पतंजलि मामला : केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट, कहा ‘हम अंधे नही हैं’

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को खारिज करते हुए कहा कि 'हम अंधे नही हैं'। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वो उदार नहीं होना चाहते। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में केंद्र के जवाब से भी संतुष्ट नहीं है।

DrashtaNews

-राज्य के अधिकारी अवमानना करने वालों के साथ मिले हुए हैं। “आप लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे”  हैं । 

-माफी किसी कागज के लायक नहीं है, जो लिखकर दे दी गई है। माफी मांगना पर्याप्त नहीं है। आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का परिणाम भुगतना होगा। हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते। 

नई दिल्ली। पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने  10 अप्रैल बुधवार को भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के प्रकाशन पर अवमानना मामले में पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण द्वारा दायर माफी के दूसरे हलफनामा खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को खारिज करते हुए कहा कि ‘हम अंधे नही हैं’। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वो उदार नहीं होना चाहते। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में केंद्र के जवाब से भी संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हम आपका दूसरा माफीनामा स्वीकार नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि वो अगली कार्रवाई के लिए तैयार रहें। शीर्ष अदालत ने कहा कि समाज में सही संदेश जाना जरूरी है।

माफी और दाखिल हलफनामे से संतुष्ट नहीं

इस मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने की। बेंच ने वकीलों से कहा अदालत अवमाननाकर्ता को संबोधित करें, तो बीच में न आएं। कार्रवाई शुरू होने के बाद सॉलसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘मैंने उन्हें बिना शर्त माफी मांगने की सलाह दी थी। उनसे मुझे जो मिला था, वह उसी के अनुरूप है।

इसके जवाब में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हम उनकी माफी से संतुष्ट नहीं है। बेंच ने कहा वे सिफारिश में विश्वास नहीं करते, मुफ़्त सलाह हमेशा वैसे ही स्वीकार की जाती है।हम दाखिल हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। कोर्ट ने कंपनी के संस्थापकों के साथ “हाथ मिलाकर” चलने के लिए राज्य के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।

वचन का उल्लंघन

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने पतंजलि और उसके एमडी द्वारा दायर नवीनतम हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें पिछले साल नवंबर में न्यायालय को दिए गए वचन का उल्लंघन करते हुए विज्ञापन प्रसारित करने के लिए “बिना शर्त और अयोग्य माफी” मांगी गई थी। कोर्ट ने पतंजलि के सह-संस्थापक बाबा रामदेव द्वारा दायर माफी हलफनामे को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जो अवमानना ​​कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।

जस्टिस कोहली ने रोहतगी से कहा,

“माफी कागज पर है। उनकी पीठ दीवार से सटी हुई है। हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं, हम इसे वचन का जानबूझकर किया गया उल्लंघन मानते हैं। हलफनामे की अस्वीकृति के अलावा कुछ और के लिए तैयार रहें।”

रोहतगी ने कहा,

“लोग गलतियां करते हैं।”

जस्टिस कोहली ने इस पर जवाब दिया,

“तब उन्हें भुगतना पड़ता है। हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते।”

जस्टिस कोहली ने आगे टिप्पणी की,

“हमें आपकी माफ़ी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए जैसा अदालती उपक्रम को दिखाया गया? हम आश्वस्त नहीं हैं। अब इस माफ़ी को ठुकराने जा रहे हैं।” सुनवाई के अंत में रोहतगी ने कहा कि अवमाननाकर्ता सार्वजनिक माफी मांगने के लिए तैयार हैं। लेकिन कोर्ट ने छूट नहीं दी।

विशेष रूप से, पिछले हफ्ते खंडपीठ ने पतंजलि एमडी के पहले के हलफनामे पर असंतोष व्यक्त किया था, क्योंकि इसमें ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 को “पुरातन” करार देने वाली कुछ टिप्पणियां थीं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने वकीलों को सलाह दी है कि वे पहला हलफनामा वापस ले लें, क्योंकि यह सशर्त शर्तों में लिखा गया और बिना शर्त हलफनामा दाखिल करें। एसजी ने आगे कहा कि वह यह जानने को उत्सुक हैं कि सलाह देने में उन्होंने क्या चूक की। जवाब में, खंडपीठ ने कहा कि एसजी ने वह सब किया जो वह कर सकते थे, लेकिन उनकी सिफारिश के बावजूद हलफनामा ठोस नहीं है और केवल कागज पर है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

“मामले के पूरे इतिहास और उत्तरदाताओं (5-7) के पिछले आचरण को ध्यान में रखते हुए हमने उनके द्वारा दायर नवीनतम हलफनामा स्वीकार करने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है।”

बालकृष्ण, रामदेव ने किये झूठे दावे

बालकृष्ण, रामदेव ने विदेश यात्रा के बारे में झूठे दावे करके व्यक्तिगत उपस्थिति से बचने की कोशिश की। अन्य दिलचस्प घटनाक्रम में न्यायालय ने टिप्पणी की कि पतंजलि के एमडी और बाबा रामदेव ने विदेश यात्रा के झूठे दावे करके न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति से बचने की कोशिश की।

कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद उन्होंने इस आधार पर छूट की मांग करते हुए आवेदन दायर करके “अपनी व्यक्तिगत उपस्थिति से बचने” का प्रयास किया कि वे विदेश यात्रा कर रहे थे। उक्त तथ्य को प्रदर्शित करने के लिए उनके द्वारा कुछ उड़ान टिकटों का हवाला देते हुए हलफनामा दायर किया गया, जो अनुलग्नक के रूप में प्रस्तुत किए गए। न्यायालय ने पाया कि यद्यपि आवेदन 30 मार्च को दायर किए गए, लेकिन “आश्चर्यजनक रूप से पर्याप्त” के रूप में प्रस्तुत किए गए उड़ान टिकटों पर 31 मार्च की तारीख थी।

पिछली सुनवाई के दौरान संबंधित वकील को इस तथ्य का सामना करना पड़ा। नवीनतम हलफनामे में बालकृष्ण और रामदेव ने स्वीकार किया कि टिकट शपथ लेने के एक दिन बाद जारी किए गए और बताया कि हलफनामा दाखिल करने के समय टिकटों की फोटोकॉपी संलग्न की गई।

कोर्ट ने आदेश में कहा,

“तथ्य यह है कि जिस तारीख (30 मार्च) को हलफनामे की शपथ ली गई, उस दिन ऐसा कोई टिकट अस्तित्व में नहीं था। इसलिए धारणा यह है कि उत्तरदाता अदालत के समक्ष अपनी व्यक्तिगत उपस्थिति से बचने की कोशिश कर रहे थे, जो कि सबसे अस्वीकार्य है।”

सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील रोहतगी ने बताया कि मामले में 2 हलफनामे हैं। एक पतंजलि और उसके एमडी (प्रतिवादी संख्या 5 और 6) द्वारा, दूसरा बाबा रामदेव (प्रतिवादी संख्या 7) द्वारा। वरिष्ठ वकील पटवालिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से पीडीएफ डाउनलोड की अनुमति नहीं है।

कोर्ट ने उत्तराखंड के अधिकारियों को फटकार लगाई

उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी सिर्फ फाइलों को आगे बढ़ा रही थी और कुछ नहीं कर रही थी। राज्य के अधिकारी अवमानना करने वालों के साथ मिले हुए हैं। आप लोगों का जीवन बचाने के मामलों को देखते हैं और आप लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।

जब लोगों के पास यह दवाइयां थीं और उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा था तो आपने क्या किया? चार-पांच साल में स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी गहरी नींद में थी…आप पोस्ट ऑफिस की तरह काम कर रहे हैं।

पीठ ने पूछा कि उसे यह क्यों नहीं सोचना चाहिए कि अधिकारी पतंजलि/दिव्य फार्मेसी के साथ ”मिले हुए” हैं। ? आप जानबूझकर अपनी आंखें बंद रखे हुए हैं। हमें अधिकारियों के लिए ‘बोनाफाइड’ शब्द के इस्तेमाल पर सख्त आपत्ति है। हम हल्के में नहीं लेंगे। हम आपको अलग कर देंगे।

अदालत ने कहा कि राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण दिव्य फार्मेसी के खिलाफ निष्क्रियता के कारण “समान रूप से सहभागी” है, जबकि उसके विज्ञापनों में ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम का उल्लंघन करने की जानकारी होने के बावजूद उसने दिव्य फार्मेसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

यह कहते हुए कि वह अन्य अधिकारियों को अवमानना ​​नोटिस जारी करने से बच रही है, अदालत ने निर्देश दिया कि 2018 से आज तक राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण, हरिद्वार के संयुक्त निदेशक का पद संभालने वाले सभी अधिकारी भी अपनी ओर से निष्क्रियता बताते हुए हलफनामा दाखिल करेंगे।

कोर्ट ने पतंजलि से कहा

माफी किसी कागज के लायक नहीं है, जो लिखकर दे दी गई है। माफी मांगना पर्याप्त नहीं है। आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का परिणाम भुगतना होगा। हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते।

एक आदमी दया चाहता है, उन अनगिनत निर्दोष लोगों का क्या जिन्होंने दवा ली? पतंजलि के MDऔर रामदेव ने विदेश यात्रा के झूठे दावे करके अदालत के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होने से बचने की कोशिश की।

केस टाइटल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 645/2022

अवश्य पढ़ें :

गिरफ्तारी को दोष सिद्धि नहीं माना जाता है, जेल से भी CM चला सकते हैं सरकार

सुप्रीम कोर्ट में SBI की अर्जी खारिज, कल तक चुनावी चंदे की देनी होगी जानकारी

SBI को चुनावी बान्ड संख्या का भी खुलासा करना होगा – सुप्रीम कोर्ट

चुनावी बॉन्ड मामला : कुछ भी न छिपाया जाय, SBI सभी जानकारी करे खुलासा : सुप्रीम कोर्ट

औद्योगिक संघ चाहता था ‘चुनावी बांड’ का खुलासा न हो, मीडिया पर लगाना चाहते थे रोक

पतंजलि मामला : केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट, कहा ‘हम अंधे नही हैं’

आपराधिक न्याय संबंधी कानूनी ढांचे ने नए युग में प्रवेश किया – CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

तिरुपति लड्डू में मिलावट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की SIT

Scroll to Top