नई दिल्ली। PM किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसान अपनी 20 वीं किस्त का इंतजार कर ही रहे थे कि केंद्रीय कैबिनेट ने 24,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के परिव्यय के साथ 36 योजनाओं को मिलाकर PM धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दे दी। इन योजनाओं से 1.7 करोड़ किसानों को फायदा पहुंचेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की है।
6 साल के लिए मंजूरी,100 कृषि जिले किए जाएंगे विकसित
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 2025-26 से शुरू होकर 6 सालों के लिए ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दे दी। यह योजना 24,000 करोड़ रुपये के वार्षिक परिव्यय के साथ 100 जिलों को कवर करेगी। यह योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है, जो अपनी तरह की पहली पहल है जो विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना, पंचायत और ब्लॉक स्तर पर फसल-उपरांत भंडारण को बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना और दीर्घकालिक तथा अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाना है।
इस योजना की घोषणा 2025-26 के बजट प्रस्तावों के एक भाग के रूप में ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ के अंतर्गत 100 जिलों के विकास हेतु की गई थी। इस योजना का क्रियान्वयन 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं, अन्य राज्य योजनाओं और निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय भागीदारी के अभिसरण के माध्यम से किया जाएगा।
कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और कम ऋण वितरण जैसे तीन प्रमुख संकेतकों के आधार पर 100 जिलों की पहचान की जाएगी। प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या शुद्ध फसल क्षेत्र और परिचालन जोत के हिस्से पर आधारित होगी। हालाँकि, एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन किया जाएगा।
प्राकृतिक एवं जैविक खेती
योजना के प्रभावी नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियाँ गठित की जाएँगी। जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ योजना को जिला धन धान्य समिति द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके सदस्य प्रगतिशील किसान भी होंगे।
जिला योजनाएं फसल विविधीकरण, जल एवं मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता, तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती के विस्तार के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगी। प्रत्येक धन-धान्य जिले में योजना की प्रगति की निगरानी मासिक रूप से डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर की जाएगी।
आत्मनिर्भर भारत
नीति आयोग ज़िला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन भी करेगा। इसके अलावा, प्रत्येक ज़िले के लिए नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित रूप से योजना की समीक्षा करेंगे, बयान में बताया गया है। जैसे-जैसे इन 100 जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार होगा, देश के लिए प्रमुख निष्पादन संकेतकों के मुकाबले समग्र औसत में वृद्धि होगी।
इस योजना के परिणामस्वरूप कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ेगी, मूल्यवर्धन होगा, स्थानीय आजीविका का सृजन होगा और इस प्रकार घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी तथा आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) प्राप्त होगी। बयान में कहा गया है कि जैसे-जैसे इन 100 जिलों के संकेतकों में सुधार होगा, राष्ट्रीय संकेतक स्वतः ही ऊपर की ओर बढ़ेंगे।