में आवासीय फ्लैट बनाना होगा बंद- क्रेडाई एनसीआऱ
-स्टील-सीमेंट में भारी उछाल से महंगे होंगे फ्लैट
नई दिल्ली। कोरोना और रूस व यूक्रेन युद्ध के बाद महंगाई का दंश रियल स्टेट कारोबार को चौपट कर रहा है। दिल्ली और एनसीआर में आवासीय फ्लैट का निर्माण कार्य बंद होने की नौबत आ गई है। रियल एस्टेट डेवलपर की संस्था क्रेडाई-एनसीआर (Confederation of Real Estate Developers’ Associations of India) ने कहा कि संगठन के सभी सदस्य निर्माण कार्य रोकने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि सीमेंट स्टील समेत सभी कच्चे माल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। रूस के यूक्रेन पर हमले के करीब एक महीना होने के बीच स्टील समेत तमाम धातुओं के दाम 100 फीसदी तक बढ़ गए हैं। जबकि सीमेंट और अन्य तरह का कच्चा माल भी महंगा हो गया है।
क्रेडाई-एनसीआर का कहना है कि निर्माण लागत प्रति स्क्वॉयर फीट 500 रुपये तक बढ़ गई है। इस कारण उन्हें घरों के दाम बढ़ाने को मजबूर होना पडेगा। क्रेडाई-एनसीआर ने कहा कि सीमेंट समेत कुछ कच्चे माल की कीमत पिछले कुछ दिनों में औसतन 30-40 फीसदी बढ़ गई है। सीमेंट के दाम 270 रुपये प्रति बोरी से बढ़कर 360 रुपये तक पहुंच गए हैं।
जबकि कुछ अन्य सामानों के दाम पिछले दो साल में सौ फीसदी तक बढ़ गए हैं। संस्था ने कहा है कि अचानक बढ़ी कीमतों से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में बिल्डरों का मार्जिन पहले ही काफी कम हो गया है और ये परियोजनाएं उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रही हैं। क्रेडाई-एनसीआर का कहना है कि वो कच्चे माल की खरीद को बंद करने की सोच रहे हैं, क्योंकि ऊंची होती कीमतों से बाद में प्रोजेक्ट अटकने का खतरा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक आपूर्ति शृंखला में रुकावट के चलते हुए स्टील, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री के दाम में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
क्रेडाई-एनसीआर के अध्यक्ष पंकज बजाज ने कहा, स्टील को लेकर सबसे बड़ी मुश्किल है, सप्लायर्स ऊंचे दाम पर भी ऑर्डर लेने को तैयार नहीं हैं। स्टील सप्लायर्स यहांतक की पुराने कांट्रैक्ट भी रद्द कर रहे हैं। बिल्डर बिना बिके मकानों की कीमत बढ़ाने को तो स्वतंत्र हैं, लेकिन पहले से बुक हो चुके निर्माणाधीन फ्लैट की कीमतें वो बढ़ा नहीं सकते। बजाज ने कहा कि शायद इस संकट को अप्रत्याशित घटना के तौर पर देखा जाना चाहिए और बेची गई इन्वेंट्री के लिए भी कीमतों को बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए। वरना हम एक बार फिर अधूरी औऱ लटकी रियल एस्टेट परियोजनाओं की अगली लहर देखेंगे।