नई दिल्ली। देश भर में बढ़ रही बलात्कार की घटनाएं और देह व्यापार से जुड़े लोगों की CBI ने खोज शुरू कर दी है। बाल यौन शोषण से जुड़ी चीजों की ऑनलाइ शेयरिंग के खिलाफ सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने बड़ी कार्रवाई की। जांच एजेंसी ने शनिवार को 20 राज्यों के 56 ठिकानों पर दबिश दी है। CBI की तरफ से इसे ‘ऑपरेशन मेघचक्र’ नाम दिया गया है। CBI के मुताबिक कई ऐसे गैंग चिह्नित किये गए हैं, जो न केवल चाइल्ड सेक्सुअल प्रोनोग्राफी के संबंधित साम्रगी का व्यापार करते हैं, बल्कि बच्चों को फिजिकली ब्लैकमेल भी करते हैं। ये गैंग दोनों तरीके से काम करता है। समूह बनाकर और व्यक्तिगत तौर पर भी। आपको बता दें कि इसको लेकर पिछले साल भी ऑपरेशन चलाया गया था जिसका नाम ऑपरेशन कार्बन था।
इसी हफ्ते 19 सिंतबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप के वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने से रोकने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनियों से पूछा था। साथ ही शीर्ष अदालत ने फेसबुक, ट्विटर समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कंपनियों को 6 हफ्ते में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की इन कंपनियों को ये भी बताने के लिए कहा कि उन्होंने चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप की वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड होने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इस मामले में सभी कंपनियां विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करेंगी।
CBI ने सर्क्युलेशन ऑफ चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन मटेरियल (CSEM) के दो मामलों को लेकर एक्शन लिया गया है। खबर है कि अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कथित तौर पर CSEM शेयर करने में शामिल लोगों की शुरुआती जानकारी इंटरपोल न्यूजीलैंड से मिली थी। CBI ने सिंगापुर के जरिए यह खुफिया जानकारी हासिल की।ऑपरेशन मेघचक्र के जरिए जांच एजेंसी CSEM को ऑनलाइन शेयर करने में शामिल लोगों का पता लगा रही है। खबर है कि इस तरह के रैकेट को एक व्यक्ति या एक संगठन के स्तर पर भी चलाया जाता है। ऑपरेशन का खास निशाना क्लाउट स्टोरेज फैसेलिटी है, जिनकी मदद से पैडलर नाबालिगों से जुड़ी यौन सामग्री को सर्क्युलेट करते हैं।
इससे पहले साल 2021 में सीबीआई ने ऑपरेशन कार्बन को अंजाम दिया था। उस दौरान देशभर में 83 लोगों के खिलाफ 76 ठिकानों पर रेड की गई थी और कई गिरफ्तारियां की गई थीं। इसमें यूपी के जालौन, मऊ से लेकर नोएडा और गाजियाबाद जैसे बड़े शहर भी शामिल थे। इस दौरान CBI ने अलग-अलग शहरों से 7 लोगों को गिरफ्तार किया था। CBI की रडार पर 50 से ज्यादा वाट्सएप ग्रुप थे, जिनमें 5000 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए थे, जो इस केस से जुड़ी सामग्री सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे। इसी कड़ी में CBI ने यह छापेमारी की है।