‘अग्निवीर’ अमृतपाल की मौत पर नहीं दिया गया ‘गार्ड ऑफ ऑनर’
-सेना के अनुसार, मृत्यु का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है
नई दिल्ली। मानसा जिले के गांव कोटली कलां के महज 19 साल के अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सर्वोच्च बलिदान दिया है। बलिदानी का शुक्रवार को गांव कोटली कलां में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। रेजिमेंट 10-जेके राइफल्स के जवानों, पुलिस व सिविल प्रशासन और पूर्व सैनिकों ने पुष्पचक्र अर्पित कर बलिदानी को सलामी दी।
एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को लगी बंदूक की गोली से चोट लगने के कारण मृत्यु हो गई। सेना के अधिकारियों ने मौत के कारणों के अधिक विवरण पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी हो रही है। मृतक के पार्थिव शरीर, एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंक के लोगों के साथ, अग्निवीर की यूनिट द्वारा किराए पर ली गई एक सिविल एम्बुलेंस में ले जाए गए। अंतिम संस्कार में उनके साथ सेना के जवान भी शामिल हुए।
सेना के अनुसार, मृत्यु का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है, मौजूदा नीति के अनुसार कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया गया था। अग्निवीर अमृतपाल सिंह को सैन्य अंतिम संस्कार न दिए जाने पर सेना द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया और सेना के अधिकारियों ने फर्जी खबरों का खंडन किया है।
सेना का मुताबिक, मृत्यु का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है, इसलिए साथ आए कर्मी सिविल ड्रेस में थे और मृतक को कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार नहीं दिया गया। यह इस विषय पर मौजूदा नीति के अनुरूप है. नियमों और पूर्व उदाहरणों के अनुरूप मृतक को पूरा सम्मान दिया गया है।
पंजाब सरकार परिवार के साथ
अमृतपाल सिंह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। ट्रेनिंग के बाद करीब डेढ़ माह पहले ही छुट्टी काटकर वह ड्यूटी पर जम्मू-कश्मीर गए थे। अमृतपाल सिंह एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से थे। सेना में भर्ती होने से पहले अमृतपाल सिंह अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बंटाते थे। अमृतपाल सिंह को कंबाइन और ट्रैक्टरों का बहुत शौक था।
अमृतपाल सिंह 10 दिसंबर 2022 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। 11 अक्तूबर को गोली लगने से बलिदान दिया। शहीद अमृतपाल सिंह की बहन कनाडा में रहती हैं। पिता गुरदीप सिंह ने कहा कि अमृतपाल ने अपनी भतीजी की शादी के लिए छुट्टी ली थी। कनाडा में रहने वाली बहन और अमृतपाल सिंह एक साथ घर आने वाले थे।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सैनिक अमृतपाल सिंह के बलिदान पर गहरा दुख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमृतपाल सिंह मानसा जिले के गांव कोटली कलां के रहने वाले थे। यह देश के लिए खास तौर पर परिवार के लिए अपूर्णीय कमी है। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार के साथ गहरी हमदर्दी जाहिर करते हुए कहा कि इस दुख की घड़ी में पंजाब सरकार परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने अपनी ड्यूटी पूरे समर्पण और पेशेवर वचनबद्धता के साथ निभाई। भगवंतमान ने कहा कि उनका बलिदान हमेशा नौजवानों को प्रेरित करता रहेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की नीति के मुताबिक पीड़ित परिवार को वित्तीय सहायता दी जाएगी।