गुजरात में BJP ने 156 सीट के साथ की फ़तेह , हिमाचल में कांग्रेस के हाथों मिली हार

नई दिल्ली। भाजपा ने 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। 156 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल कर ली है। इसके अलावा कांग्रेस ने 17, आम आदमी पार्टी 5, 3 निर्दलीय और एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में 68 में से 40 पर कांग्रेस, 25 पर भारतीय जनता पार्टी और 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। उपचुनाव की बात करें तो छत्तीगसढ़ की भानुप्रतापपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री मनोज मंडावी ने जीत हासिल कर ली है। बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को झटका लगा है जहां भाजपा ने जीत दर्ज की है। उत्तप्रदेश की रामपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार आकाश सक्सेना आगे हैं। रामपुर सीट सपा का गढ़ माना जाता है। वहीं, खतौली सीट से RLD उम्मीदवार मदन भैया आगे बने हुए हैं। हिमाचल प्रदेश में रिवाज नहीं बदला और बीजेपी के हाथ से सत्ता फिसल गई। पराजय स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गुरुवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। उन्होंने हार स्वीकर करते हुए ट्वीट कर कहा, " हम जनादेश को विनम्रता के साथ स्वीकार करते है। पांच वर्षों में प्रधानमंत्री एवं केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए बहुमूल्य सहयोग के लिए उनका विशेष आभार। प्रदेश की जनता द्वारा सेवा के लिए दिए पांच साल के लिए धन्यवाद। हिमाचल के सर्वांगीण विकास के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे। " हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है। बीजेपी नेता और मुख्यमंत्री ठाकुर ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने से कुछ देर पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं जनादेश का सम्मान करता हूं और थोड़ी देर में राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने जा रहा हूं।'' हिमाचल प्रदेश में 1985 से कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आई है और इस बार भी यह परंपरा कायम रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब नयी सरकार बनेगी, मैं उन्हें (कांग्रेस को) बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वे अपने वादे पूरे करेंगे। '' उन्होंने कहा, ‘‘हम दलीय राजनीति से ऊपर उठकर सकारात्मक सहयोग देंगे, लेकिन जब हमें लगेगा कि राज्य के हितों की रक्षा नहीं हो रही तो हम जनता के सामने मुद्दे उठाएंगे।'' ठाकुर ने कहा, ‘‘जनता ने पांच साल तक हमें सेवा का मौका दिया। हमने बेहतर काम करने का प्रयास किया। '' एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कई सीट पर जीत का अंतर बहुत कम है और 11 से 12 सीट पर 1,000 से भी कम वोट से उम्मीदवारों की जीत हुई है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध तीन बजे के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस 38 सीटों पर लीड कर रही है। पार्टी 11 सीट जीत चुकी है, 28 पर बढ़त बनाए हुए है. बीजेपी 9 सीटों पर अपनी झोली में डाल चुकी है, 17 पर बढ़त बनाए हुए है। दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत हुई है। 1 पर निर्दलीय उम्मीदवार लीड कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी का जादू हिमाचल में देखने को नहीं मिला। पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को जीत की खुशबू आने लगी है. यही वजह है कि पार्टी ने केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजने का फैसला किया है. कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर हिमाचल जाएंगे। प्रभारी राजीव शुक्ला भी हिमाचल जाएंगे। BJPके लिए आज का दिन कई मायनों में अहम है। पार्टी गुजरात में ऐतिहासिक जीत हासिल करने जा रही है। बीजेपी 155 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस सिर्फ 16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। हिमाचल की बात करें तो बीजेपी ने यहां भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा। पार्टी ने ‘पांच साल में सरकार बदलने’ के ट्रेंड को बदलने के लिए ताकत झोंकी लेकिन अभी तक के रुझानों के मुताबिक, बीजेपी के हाथ से सत्ता निकलती नजर आ रही है। हिमाचल में सत्ता-विरोधी भावनाओं से BJP जूझती रही हिमाचल में बीजेपी ने पार्टी ने एक मंत्री सहित 11 विधायकों का टिकट काटे थे. दो मंत्रियों की सीटों में बदलाव किया था। हिमाचल में बीजेपी को बागियों के चलते भारी नुकसान हुआ है। जिन सीटों पर बीजेपी पीछे चल रही है, उनमें बीजेपी के बागी उम्मीदवार ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की हार की वजह बन रहे हैं। सबसे ज्यादा वोट उन्होंने पार्टी के ही काटे। ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर राज्य में आंदोलन हुए. बीजेपी की ओर से OPS को लेकर कोई ठोस वादा नहीं किया गया। दूसरी ओर कांग्रेस ने पहले तो इसे बड़ा मुद्दा बनाया। साथ ही वादा किया कि अगर सरकार आई तो पहली कैबिनेट बैठक में ही OPS लागू करने का फैसला लिया जाएगा। कांग्रेस के लिए यह मुद्दा ट्रंप कार्ड साबित हुआ। बीजेपी की हार की एक अहम वजह बना। हिमाचल में जयराम ठाकुर सरकार के के खिलाफ जनता में नाराजगी का असर चुनाव में देखने को मिला। सत्ता-विरोधी भावनाओं से पार्टी जूझती रही। नतीजा पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। सरकार के 3 मंत्रियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। इसके अलावा, फतेहपुर, चंबा, धर्मशाला, बड़सर, मंडी, देहरा, कुल्लू और मनाली में भी बीजेपी के बागियों ने ही पार्टी के उम्मीदवारों की हार की वजह बने।

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नई दिल्ली।  भाजपा ने 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। 156 सीट पर भाजपा ने जीत हासिल कर ली है। इसके अलावा कांग्रेस ने 17, आम आदमी पार्टी 5, 3 निर्दलीय और एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में 68 में से 40  पर कांग्रेस, 25 पर भारतीय जनता पार्टी और 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।

उपचुनाव की बात करें तो छत्तीगसढ़ की भानुप्रतापपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री मनोज मंडावी ने जीत हासिल कर ली है। बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को झटका लगा है जहां भाजपा ने जीत दर्ज की है। उत्तप्रदेश की रामपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार आकाश सक्सेना आगे हैं। रामपुर सीट सपा का गढ़ माना जाता है। वहीं, खतौली सीट से RLD उम्मीदवार मदन भैया आगे बने हुए हैं।

हिमाचल प्रदेश में रिवाज नहीं बदला और  बीजेपी के हाथ से सत्ता फिसल गई। पराजय स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गुरुवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

उन्होंने हार स्वीकर करते हुए ट्वीट कर कहा, ” हम जनादेश को विनम्रता के साथ स्वीकार करते है। पांच वर्षों में प्रधानमंत्री एवं केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए बहुमूल्य सहयोग के लिए उनका विशेष आभार। प्रदेश की जनता द्वारा सेवा के लिए दिए पांच साल के लिए धन्यवाद।  हिमाचल के सर्वांगीण विकास के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे। ”  हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है। बीजेपी नेता और मुख्यमंत्री ठाकुर ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने से कुछ देर पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं जनादेश का सम्मान करता हूं और थोड़ी देर में राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने जा रहा हूं।”

हिमाचल प्रदेश में 1985 से कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आई है और इस बार भी यह परंपरा कायम रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब नयी सरकार बनेगी, मैं उन्हें (कांग्रेस को) बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वे अपने वादे पूरे करेंगे। ” उन्होंने कहा, ‘‘हम दलीय राजनीति से ऊपर उठकर सकारात्मक सहयोग देंगे, लेकिन जब हमें लगेगा कि राज्य के हितों की रक्षा नहीं हो रही तो हम जनता के सामने मुद्दे उठाएंगे।”

ठाकुर ने कहा, ‘‘जनता ने पांच साल तक हमें सेवा का मौका दिया। हमने बेहतर काम करने का प्रयास किया। ” एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कई सीट पर जीत का अंतर बहुत कम है और 11 से 12 सीट पर 1,000 से भी कम वोट से उम्मीदवारों की जीत हुई है।

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध तीन बजे के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस 38 सीटों पर लीड कर रही है। पार्टी 11 सीट जीत चुकी है, 28 पर बढ़त बनाए हुए है. बीजेपी 9 सीटों पर अपनी झोली में डाल चुकी है, 17 पर बढ़त बनाए हुए है। दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत हुई है। 1 पर निर्दलीय उम्मीदवार लीड कर रहे हैं।

आम आदमी पार्टी का जादू हिमाचल में देखने को नहीं मिला। पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को जीत की खुशबू आने लगी है. यही वजह है कि पार्टी ने केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजने का फैसला किया है. कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर हिमाचल जाएंगे। प्रभारी राजीव शुक्ला भी हिमाचल जाएंगे।

BJPके लिए आज का दिन कई मायनों में अहम है। पार्टी गुजरात में ऐतिहासिक जीत हासिल करने जा रही है।  बीजेपी 155 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस सिर्फ 16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। हिमाचल की बात करें तो बीजेपी ने यहां भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा। पार्टी ने ‘पांच साल में सरकार बदलने’ के ट्रेंड को बदलने के लिए ताकत झोंकी लेकिन अभी तक के रुझानों के मुताबिक, बीजेपी के हाथ से सत्ता निकलती नजर आ रही है।

हिमाचल में सत्ता-विरोधी भावनाओं से BJP जूझती रही

हिमाचल में बीजेपी ने पार्टी ने एक मंत्री सहित 11 विधायकों का टिकट काटे थे. दो मंत्रियों की सीटों में बदलाव किया था। हिमाचल में बीजेपी को बागियों के चलते भारी नुकसान हुआ है। जिन सीटों पर बीजेपी पीछे चल रही है, उनमें बीजेपी के बागी उम्मीदवार ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की हार की वजह बन रहे हैं। सबसे ज्यादा वोट उन्होंने पार्टी के ही काटे।

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर राज्य में आंदोलन हुए. बीजेपी की ओर से OPS को लेकर कोई ठोस वादा नहीं किया गया। दूसरी ओर कांग्रेस ने पहले तो इसे बड़ा मुद्दा बनाया। साथ ही वादा किया कि अगर सरकार आई तो पहली कैबिनेट बैठक में ही OPS लागू करने का फैसला लिया जाएगा। कांग्रेस के लिए यह मुद्दा ट्रंप कार्ड साबित हुआ। बीजेपी की हार की एक अहम वजह बना। हिमाचल में जयराम ठाकुर सरकार के के खिलाफ जनता में नाराजगी का असर चुनाव में देखने को मिला। सत्ता-विरोधी भावनाओं से पार्टी जूझती रही। नतीजा पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। सरकार के 3 मंत्रियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। इसके अलावा, फतेहपुर, चंबा, धर्मशाला, बड़सर, मंडी, देहरा, कुल्लू और मनाली में भी बीजेपी के बागियों ने ही पार्टी के उम्मीदवारों की हार की वजह बने।

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