2004 के बाद अपराधी राजनेताओं की बढ़ी दोगुनी संख्या, ADR ने किया खुलासा

ADR के विश्लेषण में देशभर में राज्य विधानसभाओं और केंद्रशासित प्रदेशों में वर्तमान विधायकों के स्व-शपथ पत्रों की जांच की गई। यह डेटा चुनावी हलफनामों से एकत्रित किया गया था, जो हालिया चुनाव लड़ने से पहले विधायकों ने दायर किए थे।जिस आधार पर ADR की रिपोर्ट सामने आई है। ADR के रिपोर्ट में 28 राज्य विधानसभाओं और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में सेवारत कुल 4,033 में से 4,001 विधायकों को शामिल किया गया है।

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– BJP के सबसे ज्यादा विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज,कांग्रेस दूसरे स्थान पर है। पुलिस कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर चुकी ,लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया

नेताओं पर लगे कुछ आरोप तो मामूली या राजनीतिक हैं, लेकिन ज्यादातर विधायकों के खिलाफ हत्या की कोशिश, सरकारी अधिकारियों पर हमला, और चोरी जैसे गंभीर आरोप थे। 

ईमानदार नेताओं की तुलना में अपराधी नेताओं को मिलता है ज्यादा वोट

नई दिल्ली। भारत की राजनीति अपराधियों से भरी पड़ी हैं। ग्राम प्रधान से लेकर विधायकों और सांसदों के अपराध की चर्चा मिडिया होती रहती है। इस देश में कई ऐसे बड़े नेता हैं जिन पर अपहरण से लेकर, मर्डर तक के मामले चल रहे हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपने विश्लेषण में दावा किया है कि देशभर की राज्य विधानसभाओं में लगभग 44 फीसदी विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है।

 ADR के विश्लेषण में देशभर में राज्य विधानसभाओं और केंद्रशासित प्रदेशों में वर्तमान विधायकों के स्व-शपथ पत्रों की जांच की गई। यह डेटा चुनावी हलफनामों से एकत्रित किया गया था, जो हालिया चुनाव लड़ने से पहले विधायकों ने दायर किए थे।जिस आधार पर ADR की रिपोर्ट सामने आई है। ADR  के रिपोर्ट में 28 राज्य विधानसभाओं और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में सेवारत कुल 4,033 में से 4,001 विधायकों को शामिल किया गया है। 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की एक शर्त के मुताबिक किसी भी नेता को विधायक बनने से पहले एक स्वघोषित हलफनामा फाइल करना होता है।  हलफनामें में कितने आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं इसकी डिटेल जानकारी दी जाती है। इसी हलफनामे के अनुसार भारत के कुल विधायकों में से 44 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।

ADR के मुताबिक, विश्लेषण किए गए विधायकों में से 1,136 या लगभग 28 फीसदी ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की थी। जिसमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित आरोप शामिल हैं।

2004 में यही संख्या 22 फीसदी थी

नेताओं पर लगे कुछ आरोप तो मामूली या राजनीतिक हैं, लेकिन ज्यादातर विधायकों के खिलाफ हत्या की कोशिश, सरकारी अधिकारियों पर हमला, और चोरी जैसे गंभीर आरोप थे। हमारे देश में वर्तमान में कुल 4001 विधायक हैं। जिसमें से 1,777 यानी 44 फीसदी नेता हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे अपराधों में लिप्त रहे हैं। वहीं वर्तमान लोकसभा में भी 43 फीसदी सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं। 

आज से 23 साल पहले यानी 2004 में यही संख्या 22 फीसदी थी, जो कि अब दोगुनी हो गई है। ये आंकड़ा बताता हैं कि राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की लाखों कोशिशों के बावजूद ऐसे विधायकों, सांसदों की संख्या बढ़ती ही जा रही है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं।  

आपराधिक मामलों की घोषणा करने वाले  विधायकों की संख्या 

केरल में 135 में से 95 विधायकों यानी 70 फीसदी ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इसी प्रकार बिहार में 242 विधायकों में से 161 (67 फीसदी), दिल्ली में 70 में से 44 विधायक (63 फीसदी), महाराष्ट्र में 284 में से 175 विधायक (62 फीसदी), तेलंगाना में 72 विधायक 118 विधायकों (61 प्रतिशत) और तमिलनाडु में 224 विधायकों में से 134 (60 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में स्वयं घोषित आपराधिक मामलों का जिक्र किया है।

इसके अलावा ADR ने बताया कि दिल्ली में 70 में से 37 विधायक (53 प्रतिशत), बिहार में 242 में से 122 विधायक (50 प्रतिशत), महाराष्ट्र में 284 में से 114 विधायक (40 प्रतिशत), 79 में से 31 विधायक झारखंड में 39 प्रतिशत, तेलंगाना में 118 में से 46 विधायकों (39 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश में 403 में से 155 विधायकों (38 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की थी।

बलात्कारी विधायक भी रिपोर्ट में हैं शामिल

इस विश्लेषण में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का भी जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, 114 विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से 14 ने अपने खिलाफ आईपीसी धारा 376 के मामलों की घोषणा की। विश्लेषण में आपराधिक रिकॉर्ड के अलावा विधायकों की संपत्ति की भी जांच की गई।

रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य विधानसभाओं में प्रति विधायक औसत संपत्ति 13.63 करोड़ रुपये आंकी गई। हालांकि, घोषित आपराधिक मामलों वाले विधायकों की औसत संपत्ति 16.36 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि बिना आपराधिक मामलों वाले विधायकों की औसत संपत्ति 11.45 करोड़ रुपये आंकी गई। 

पुलिस कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर चुकी ,लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया

यहां ध्यान देने की बात ये है कि क्रिमिनल केस के मामलों का सामना कर रहे इन 1,777 नेताओं पर कोई छोटे-मोटे आरोप नही हैं। ये ऐसे मामले हैं जिनकी जांच पूरी हो चुकी है और पुलिस कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर चुकी है, लेकिन बावजूद इसके इन मामलों पर अब तक कोई फैसला नहीं सुनाया गया है। 

क्रिमिनल केस वाले ज्यादातर नेताओं को न्यायालयों के फैसलों की चिंता इसलिए भी नहीं है, क्योंकि जब तक कोर्ट दोषी पाए जाने का फैसला नहीं सुनाता है तब तक इन नेताओं को चुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता है, यहां तक की जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ा जा सकता है। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो नेताओं के क्रिमिनल केस निपटाने के मामले में मध्यप्रदेश के साथ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ऐसे 3 राज्य हैं जिनमें पिछले 5 सालों में एक भी मामले का निपटारा नहीं किया गया है। 

क्या कहते हैं आंकड़े 

अगर हम इन विधायकों के ऊपर लगे गंभीर आपराधिक मामलों को देखें तो कुल आपराधिक मामले वाले विधायकों में से 1,136 या 28% मामले ऐसे हैं जिनमें दोषी पाए जाने पर आरोपी को पांच साल या उससे ज्यादा की जेल की सजा हो सकती है। 

ADR से मिले आंकड़ों के मुताबिक 47 विधायकों पर हत्या के मामले, 181 पर हत्या के प्रयास के मामले और 114 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले दर्ज हैं। 14 विधायकों पर बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं।  

भारतीय जनता पार्टी – भारत के 15 राज्यों में BJP की सरकार है। इनमें BJP बहुमत के साथ 6 राज्यों में और सहयोगी पार्टियों के साथ 9 राज्यों में सरकार चला रही है। इन राज्यों में बीजेपी में कुल 479 विधायक हैं जिनमें से 337 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।  फिलहाल BJP के सबसे ज्यादा विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं।  

कांग्रेस- आपराधिक मामले वाले विधायकों की लिस्ट में दूसरा स्थान कांग्रेस का है। कांग्रेस के 334 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 194 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

अन्य पार्टियां- अन्य पार्टियों में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति), राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और बीजू जनता शामिल हैं। इन दलों में ऐसे तो विधायकों की संख्या कम है, लेकिन अपराध का प्रतिशत ज्यादा है।  

हर साल बढ़ रहे हैं लंबित मामले 

साल 2018 के दिसंबर महीने जारी किए गए डाटा के अनुसार सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4122 क्रिमिनल केस पेंडिंग चल रहे थे।  जिनमें से 1675 सांसद (पूर्व और वर्तमान) और 2324 विधायक (पूर्व और वर्तमान) हैं।  

दिसंबर के साल 2021 में जारी किए गए डाटा के अनुसार इस साल लंबित मामले 4984 थे। इसका मतलब है कि नेताओं के खिलाफ मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। दिसंबर 2021 में पिछले पांच साल से पेंडिंग मामलों की कुल संख्या 1899 थी।  

नवंबर 2022 के आंकड़ों के अनुसार 5 साल से ज्यादा पेंडिंग मामलों की संख्या 962 थी, हालांकि इस डाटा में देश के 9 उच्च न्यायालयों का आंकड़ा शामिल नहीं किया गया था।  

12 नवंबर 2022 को देश के 16 उच्च न्यायालयों से मिले आंकड़ों के अनुसार विधायकों और सांसदों के खिलाफ 3069 केस पेंडिंग चल रहे थे।  यानी कि यूपी बिहार सहि देश के अन्य 9 हाईकोर्ट का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है। 

ईमानदार नेताओं की तुलना में अपराधी नेताओं को मिलता है ज्यादा वोट

BBC की एक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए कार्नेगी एंडोमेंट में वरिष्ठ फेलो डॉ. वैष्णव ने अपने रिसर्च के बारे में बताया है। उन्होंने तीन आम चुनावों में खड़े सभी उम्मीदवारों का अध्ययन किया। जिसके बाद उन्होंने साफ़-सुथरे रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों और आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को अलग अलग बांटा और पाया कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों की अगले चुनाव जीतने की उम्मीद 18 प्रतिशत है।  जबकि “साफ-सुथरे इमेज वाले प्रत्याशियों की चुनाव जीतने की उम्मीद सिर्फ 6 फीसदी है। 

उन्होंने साल 2003 से लेकर 2009 के बीच होने वाले विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों की भी इसी तरह की एक गणना की थी, जिसके अनुसार “जिन उम्मीदवारों के खिलाफ केस लंबित हैं उन्हें जीत का ज्यादा फायदा मिला”।  

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