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सोनम वांगचुक के मुहिम को द्रष्टा फॉउण्डेशन और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन (IHRO) का समर्थन

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-सोनम वांगचुक को हिरासत में लेने पर गरमाई राजनीति, बवाना थाने मिलने जा रहीं CM आतिशी

-लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने कि मांग?

नई दिल्ली। लद्दाख से यात्रा लेकर आए सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को दिल्ली की सीमा रोकने पर दिल्ली में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक समेत लद्दाख के करीब 126 लोगों को दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से हिरासत में लिया। वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे। दिल्ली में धारा 163 लागू होने के कारण पांच या पांच से अधिक लोग एक साथ प्रवेश नहीं कर सकते हैं।

जानकारी के अनुसार, सोनम वांगचुक लद्दाख से राष्ट्रीय राजधानी तक पैदल मार्च करते सिंघु बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश करने वाले थे। पुलिस वांगचुक समेत हिरासत में लिए गए लोगों को अलीपुर और शहर की सीमा से लगे अन्य पुलिस थानों में ले गई है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को वापस जाने को कहा गया, लेकिन जब वो नहीं रुके तो सीमा पर पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने वांगचुक समेत करीब 150 लोगों को हिरासत में ले लिया।

दरअसल, साल 2019 के बाद से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है। पर्यावरण संरक्षक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने एक सितंबर से लद्दाख से दिल्ली चलो पदयात्रा शुरू की थी। वे लगातार लद्दाख के मुद्दों, लेह और कारगिल से जुड़ी मांगों को उठा रहे हैं. वांगचुक का कहना है कि अब तक केंद्र सरकार मामले को लटकाए हुए है।

– लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।

– संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।

– लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया हो।

– लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें घोषित की जाएं।

इससे पहले इसी साल मार्च में भी सोनम वांगचुक ने 21 दिनों का अनशन किया था। उन्होंने सिर्फ नमक और पानी पीकर अनशन किया था।  वांगचुक ने सरकार पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण देने का वादा तोड़ने का आरोप लगाया था।

आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर हमला बोला है। वहीं मुख्यमंत्री आतिशी दोपहर एक बजे उनसे मिलने बवाना थाने जा रही हैं। केजरीवाल ने केंद्र की मोदी सरकर पर हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली में आने से कभी किसानों को रोकते हैं, कभी लद्दाख के लोगों को रोकते हैं। कहा कि दिल्ली में आने का सब को अधिकार है, किसी को रोकना सरासर ग़लत है। कहा कि निहत्थे शांतिपूर्ण लोगों से आख़िर इन्हें क्या डर लग रहा है?

जलवायु कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को राजघाट पर धरने पर बैठने की योजना बनाई थी। सोनम वांगचुक के हिरासत में लिए जाने पर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने देर रात अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर कहा, “पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक और सैकड़ों लद्दाखयों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है।”

उन्होंने कहा, “लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों नागरिकों को दिल्ली बॉर्डर पर क्यों डिटेन किया जा रहा है? मोदी जी, किसानों की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी। आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी।”

अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के अध्यक्ष डॉ नेम सिंह प्रेमी और द्रष्टा फाउंडेशन के अध्यक्ष रविकांत सिंह ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के को शुरुआत से समर्थन दे रहे हैं।  डॉ नेम सिंह प्रेमी ने कहा कि लद्दाख में जलवायु परिवर्तन से मानव के लिए खतरा है।  सरकारों का उदासीन रवैया भविष्य के लिए एक संकट खड़ा कर रहा है। केंद्र सरकार को सोनम वांगचुक के मुहीम को प्राथमिकता देते हुए विचार करना चाहिए और काम करना चाहिए।  लेकिन सरकारी तंत्र अंग्रेजों कि तरह फिर तानाशाही दिखा रही है।  सोनम वांगचुक कि आवाज दबाने कि कोशिश देश- दुनिया के हिट में नहीं है।

द्रष्टा फाउंडेशन के अध्यक्ष रविकांत सिंह ने कहा कि भारत में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है केंद्र और राज्य कि सरकारों के पास आंकड़े भी हैं। लेकिन सरकारी तंत्र केवल अर्थव्यवस्था को बनाने के चक्कर में पर्यावरण का गाला घोटने में लगा है।  जो सडकों पर निकल कर देश -दुनिया को जागृत कर रहा है।  सरकार को परिस्थितियों कि जो व्यक्ति सूचना दे रहा है उसे सरकार जेलों में भर रही है। सोनम वांगचुक कई महीनों से लद्दाख के मामले को उठा रहे हैं।

विकेन्द्रीकरण कर समस्यों से निपटने का मार्ग भी बता रहे हैं।सोनम वांगचुक को रोककर दरकार  सरकार पाप और अज्ञानता कि सारी सीमाएं लांघ रही है। सरकार का यह रवैया हम सबको भूमण्डल के विनाश की ओर धकेल रही है। देश के हर नागरिकों को अपने नागरिक धर्म का पालन करते हुए सोनम वांगचुक का समर्थन करना चाहिए।

लद्दाख पहले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं है।

क्या है छठी अनुसूची?

सोनम वांगचुक लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में जानिए क्या है छठी अनुसूची? दरअसल, संविधान का अनुच्छेद 244 देश में अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। अनुच्छेद 244 की छठी अनुसूची में चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम आते हैं।

वहीं बाकी राज्य पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं. छठी अनुसूची में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित विशेष प्रावधान है। इसके तहत विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक जैसे कुछ मामलों पर कानून बनाने का अधिकार भी है।

मुझे और मेरे 150 पदयात्रियों को दिल्ली सीमा पर 1000 से ज्यादा की पुलिस तैनात की गई है. कई बुजुर्ग लोग और महिलाओं की उम्र 80 साल से ऊपर है और कई दर्जन लोग आर्मी के रिटायर अफसर हैं। आगे क्या होगा, हमें नहीं मालूम। हमें बस में ले जाया जा रहा है। हो सकता है कि आगे हमें डिटेन किया जाए या अरेस्ट कर लिया जाए। आगे हमें कहा ले जाएंगे ये नहीं पता. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हम बापू की समाधि की तरफ एक सबसे शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे… हे राम!

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