प्रमुख पनडुब्बी परियोजना से पीछे हटा फ्रांस

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नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूरोप के दौरे पर हैं। उनका अलगा पड़ाव फ्रांस है, जहां वो दूसरी बार चुने गए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी मुलाकात करेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे से पहले यहां के बड़े डिफेंस नेवी समूह ने भारत को बड़ा झटका दिया है। फ्रांस के नौसेना समूह ने आज कहा कि वह केंद्र की पी-75आई परियोजना में भाग लेने में असमर्थ है, जिसके तहत छह पारंपरिक पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना के लिए घरेलू स्तर पर बनाया जाना था। कंपनी ने घोषणा की है कि वह भारत में 43 हजार करोड़ रुपए के P-75 इंडिया प्रोजेक्ट में भाग नहीं लेगी।

स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत सबसे बड़ा प्रोजेक्ट

रिपोर्ट के मुताबिक ये प्रोजेक्ट 43 हजार करोड़ रुपए का है, जो नए स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के तहत अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर भारत में पनडुब्बियों का निर्माण और भारत की कंपनी को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया जाना था। इस प्रोजेक्ट के लिए पांच अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने से इनकार करते हुए कंपनी ने कहा है कि वो रिक्वेस्ट फोर प्रपोजल यानी आरएफपी की शर्तें पूरी नहीं कर सकता है, जो कि एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम (एपीआई प्रणाली) से संबद्ध है और इसलिए वो इस परियोजना से पीछे हट रहा है।
पिछले साल जून में, रक्षा मंत्रालय ने P-75I परियोजना को मंजूरी दी थी और बाद में, दो शॉर्टलिस्ट की गई भारतीय कंपनियों – निजी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो और राज्य द्वारा संचालित मझगांव डॉक्स लिमिटेड को RFP जारी किए गए थे। दो भारतीय कंपनियों (जिन्हें रणनीतिक साझेदार कहा जाता है) को पांच शॉर्टलिस्ट की गई विदेशी कंपनियों में से एक के साथ गठजोड़ करना है – थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (जर्मनी), नवांटिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस), देवू (दक्षिण कोरिया) और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट (रूस) -जो फिर आरएफपी को जवाब दें।

गौरतलब है कि यह प्रोजेक्ट (P-75I) भारत में पनडुब्बियां बनाने की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है। नेवल ग्रुप ने ये प्रोजेक्ट मझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डिंग नाम की भारतीय कंपनी के साथ किया है। जिसकी डील फ्रांस के साथ 2005 में हुई थी।

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