आदमखोर सत्ता के पुजारी

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SUNDAY, 3 OCTOBER 2021

रविकांत सिंह 'द्रष्टा'
रविकांत सिंह ‘द्रष्टा’

किसान क्रांति : गरीबों के निवाले भी सियासत, छीन लेती है- पार्ट 6

 यह घटना न केवल एक अहंकारी सत्ता के हाथों किसानों को मारे जाने की है और न ही एक बद्जात,   क्रूर आतताई द्वारा गाड़ी से कूचले जाने वाले किसानों की मौत के बारे में है। बल्कि यह घटना उस   विषय और प्रश्नों की ओर ले जाती है कि क्यों चॉंद और मंगल तक पहुंच बनाने वाली मानव सभ्यता के   समकालीन ऐसी क्रूर घटनाएं हो रही है?

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में 3 अक्टूबर को गृह राज्य मंत्री भारत सरकार अजय मिश्रा के बेटे ने किसानों को कुचलकर मारडाला। सत्ता शक्ति के ओवरडोज से पगलाये आशीष उर्फ मोनू मिश्रा ने दर्जन भर किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी। खबर मिलने तक 5 किसानों की मौत हो चूकी है और कई घायल अस्पताल में दर्द से चीख-चिल्ला रहे हैं। घटना के तुरन्त बाद ही प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी ताकि किसानों की चिख-पुकार कोई सून न सके। इसके बावजूद तमाम हमदर्द किसान नेता और राजनेता दलबल सहित लखीमपुर खीरी के लिए कूच कर चूके हैं। आदमखोर सत्ता और उसके पुजारियों को लेकर किसानों में आक्रोश की ज्वालाएं भड़क रही हैं।

किसान नेता राकेश टिकैत और भारतीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी लखीमपुर खीरी देर रात तक पहुंच गये हैं। राकेश टिकैत किसानों के बीच पंचायत कर रहे हैं तो वहीं भारतीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने कहा है कि घटना में जो भी संलिप्त होगा सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही उन्होंने अपील किया है कि क्षेत्र के लोग किसी के बहकावे में न आवें।

‘जय जवान और जय किसान’ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री और अहिंसा के पुजारी महात्मा गॉंधी के रास्ते चलने की बात करने वाले अब पंचायत में क्या निर्णय लेते हैं। इस बात को ‘द्रष्टा’ समय पर छोड़ रहा है। हिंसक विचार रखने वालों के सरगना व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस प्रमुख को तलब किया है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशान्त कुमार, आयुक्त और आईजी लखनऊ मौके पर मौजूद हैं।

उत्तम कार्यों में कृषि कार्य सर्वोंत्तम कार्य है। प्रागैतिहासिक काल से लेकर आज तक की जो मानव सभ्यता फलफूल रही है उसका आधार ही खेती और किसान हैं। इसके बावजूद खेत हड़पे और किसान कूचले जा रहे हैं। देश का भविष्य उस संक्रान्ति काल से गुजर रहा है जिसका जिक्र ‘द्रष्टा’ करता आ रहा है। यह घटना न केवल एक अहंकारी सत्ता के हाथों किसानों को मारे जाने की है और न ही एक बद्जात, क्रूर आतताई द्वारा गाड़ी से कूचले जाने वाले किसानों की मौत के बारे में है। बल्कि यह घटना उस विषय और प्रश्नों की ओर ले जाती है कि क्यों चॉंद और मंगल तक पहुंच बनाने वाली मानव सभ्यता के समकालीन ऐसी क्रूर घटनाएं हो रही है?

आत्महत्या से मरने वाले किसानों की खबरे विशेष नहीं है लेकिन लखीमपुर खीरी में मरने वाले किसानों की घटना विशेष है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के आतताई पुत्र ने अहंकार में चूर बड़ी ही निर्दयता से अहिंसक प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ी से कुचल कर मार डाला। सत्ता का इतना नशा और वीभत्स चेहरा केवल फिल्मों में देखने को मिलता है। अब लखीमपुर खीरी की घटना नई पीढ़ी अपनी आँखों से देख रही है। सभ्य कहने वाले मानव का व्यवहार जानवरों की तरह अब भी है।
आत्महत्या करना पाप है परिस्थितियों का मुकाबला करना सत्यकर्म है। ऐसी बातें सोचकर किसानों ने परिस्थितियों से मुकाबले की ठानी। तो, श्रम का महत्व न समझने वाली सत्ता ने सत्यकर्म करने वाले किसानों को भ्रष्ट व्यवस्था के पोषकों के हवाले कर दिया। द्रष्टा देख रहा है कि जमीन पर गिद्ध दृष्टि जमाए कारपोरेट किसानों को जीने नहीं दे रहा है। लगातार कृषि और किसानों की हालत खराब करने में जूटा है। ………….क्रमशः जारी है

…………..(व्याकरण की त्रुटि के लिए द्रष्टा क्षमाप्रार्थी है )

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