दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि को प्रतिद्वंद्वी कंपनी के उत्पाद से ‘सांप्रदायिक’ वीडियो हटाने का आदेश दिया
न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “इससे न्यायालय की अंतरात्मा को झटका लगा है। इसका बचाव नहीं किया जा सकता।”
नई दिल्ली। नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन मामले में 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को फटकार लगाए थी। रामदेव ने दो -दो बार गिड़गिड़ाते हुए माफ़ी माँगी थी। लेकिन पतंजलि के फाउंडर रामदेव नहीं सुधरे तो इस बार दिल्ली हाईकोर्ट ने भविष्य में कोई बयान या विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी करने पर रोक लगा दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस VIDEO पर नाराजगी जताई, जिसमें बाबा रामदेव ने शरबत जिहाद शब्द का इस्तेमाल किया था। जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि यह बयान माफी लायक नहीं है। इसने कोर्ट की अंतरआत्मा झकझोर दी। कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि के फाउंडर रामदेव ने कहा कि हम ऐसे सभी VIDEO हटा लेंगे, जिनमें धार्मिक टिप्पणियां की गई हैं। कोर्ट ने रामदेव को एफिडेविट दाखिल करने का आदेश भी दिया है।
रामदेव ने कंपनी के नए पेय को पेश करते हुए एक वीडियो में लोकप्रिय शरबत ब्रांड रूह अफजा पर सांप्रदायिक निशाना साधा। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द की याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इससे अदालत की अंतरात्मा को झटका लगा है। इसका बचाव नहीं किया जा सकता।”
हमदर्द की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह एक “चौंकाने वाला मामला” है, जो रूह अफ़ज़ा के अपमान से कहीं आगे जाता है। उन्होंने कहा कि श्री रामदेव की टिप्पणी नफ़रत फैलाने वाले भाषण के समान है। थोड़े अंतराल के बाद अदालत ने सुनवाई पुनः शुरू की, जिस दौरान श्री रामदेव का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने कहा कि उनके मुवक्किल तुरंत वीडियो हटा लेंगे।
अदालत ने कहा, “जब मैंने यह (वीडियो) देखा तो मुझे अपनी आंखों और कानों पर विश्वास नहीं हुआ।” अदालत ने श्री रामदेव को एक हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया जिसमें यह कहा गया हो कि वह भविष्य में कोई बयान या विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी नहीं करेंगे।
अदालत ने कहा, “शुरुआत में, प्रतिवादी (रामदेव) की ओर से पेश हुए वकील ने निर्देश दिया कि प्रिंट या वीडियो में सभी विवादित विज्ञापनों को हटा दिया जाएगा या उचित रूप से बदल दिया जाएगा। एक हलफनामा रिकॉर्ड में रखा जाए जिसमें कहा गया हो कि वह भविष्य में इस तरह का कोई बयान या विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी नहीं करेंगे।”
बाबा रामदेव ने 3 अप्रैल को पतंजलि के शरबत की लॉन्चिंग की थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा था कि एक कंपनी शरबत बनाती है। उससे जो पैसा मिलता है, उससे मदरसे और मस्जिदें बनवाती है। बाबा रामदेव ने कहा था कि जैसे लव जिहाद और वोट जिहाद चल रहा है, वैसे ही शरबत जिहाद भी चल रहा है।
इसके खिलाफ रूह अफजा शरबत बनाने वाली कंपनी हमदर्द ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कंपनी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलीलें दीं। रोहतगी ने कहा कि यह धर्म के नाम पर हमला है।
उन्होंने यह भी कहा कि “लव जिहाद” की तरह यह भी ‘शरबत जिहाद’ है। रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया। श्री रोहतगी ने अदालत को बताया कि श्री रामदेव को पहले भी एलोपैथी को निशाना बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की फटकार का सामना करना पड़ा था।
श्री नायर ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को उनके राजनीतिक विचार व्यक्त करने से नहीं रोका जा सकता। “अगर वह कोई राय देता है तो उसे रोका नहीं जा सकता। आप किसी को अपनी राय व्यक्त करने से नहीं रोक सकते,” श्री नायर ने कहा कि प्रतिस्पर्धियों के उत्पादों के अपमान के मुद्दे पर एक हलफनामा दायर किया जाएगा।
हालांकि, अदालत ने कहा, ‘वह अपने मन में ये राय रख सकते हैं, उन्हें व्यक्त करने की जरूरत नहीं है।’ अदालत ने हलफनामा दाखिल करने के लिए श्री रामदेव को पांच दिन का समय दिया और मामले की सुनवाई 1 मई के लिए तय की।