-राज्य सरकार ने कहा- हालात पर है नजर
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन शुरू हो गया है। जारी आंदोलन के बीच हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और आंदोलनकारियों को कई़ निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखें और प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखें। राज्य सरकार को इसके लिए तत्काल कदम उठाए। आंदोलनकारियों को भी निर्देश दिया कि वे ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़े।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति अरुण पेडनेकर की बेंच के निर्देश पर औरंगाबाद बेंच के सामने हुई सुनवाई पर अदालत ने कहा “विभिन्न तरीकों से विरोध करना हर किसी का मौलिक अधिकार है। लेकिन, इसके कारण राज्य में कानून-व्यवस्था न बिगड़े, इसका हमें ध्यान रखना होगा। चूंकि प्रदर्शनकारियों को विरोध करने का अधिकार है, इसलिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है।”
मराठा आरक्षण को लेकर जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल , राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति, विभिन्न तत्वों की परस्पर विरोधी मांगों, विभिन्न जातियों और समुदायों पर इसके प्रभाव और स्वास्थ्य को लेकर चिंताओं के कारण उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई।
नीलेश शिंदे द्वारा दायर याचिका में बताया गया कि 29 अगस्त से आंदोलन चल रहा है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन भी हो रहा है और इसके कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी है। करीब 14-15 बसें जला दी गई हैं। जारांगे की तबीयत भी बिगड़ती जा रही है। राज्य सरकार को उनकी स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि राज्य सरकार जारांगे की सेहत को लेकर पूरी तरह चिंतित है। इसी तरह प्रदेश में जगह-जगह चल रहे आंदोलनों पर भी राज्य सरकार की नजर है। कई मंत्रियों ने जारांगे से अनशन वापस लेने के लिए चर्चा की है और संवाद जारी है। हम उन्हें पूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।