नई दिल्ली। आज़ादी के बाद भी पुलिस द्वारा नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार जारी है। गुलाम मानसिकता रखने वाले नौकरशाह आज भी अंग्रेजों के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। पुलिस की मानसिकता और नागरिकों से अनुचित व्यवहार के शाप को धोने में न्यायपालिका असफल रही है। आज़ादी के इतने वर्षों के बाद अब जाकर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को महिलाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और उनके साथ अनुचित भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
जस्टिस संजीव नरूला की पीठ थोप्पनी संजीव राव नामक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा दर्ज की गई उनकी शिकायत की जांच की मांग की गई। उनका कहना था कि NHRC द्वारा पुलिस को चार हफ़्तों के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश के बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अपनी याचिका में, महिला ने यह भी मांग की कि संबंधित पुलिस थाने में महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने और पुलिस अधिकारियों द्वारा किसी भी महिला के साथ असंसदीय भाषा का प्रयोग न करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाएं। पहली याचिका पर में महिला ने कहा कि पहले के निर्देशों का पालन न करने की स्थिति में NHRC के पास मामले की स्वतः जांच करने की शक्ति है। इस पर न्यायालय ने कहा कि महिला आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए उचित अभ्यावेदन या आवेदन दायर करके आयोग के अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकती है।
दिशा-निर्देश तैयार करने की दूसरी प्रार्थना पर कोर्ट ने कहा , “प्रार्थना बी के संबंध में कोर्ट को ऐसे कोई दिशानिर्देश तैयार करने का कोई कारण नहीं दिखता। यह निर्विवाद है कि पुलिस अधिकारियों से महिलाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने और अनुचित या असंसदीय भाषा का प्रयोग करने से बचने की अपेक्षा की जाती है। इसलिए मांगी गई प्रार्थना गलत है।”
शीर्षक: थोपपानी संजीव राव बनाम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य


