CBI ने अनिल अंबानी और राणा कपूर के खिलाफ किया चार्जशीट दाखिल

अनिल अंबानी के अलावा, CBI ने ¨बदु कपूर, राधा कपूर, रोशनी कपूर, एफएल, आरएचएफएल (अब आथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड), आरएबी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, ब्लिस हाउस प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन हैबिटैट प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन रेजिडेंस प्राइवेट लिमिटेड और मार्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया है।

DrashtaNews

नई दिल्ली (एजेंसी)। CBI ने 2,796 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में गुरुवार, 18 सितंबर को अनिल अंबानी और अन्य लोगों के खिलाफ दो अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की है। अनिल धीरूभाई अंबानी (ADA) ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी और यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर के खिलाफ आरोप है कि अनिल की ग्रुप कंपनियों, एफएल एवं आरएचएफएल, और यस बैंक तथा इसी बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर के परिवार की कंपनियों के बीच कथित धोखाधड़ी वाले लेन-देन से बैंक को 2,796 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

राणा कपूर ने अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल किया

मुंबई की विशेष अदालत में दाखिल अपने आरोप-पत्र में CBI ने कहा कि अनिल अंबानी अनिल धीरूभाई अंबानी (ADA) ग्रुप के चेयरमैन और एफएल तथा आरएचएफएल की होल्डिंग कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के डायरेक्टर हैं। CBI का कहना है कि राणा कपूर ने अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल करके यस बैंक के फंड्स को अंबानी की फाइनेंशियली कमजोर कंपनियों- RCFL और RHFL में डाला। बदले में, अंबानी की कंपनियों ने कपूर फैमिली की कंपनियों को कम ब्याज पर लोन और इन्वेस्टमेंट दिए। ये एक क्विड प्रो क्वो (लेन-देन का सौदा) था।
विभिन्न धाराओं के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया।

अधिकारियों ने बताया कि अनिल अंबानी के अलावा, CBI ने ¨बदु कपूर, राधा कपूर, रोशनी कपूर, एफएल, आरएचएफएल (अब आथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड), आरएबी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, ब्लिस हाउस प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन हैबिटैट प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन रेजिडेंस प्राइवेट लिमिटेड और मार्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया है।

 2022 में यस बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी की शिकायत पर दो मामले दर्ज किए थे।

CBI ने 2022 में यस बैंक के तत्कालीन मैने¨जग डायरेक्टर और सीईओ राणा कपूर, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) के खिलाफ बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी की शिकायत पर दो मामले दर्ज किए थे।चार्जशीट प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और IPC की धाराओं के तहत दाखिल की गई है, जो धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और पब्लिक प्रॉपर्टी के दुरुपयोग से जुड़ी हैं।

चार्जशीट में अनिल के अलावा, CBI ने राणा कपूर, बिंदु कपूर, राधा कपूर, रोशनी कपूर, RCFL, RHFL, RAB एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, ब्लिस हाउस प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन हैबिटेट प्राइवेट लिमिटेड, इमेजिन रेजिडेंस प्राइवेट लिमिटेड और मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और IPC की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की है।

CBI के प्रवक्ता ने कही ये बात
सीबीआइ के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ”यस बैंक ने 2017 में राणा कपूर की मंजूरी से आरसीएफएल के नान-कन्वर्टिबल डिबेंचर और कमर्शियल पेपर में लगभग 2,045 करोड़ रुपये और आरएचएफएल के नान-कन्वर्टिबल डिबेंचर एवं कमर्शियल पेपर में 2,965 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि केयर रे¨टग्स ने खराब वित्तीय स्थिति और बाजार के नकारात्मक आकलन को देखते हुए एडीए ग्रुप की वित्तीय कंपनियों को ‘वॉच लिस्ट’ में डाल दिया था।”

बयान में कहा गया है कि सीबीआइ की जांच में पता चला है कि यस बैंक द्वारा आरसीएफएल और आरएचएफएल में निवेश किए गए फंड को बाद में कई स्तरों से निकाल लिया गया, जिससे सरकारी पैसे के व्यवस्थित दुरुपयोग का पता चलता है।

24 जुलाई को ED ने 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी

24 जुलाई को यस बैंक से लिए 3,000 करोड़ रुपए के लोन धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। इसमें करीब 50 कंपनियां शामिल थी और 25 से ज्यादा लोगों से भी पूछताछ की गई।

ये कार्रवाई CBI की ओर से दर्ज दो FIR और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) जैसी एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर की गई है।

3 सवाल-जवाब में पूरा मामला:

सवाल 1: अनिल अंबानी के खिलाफ ED ने कार्रवाई क्यों की?

जवाब: मामला 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी से जुड़े रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपए के लोन से जुड़ा है।

ED की शुरुआती जांच में पता चला कि इन लोन्स को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि यस बैंक के बड़े अधिकारियों को शायद रिश्वत दी गई है।

सवाल 2: ED की जांच में और क्या-क्या सामने आया?

जवाब: ED का कहना है कि ये एक “सोचा-समझा और सुनियोजित” प्लान था, जिसके तहत बैंकों, शेयरहोल्डर्स, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को गलत जानकारी देकर पैसे हड़पे गए। जांच में कई गड़बड़ियां पकड़ी गईं, जैसे:

कमजोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन।
कई कंपनियों में एक ही डायरेक्टर और एड्रेस का इस्तेमाल।
लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेजों का न होना।
फर्जी कंपनियों में पैसे ट्रांसफर करना।
पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन देने की प्रक्रिया (लोन एवरग्रीनिंग)।

सवाल 3: इस मामले में CBI की क्या भूमिका है?

जवाब: CBI ने दो मामलों में FIR दर्ज की थी। ये मामले यस बैंक द्वारा रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड को दिए गए दो अलग-अलग लोन से जुड़े हैं। दोनों ही मामलों में CBI ने यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर का नाम लिया था।

इसके बाद एक अधिकारी ने बताया कि नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी अन्य एजेंसियों और संस्थानों ने भी ED के साथ जानकारी साझा की। अब ED इस मामले की जांच कर रही है।

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