पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में अशोक गहलोत को क्लीन चिट

राजस्थान संकट ने 17 अक्टूबर को होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों में उथल-पुथल मचा दी। दो दशक से अधिक समय में पहली बार गांधी परिवार को कोई भी सदस्य इस मुकाबले में शामिल नहीं है।राजस्थान में सियासी खींचतान को लेकर कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है। इसमें अशोक गहलोत के 3 करीबियों के खिलाफ 'अनुशासनात्मक कार्रवाई' की सिफारिश की गई है। शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जयपुर में बतौर पर्यवेक्षक गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी जो रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है उसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को क्लीन चिट दे दी गई है। सूत्रों के अनुसार पर्यवेक्षकों ने नौ पन्नों की अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है। इस रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने कहा कि रविवार को राजस्थान में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ उसमें अशोक गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इसका मतलब यह हुआ कि कई विधायक खुद ही CP जोशी के पास गए थे और वहां जाकर अपना इस्तीफा दिया था। इतना ही नहीं शांति सिंह धारीवाल के घर हुई विधायकों की मीटिंग में भी गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इस रिपोर्ट में बैठक बुलाने वाले नेताओं पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

DrashtaNews

नई दिल्ली। राजस्थान संकट ने 17 अक्टूबर को होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष चुनावों में उथल-पुथल मचा दी। दो दशक से अधिक समय में पहली बार गांधी परिवार को कोई भी सदस्य इस मुकाबले में शामिल नहीं है।राजस्थान में सियासी खींचतान को लेकर कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है। इसमें अशोक गहलोत के 3 करीबियों के खिलाफ ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ की सिफारिश की गई है। शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जयपुर में बतौर पर्यवेक्षक गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी जो रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है उसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को क्लीन चिट दे दी गई है। 

सूत्रों के अनुसार पर्यवेक्षकों ने नौ पन्नों की अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी है। इस रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने कहा कि रविवार को राजस्थान में जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ उसमें अशोक गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इसका मतलब यह हुआ कि कई विधायक खुद ही CP जोशी के पास गए थे और वहां जाकर अपना इस्तीफा दिया था। इतना ही नहीं शांति सिंह धारीवाल के घर हुई विधायकों की मीटिंग में भी गहलोत की कोई भूमिका नहीं थी। इस रिपोर्ट में बैठक बुलाने वाले नेताओं पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

हालांकि, अभी अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन भरने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। बता दें कि राजस्थान कांग्रेस में उस वक्त बड़ा संकट खड़ा हो गया था जब रविवार को पर्यवेक्षक के तौर पर दिल्ली से गए माकन और खड़गे की मीटिंग में कई विधायक नहीं पहुचे। विधायकों ने शांतिलाल धारीवाल के घर पर बैठक की थी और बाद में सीपी जोशी के पास जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया था। 

 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर नहीं हैं। हालांकि, गांधी परिवार राजस्थान के उनके समर्थक 90 से अधिक विधायकों के विद्रोह से परेशान हैं। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि ‘अशोक गहलोत अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं, इससे इंकार नहीं किया गया है।’ साथ ही सूत्रों ने बताया कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, अंबिका सोनी और आनंद शर्मा ने संकट के समाधान के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत की है। बताया जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में पैदा हुए संकट के समाधान की कोशिश की जा रही है। 

दरअसल गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है और सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री पद देने की भी चर्चा है। लेकिन अचानक गहलोत समर्थकों ने इसे लेकर बगावत कर दिया। बगावती तेवर दिखाने वाले विधायकों का कहना था कि सचिन पायलट का चेहरा उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए मंजूर नहीं है। इसके बाद यह खबर आई थी कि पार्टी आलाकमान अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद की रेस से बाहर कर सकता है। नए अध्यक्ष के लिए कुछ नामों की चर्चा भी हो रही थी। इसमें मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।

कुछ राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि अशोक गहलोत कद्दावर नेता हैं। पार्टी आलाकमान उनपर सीधी कार्रवाई से बचना चाहती है। विशलेषकों का मानना है कि पार्टी आलाकमान को ऐसा लगता है कि इस पूरे मामले पर पार्टी की पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में फिलहाल अशोक गहलोत पर कोई बड़ी कार्रवाई करने से पार्टी आलाकमान परहेज कर रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि धारीवाल और प्रताप सिंह पर ज्यादा बड़ी कार्रवाई होगी, इसकी भी आशंका कम है।

विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की खुलेआम अवहेलना करते हुए दो केंद्रीय नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से मिलने से इनकार कर दिया। साथ ही शर्त रखी कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद ही एक नया मुख्यमंत्री चुना जाना चाहिए।  हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब कई कांग्रेसी विधायकों के सुर बदल गए हैं। दिव्या मदेरणा ने तो यहां तक कह दिया कि शांतिलाल धारीवाल ने उन्हें मिसगाइड किया और उन्हें मीटिंग में नहीं जाने दिया गया। सीपी जोशी को इस्तीफा दे चुके कई विधायकों का अब कहना है कि वो पार्टी आलाकमान के सभी फैसलों के साथ हैं और उनके लिए वफादार बने रहेंगे। इधर सचिन पायलट मंगलवार को दिल्ली आए थे। हालांकि उन्होंने यहां पार्टी आलाकमान के साथ अपनी बैठक को लेकर कुछ भी नहीं कहा।

 

कांग्रेस अध्यक्ष के पद संभालने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए अशोक गहलोत राजी हो गए थे। उन्होंने यह फैसला राहुल गांधी के उस बयान के बाद लिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की नीति का पालन किया जाएगा। किसी को भी पद पर नहीं रहने दिए जाएगा।  

 

Scroll to Top