नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में बजट-2023 पेश किया। इसमें वैसे तो कई अहम ऐलान किए गए हैं, लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में भारी कटौती की गई है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को इस बार 2023-24 के लिए 3097 करोड़ रुपये मिले हैं जबकि 2022-2023 में यह राशि 5020 करोड़ थी। हालांकि 2022-2023 में इसमें से सिर्फ 2612 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए थे। मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन बन्द होने के करीब है इसके लिए सिर्फ़ 10 लाख का प्रावधान किया गया है। ‘नई मंज़िल’ को भी सिर्फ 10 लाख का बजट दिया गया है।
इसी तरह स्किल डेवलपमेंट के लिए भी सिर्फ 10 लाख रुपये का प्रावधान किया है। पिछले साल स्किल डेवलपमेंट का 100 करोड़ का बजट था। यूपीएससी (UPSC) की तैयारी के लिए अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स के लिए चलने वाली स्कीम बन्द कर दी गई है। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि पैन अब राष्ट्रीय पहचान पत्र के रूप में जाना जाएगा। बजट में घोषणा की गई कि इलेक्ट्रिक वाहन, ऑटोमोबाइल, खिलौने और देसी मोबाइल सस्ते होंगे। वहीं, चिमनी, कुछ मोबाइल फोन और कैमरे के लेंस, सिगरेट सोना, चांदी, प्लैटिनम महंगा होगा।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि 2014 से सरकार के प्रयासों ने सभी नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाया है। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। इन 9 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था आकार में 10वें से 5वें स्थान पर पहुंच गई है। वित्त मंत्री ने घोषणा की कि युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि कोष बनाया जाएगा। वहीं, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड पर काम किया जाएगा।
अगले साल लोक सभा चुनाव होने के चलते मोदी सरकार के लिए यह बजट काफी अहम माना जा रहा था। आम चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होने के चलते लोगों और कॉरपोरेट सेक्टर को भी इससे बड़ी उम्मीदें थीं।
गौरतलब है कि बजट-2023 में महिलाओं, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई ऐलान किए गए हैं। इस बार बजट की सबसे बड़ी बात यह रही कि टैक्स स्लैब में बदलाव की घोषणा की गई है। नया टैक्स सिस्टम चुनने वालों के लिए रिबेट की लिमिट 7 लाख रुपये कर दी गई। बजट में सैलरीड क्लास को एक और राहत दी गई है। वित्त मंत्री ने साथ ही बजट की सात प्राथमिकताएं भी बताई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि समावेशी विकास, अंतिम छोर तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, युवा और वित्तीय क्षेत्र बजट की प्राथमिकताएं हैं।
बजट की मुख्य बातें –
-सरकार ने नई टैक्स प्रणाली के स्लैब्स में बदलाव करते हुए 3 लाख रुपये की आय को कर से मुक्त कर दिया है. वहीं, 7 लाख रुपये तक की आय को रिबेट के दायरे में ला दिया गया है। यानी प्रभावी रूप से 7 लाख तक की आय पर वेतनभोगी नागरिकों को कोई टैक्स नहीं देना होगा।
टैक्स स्लैब्स को 7 की जगह 5 कर दिया है।
-ये स्लैब्स इस प्रकार हैं- 0-3 लाख तक कोई टैक्स नहीं, 3-6 लाख तक की आय पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख आय पर 10 फीसदी आयकर, 9-12 लाख तक – 15 फीसदी, 12-15 तक 20 फीसदी, 15 लाख से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स
– रेलवे को 2.4 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया गया है. करीब 10 सालों में ये सर्वाधिक एलोकेशन है। यह पिछले साल के बजट से 4 गुना और 2013-14 के बजट से 9 गुना अधिक है।
-सरकार लंबी अवधि कैपिटल एक्सपैंडिचर पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च करेगी। इसके पीछे सरकार का मकसद कोविड-19 के बाद रुकी विकास दर को एक बार फिर रफ्तार देना है। यह 2023-24 में भारत की GDP का 3.3 फीसदी हिस्सा है।
-वाण्जियिक विवादों के निपटारे के लिए सरकार एक नई विवाद निपटारा योजना लाएगी।
-आधार और डिजीलॉकर के माध्यम से एक ही जगह पर सभी पहचान पत्र को अपडेट करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। चुनिंदा सरकारी एजेंसियों के सभी डिजिटल सिस्टम के लिए पैन को एक कॉमन पहचान पत्र के रूप में देखा जाएगा।
-मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य 6.4 फीसदी रहेगा। वहीं, 2023-24 के लिए इसे GDP के 5.9 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा जाएगा। कृषि क्षेत्र में कर्ज का लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपये किया गया है। PM आवास योजना के लिए फंड आवंटन को 66 फीसदी बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
-सरकार ने 7 प्राथमिक क्षेत्रों को चिह्नित किया है जिस पर प्रमुखता से काम किया जाना है। ये हैं सबका साथ, सबका विकास, अंत्योयद, ग्रीन ग्रोथ, यूथ, फाइनेंशियल सेक्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इनवेस्टमेंट, सामर्थ्य को बढ़ाना। इन क्षेत्रों पर प्रमुखता से काम किया जाएगा।
-सरकार का लक्ष्य 2030 तक 5 मीट्रिक टन हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करना है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरकार चाहती है ग्रीन फ्यूल को बढ़ावा दिया जाए।