CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,अदालत हर चीज में नहीं घुस सकती, प्रदूषण पर तत्काल सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के स्तर पर तत्काल सुनवाई पर इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अदालत हर चीज में नहीं घुस सकती। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण रोकने के लिए पराली जलाने के संबंध में नये दिशानिर्देश जारी करने की मांग वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील शशांक शेखर झा से पूछा कि क्या केवल पराली जलाने पर रोक लगाने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण में मदद मिलेगी। प्रधान न्यायाधीश ने झा से कहा, ‘दिल्ली के प्रदूषण के लिए आपकी ओर से समाधान क्या है।’ पराली जलाने से प्रदूषण होने की बात पर पीठ ने कहा, ‘तो हम इस पर प्रतिबंध लगा दें ? क्या इससे रुक जाएगा ? क्या हम इसे हर किसान पर लागू करें ? कुछ उचित समाधान सोचिए। कुछ चीजें हैं जिनमें अदालतें कुछ कर सकती हैं और कुछ चीजों में अदालतें नहीं कर सकतीं। हम न्यायिक पहलुओं को देखने के लिए हैं।’

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नई दिल्ली। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के स्तर पर तत्काल सुनवाई पर इंकार कर दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अदालत हर चीज में नहीं घुस सकती। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण रोकने के लिए पराली जलाने के संबंध में नये दिशानिर्देश जारी करने की मांग वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील शशांक शेखर झा से पूछा कि क्या केवल पराली जलाने पर रोक लगाने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण में मदद मिलेगी। प्रधान न्यायाधीश ने झा से कहा, ‘दिल्ली के प्रदूषण के लिए आपकी ओर से समाधान क्या है।’ पराली जलाने से प्रदूषण होने की बात पर पीठ ने कहा, ‘तो हम इस पर प्रतिबंध लगा दें ? क्या इससे रुक जाएगा ? क्या हम इसे हर किसान पर लागू करें ? कुछ उचित समाधान सोचिए। कुछ चीजें हैं जिनमें अदालतें कुछ कर सकती हैं और कुछ चीजों में अदालतें नहीं कर सकतीं। हम न्यायिक पहलुओं को देखने के लिए हैं।’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हमें उन मामलों को ही सुनना चाहिए, जिन पर न्यायिक पक्ष के तौर पर कुछ कर सकते हैं। अदालत हर मामले में घुस सकती। इस पर हम तत्काल सुनवाई नहीं करने जा रहे। इसे नियम के तहत ही आने दीजिए। नवंबर के पहले सप्ताह से ही दिल्ली-NCR  की हवा खराब चल रही है। गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और दिल्ली समेत NCR के तमाम इलाकों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स बेहद खराब रहा है। इस प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।

उन्होंने कहा, ‘हमने आपकी बात सुनी है और इसे अभी नहीं लिया जाएगा।’ जनहित याचिका में स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी तथा निजी दफ्तरों में ऑनलाइन कामकाज का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया था। वकील ने आरोप लगाया कि हर साल प्रदूषण की समस्या आती है और दिल्ली-एनसीआर में धुएं और धुंध के कारण जीवन को गंभीर खतरा है।

प्रदूषण के खिलाफ दायर अर्जी में मांग की गई थी कि अदालत को आदेश देना चाहिए कि पराली जलाए जाने पर रोक लगे। गौरतलब है कि बुधवार को ही प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अपने पद की शपथ ली थी। उनका शीर्ष अदालत के मुखिया के तौर पर दो साल का कार्यकाल रहने वाला है। आधार कार्ड की अनिवार्यता, अयोध्या विवाद, LGBT समेत तमाम अहम मुद्दों की सुनवाई का वह हिस्सा रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी देश के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। बुधवार को शपथ लेने के बाद वह गांधी जी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे और खुद को जनता का चीफ जस्टिस बताया था।

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