– “देश में ऐसी कोई संस्था नहीं बची है। मुझे गहरी चिंता है कि पुराने संघवाद और सर्वसहमति बनाने की व्यवस्था लगातार खत्म हो रही है।
कोलकता। पश्चिम बंगाल के पूर्व वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकर और वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में GST परिषद जैसी संस्था से भी संघवाद खत्म सा होता जा रहा है। ये काउंसिल एक विषाक्त माहौल में कार्य कर रही है। उन्होंने केंद्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में 1,25,593 करोड़ रुपए से अधिक की GST धोखाधड़ी सामने आई।
GST के भविष्य को चिंताजनक बताते हुए अर्थशास्त्री अमित मित्रा ने कहा कि GST परिषद का माहौल ‘विषाक्त’ हो गया है। अमित मित्रा कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज (NUJS) में GST की सफलता पर केंद्रित विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
मित्रा ने बताया कि साल 2017 में नई कर व्यवस्था के अस्तित्व में आने के बाद से GST परिषद के कामकाज में 5 साल में किस तरह से बदलाव आया है। उन्होंने कहा, “12 किलोमीटर अपतटीय के लिए कराधान का मुद्दा था। विभिन्न राजनीतिक दलों के शासन वाले आठ राज्य एक साथ आए थे। मुझे गुजरात के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की याद आती है, वे मेरे पास आए और कहा, डॉ मित्रा आप नेतृत्व करें, और मैं आपका समर्थन करूंगा। वे बीजेपी में थे। तब आपके पास बीजेपी थी, आपके पास कर्नाटक में कांग्रेस थी, तमिलनाडु, केरल में माकपा थी। समुद्र तटीय राज्यों पर शासन करने वाले सभी राजनीतिक दलों के साझा हित थे। मुझे याद है कि जेटली ने एक ब्रेक लिया था। हम एक साथ बैठे और कहा कि सर, हम इसे पास नहीं होने देंगे ताकि आपका केंद्र पूरी कराधान प्रक्रिया अपने हाथ में ले सके। दिलचस्प बात यह है कि यह एक कॉलेजियल का माहौल था, एक आम सहमति का माहौल था।”
मित्रा ने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सहमति व्यक्त की और कहा कि उन्हें ‘हाउस’ की समझ है। मित्रा ने कहा कि, “उन्होंने केंद्र सरकार के अधिकारियों से मुंह पर साफ कहा, इसे वापस लें। यह राज्यों के पास रहेगा। वह माहौल चला गया है। अब परिषद में माहौल बहुसंख्यकता की है। यह तब शुरू हुआ जब मैं वहां था। वास्तव में, कई बार जहरीला होता है और कभी-कभी कटुतापूर्ण। सबसे दुखद बात यह है कि कभी-कभी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा पाते हैं। ”
मित्रा ने तर्क देते हुए कहा कि GST परिषद आज देश में एकमात्र ऐसी संस्था है जो पूरी तरह से संघवादी है। उन्होंने कहा कि परिषद के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री हिस्सा हैं, जिसकी अध्यक्षता देश की वित्त मंत्री करती हैं। पश्चिम बंगाल सरकार के वित्तीय सलाहकार मित्रा ने कानून के छात्रों, वकीलों और कर प्रेक्टिशनरों की एक सभा में कहा कि, “देश में ऐसी कोई संस्था नहीं बची है। मुझे गहरी चिंता है कि पुराने संघवाद और सर्वसहमति बनाने की व्यवस्था लगातार खत्म हो रही है। पहले 3 साल में यह पूरी तरह से पार्टी लाइनों से हटकर आम सहमति पर आधारित थी। ”
बता दें कि अमित मित्रा वर्तमान में बंगाल के मुख्यमंत्री के प्रधान मुख्य सलाहकार हैं। उनके पास कैबिनेट मंत्री की रैंक है। मित्रा ने GST पर भाजपा के बदलते रुख की ओर भी इशारा किया। उन्होंने सवाल किया कि जीएसटी का विरोध पहले किसने किया? उन्होंने कहा कि उस वक्त वे विज्ञान भवन में मौजूद थे जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व करने के लिए नामित किया गया था। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने GST का कड़ा विरोध किया।
25,593 करोड़ की GST धोखाधड़ी
मित्रा ने यह भी कहा कि जीएसटी का मौजूदा ढांचा धोखाधड़ी से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि, “नंदन नीलेकणि ने GST काउंसिल के सामने एक प्रजेंटेशन दिया और उन्होंने क्या पाया? उन्होंने 2020 तक 70,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पाई। उन्होंने इसे दो भागों में बांट दिया। एक अतिरिक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी है, जो लगभग 38,771 करोड़ रुपये की थी। कितने लोगों ने यह इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी की और उन्होंने इसे कैसे किया ? कागजी कंपनियां बनाएं, कागजी लेनदेन करे और फिर सरकार से आपको इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान करने के लिए कहा। ऐसे कितने लोग इसमें लगे थे? 42,618 मामले हैं।
38,771 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी केवल इनपुट टैक्स क्रेडिट में। घोषणा के तहत तब एक और श्रेणी थी। वह कितनी थी ? 31,247 करोड़ रुपये। कितने लोग अंडर डिक्लेरेशन में शामिल थे ? 97,853 मामले। इसलिए, 2020 तक जीएसटी काउंसिल में नीलेकणि के आधिकारिक प्रजेंटेशन के अनुसार कुल 70,018 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आई। लेकिन इस पर बहस नहीं हुई है।” उन्होंने प्रश्न किया, ”आप इसे कैसे रोकेंगे ?”
बंगाल के पूर्व वित्त मंत्री अमित मित्रा ने राज्यसभा में MoS वित्त पंकज चौधरी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को लेकर 2020 के बाद हुई धोखाधड़ी के आंकड़ों का हवाला दिया। केंद्र के आंकड़ों का जिक्र करते हुए मित्री ने कहा, “2020 के बाद जीएसडी धोखाधड़ी कुल 55,575 करोड़ रुपये थी और कुल धोखाधड़ी के मामले 22,300 थे। लेकिन सटीक आंकड़ा मेरे पास है, जिसके अनुसार जीएसटी धोखाधड़ी कुल 1,25,593 करोड़ रुपये की हुई।” श्री मित्रा ने कहा, आंकड़े केंद्र सरकार की घोषणाएं थीं और अगर राज्य के आंकड़ों को ध्यान में रखा जाए, तो यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।