नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव के घोषित हो चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने कुल 250 वार्डों में से 134 पर जीत दर्ज की है। वहीं, भाजपा को केवल 104 सीटें मिली है। दूसरी तरफ कांग्रेस को केवल 9 सीटें मिली है और अन्य के खाते में 3 सीटें आई है। इस बीच भाजपा ने हार के बावजूद अपना मेयर बनने का दावा किया है।
मेयर के चुनाव में सांसद भी करते हैं वोट
दिल्ली में MCD के कुल 250 वार्ड होने के बावजूद मेयर चुनने के लिए 260 वोट डाले जाते हैं। दिल्ली में मेयर जिसे महापौर भी कहा जाता है, उसे एमसीडी चुनाव जीतकर आए पार्षद ही चुनते हैं। MCD का कार्यकाल वैसे तो 5 साल का होता है लेकिन मेयर केवल 1 साल के लिए चुना जाता है। दिल्ली में हर साल पार्षद मेयर को चुनते हैं।
MCD में पिछली बार कुल 270 वार्ड थे, लेकिन तीनों MCD का एकीकरण होने के बाद अब कुल 250 वार्ड हैं। 250 वार्ड के बावजूद मेयर के चुनाव में 260 वोट डाले जाएंगे। दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि मेयर को चुनने के लिए अकेले पार्षद ही नहीं दिल्ली के सांसद भी वोटिंग करते हैं। दिल्ली में 7 लोकसभा सांसद हैं तो 3 राज्यसभा सांसद हैं। इसलिए कुल 260 वोट डाले जाएंगे और 131 वोट पाने वाले को मेयर घोषत किया जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली में सातों लोकसभा सांसद भाजपा के और तीनों राज्यसभा सांसद AAP के हैं। MCD सदन की पहली बैठक के बाद ही मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
पहले साल महिला पार्षद बनती है मेयर
दिल्ली में मेयर के चुनाव में पहला साल महिला पार्षद के लिए आरक्षित होता है। पहला साल महिला पार्षद तो तीसरा साल अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित है। वहीं, बाकी बचे 3 साल में मेयर का पद आरक्षित नहीं होता है। हर साल दिल्ली नगर निगम एक्ट के तहत अप्रैल में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होता है।
MCD में भाजपा ने अपना मेयर बनाने का दावा किया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि MCD में दलबदल कानून लागू नहीं होता है। इसके चलते चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस छोड़ AAP में आए पार्षद को अपनी पार्टी में लाने की कवायद कर सकती है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी इस बात का दावा किया है।