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आपराधिक न्याय संबंधी कानूनी ढांचे ने नए युग में प्रवेश किया – CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज नई आपराधिक न्याय व्यवस्था के कानूनों को लागू करने का स्वागत करते हुए इसे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण पल बताया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि “नए अधिनियमित कानूनों के कारण आपराधिक न्याय संबंधी भारत के कानूनी ढांचे ने नए युग में प्रवेश किया है।” कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा, अपराधों की जांच और अभियोजन को कुशलतापूर्वक काम करने के लिए बहुत जरूरी सुधार पेश किए गए हैं।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नए आपराधिक न्याय कानूनों के अधिनियमन को समाज के लिए ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित किया।  उन्होंने कहा कि नए कानून तभी सफल होंगे जब वे लोग इन्हें अपनाएंगे, जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि नए अधिनियमित कानूनों के कारण आपराधिक न्याय संबंधी भारत के कानूनी ढांचे ने नए युग में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा करने और अपराधों की जांच एवं अभियोजन में कुशलता के लिए अत्यावश्यक सुधार किए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत तीन नए आपराधिक कानूनों के भावी कार्यान्वयन के जरिए अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है… ये कानून हमारे समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण को दर्शाते हैं क्योंकि कोई भी कानून, हमारे समाज के दिन-प्रतिदिन के आचरण को आपराधिक कानून जितना प्रभावित नहीं करता।”

सीजेआई ने कहा, ‘‘संसद द्वारा इन कानूनों को अधिनियमित किया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत बदल रहा है एवं आगे बढ़ रहा है और मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए कानूनी उपकरणों की जरूरत है।” इस सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे।

गौरतलब है कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए लागू किए गए तीन कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1 जुलाई से लागू होंगे। हालांकि गाड़ियों के ड्राइवरों के हिट-एंड-रन के मामलों से संबंधित कानूनों को तुरंत लागू नहीं किया जाएगा। इन तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को अपनी सहमति दे दी थी।

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