दिल्ली नगर निगमों का विलय 22 मई को, विशेष अधिकारी और कमिश्नर की हुई नियुक्ति

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नई दिल्ली। दिल्ली के तीन नगर निगमों का 22 मई को औपचारिक रूप से विलय किया जाएगा। इसके लिए केंद्र ने शुक्रवार को दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों अश्वनी कुमार और ज्ञानेश भारती को एकीकृत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का विशेष अधिकारी और कमिश्नर नियुक्त किया है। गृह मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
एजीएमयूटी कैडर के 1992 बैच के आईएएस अधिकारी अश्वनी कुमार पुड्डुचेरी के मुख्य सचिव थे। वहीं, एजीएमयूटी कैडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश भारती वर्तमान में दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर हैं।

दिल्ली के तीन नगर निगमों का 22 मई को औपचारिक रूप से विलय किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार 22 मई से नगर निगम (संशोधन) कानून 2022 लागू होगा। लोकसभा ने 30 मार्च और राज्यसभा ने पांच अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 18 अप्रैल को इसे अपनी मंजूरी दी थी।

केंद्र सरकार की अधिसूचना

केंद्र सरकार की एक अधिसूचना में कहा गया है कि ‘‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम. 2022 (2022 के 10) की धारा तीन की उप-धारा (एक) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम के गठन के लिए मई 2022 का 22वां दिन निर्धारित करती है। ” दिल्ली नगर निगम को 2011 में तीन भागों में विभाजित किया गया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार थी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार. दिल्ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण क उद्देश्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग। समन्वय एवं रणनीतिक योजना सुनिश्चित करना है।

इस कानून में कहा गया है कि निगम में पार्षदों की कुल संख्या और अनुसूचित जाति समुदायों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण निगम के गठन के समय केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा और सीटों की संख्या 250 से अधिक नहीं होंगी। बिल में यह भी कहा गया है कि निगम की स्थापना के बाद प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर, सीटों की संख्या उस जनगणना में निर्धारित दिल्ली की जनसंख्या के आधार पर होगी और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी।

आम आदमी पार्टी (AAP) समेत कई विपक्षी दलों ने एमसीडी के एकीकरण संबंधी विधेयक का सदन में विरोध किया था। इस विधेयक पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के साथ ‘सौतेली मां’ जैसा व्यवहार कर रही है। जिसके कारण इसका एकीकरण जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा था कि यह विधेयक संविधान के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा था. ‘‘यह विधेयक किसी भी तरीके से संघीय ढांचे पर हमला नहीं है।” शाह ने कहा था कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं। बल्कि एक केंद्रशासित प्रदेश है और संसद के पास दिल्ली के लिए कानून बनाने का अधिकार है।

इस कानून में कहा गया है कि निगम में पार्षदों की कुल संख्या और अनुसूचित जाति समुदायों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण निगम के गठन के समय केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा और सीटों की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी। विधेयक में कहा गया है। ‘‘निगम की स्थापना के बाद प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर. सीट की संख्या उस जनगणना में निर्धारित दिल्ली की जनसंख्या के आधार पर होगी और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी ….”

जरूरत से अधिक हो जाएंगे कर्मचारी
दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) का कार्यकाल दो दिन पहले बुधवार को समाप्त हो गया। निकाय के अधिकारियों ने कहा कि तीन नगर निगमों के विलय के बाद। लगभग 700 कर्मचारी ‘‘आवश्यकता से अधिक” हो जाएंगे और नई प्रणाली के लिए उन्हें समायोजित करना एक चुनौती होगी। अधिकारियों ने कहा कि 22 मई तक तीनों नगर निगमों को भंग कर दिया जाएगा। इससे एकीकृत दिल्ली नगर निगम (MCD) के लिए मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) का कार्यकाल 19 मई को समाप्त होगा। जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) का कार्यकाल 22 मई को पूरा होगा।
SDMC की स्थायी समिति के अध्यक्ष बीके ओबेरॉय ने कहा कि दक्षिण नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि नगर निगमों के एकीकरण से पहले कर्मचारियों की सूची बनाने की कवायद चल रही है। प्रत्येक विभाग में कर्मचारियों की संख्या में एक-तिहाई की कमी होने की संभावना है। एकीकृत एमसीडी में नए प्रशासन के लिए इन कर्मचारियों को समायोजित करना एक चुनौती होगी. उनके बारे में अभी तक निर्णय नहीं हुआ है। ”

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