CEC संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश, विपक्षी दलों ने किया विरोध

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में उच्च सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 पेश किया।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी, जो उनके कंट्रोल में होगी। वो मनपसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी – AAP मुखिया अरविन्द केजरीवाल 

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा बिल पेश किया। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और कैबिनेट का मंत्री शामिल होंगे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में उच्च सदन में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 पेश किया।

विपक्ष ने क्यों किया विरोध

विधेयक के अनुसार, भविष्य के मुख्य चुनाव आयुक्तों और चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल द्वारा किया जाएगा और इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। राज्यसभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। विपक्षी दलों ने कहा- सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें। विधेयक पेश होने के साथ ही कांग्रेस और आप सहित विपक्षी दलों ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार, संविधान पीठ के आदेश को कमजोर करना चाहती है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा- इस बिल के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है। केजरीवाल ने 2 तस्वीरें शेयर की हैं। इनमें पहले में सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है, जिसमें मार्च 2023 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र है। वहीं, दूसरी तस्वीर में एक दस्तावेज है, जिसमें लिखा है कि CEC की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और PM की ओर से नॉमिनेटेड केंद्रीय मंत्री राष्ट्रपति को सलाह दें, जिसके बाद राष्ट्रपति नियुक्ति का आदेश दें।

PM खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते

केजरीवाल ने ट्वीट में कहा- प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। अगर PM खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी, जो उनके कंट्रोल में होगी। वो मनपसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी।

सुप्रीम कोर्ट बोला था- चुनाव आयुक्तों की चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तरह हो

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था- PM, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की पूरी प्रोसेस केंद्र सरकार के हाथ में थी। यह फैसला काफी सख्त और बड़ा बदलाव लाने वाला लगता है, लेकिन जमीनी सच इससे काफी अलग है। दरअसल, चुनाव आयुक्तों पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव तक बेअसर रहेगा। वहीं, फैसला लागू होने के बावजूद घुमा-फिराकर केंद्र सरकार के पसंदीदा अफसर ही चुनाव आयुक्त बनेंगे।

कोर्ट ने कहा- इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी

जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इसलिए इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरुरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और कोर्ट के आदेशों के आधार पर निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।

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