गौतम अडानी और उनके भतीजे सहित 8 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

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-अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य अधिकारियों पर सौर ऊर्जा से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2110 करोड़ रिश्वत देने और धोखाधड़ी करने का आरोप, मामला अमेरिका में हुआ दर्ज

नई दिल्ली(एजेंसी)। अडानी ग्रुप के चेयरमैन और देश के दूसरे सबसे अमीर उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। अडानी और सात अन्य लोगों पर अमेरिका में अरबों डॉलर की रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। इस मामले में अमेरिका की कोर्ट में सुनवाई हुई। अडानी और उनके भतीजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं। इस मामले में नाम आने के बाद अडानी ग्रुप ने अमेरिका में 600 मिलियन डॉलर का बॉन्ड रद्द कर दिया।

ट्रंप ने किया था वादा

रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ने निवेश की घोषणा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को उनकी चुनावी जीत पर बधाई भी दी। यहां यह ध्यान देने योग्य है कि ट्रंप ने ऊर्जा कंपनियों के लिए नियमों को सरल बनाने का वादा किया है। इससे उनके लिए संघीय भूमि पर ड्रिलिंग करना और पाइपलाइनों का निर्माण करना आसान हो जाएगा।

अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर ने भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य अधिकारियों पर सौर ऊर्जा से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी लगभग 2110 करोड़ रिश्वत देने का आरोप लगाया है। आरोपों के अनुसार, यह रिश्वत 2020 से 2024 के बीच बड़े सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए दी गई, जिससे अडानी समूह को 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना थी। 

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भतीजे पर भी लगा आरोप

अभियोग में यह भी आरोप लगाया गया है कि अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और एक अन्य कार्यकारी विनीत एस. जैन ने अडानी ग्रीन एनर्जी के लिए 3 बिलियन डॉलर से अधिक के लोन और बॉन्ड हासिल करने के लिए ऋणदाताओं और निवेशकों से रिश्वत की बात छिपाई।

अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से कथित तौर पर इस भ्रष्टाचार को छुपाया गया था, जो परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे थे। अमेरिकी कानून विदेशी भ्रष्टाचार के मामलों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है, यदि वे अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से संबंधित हों।  न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस ने इस मामले को विस्तृत रिश्वत योजना बताया। अडानी, उनके भतीजे और अडानी ग्रीन एनर्जी के पूर्व CEO विनीत जैन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी, वायर फ्रॉड और साजिश का आरोप लगाया गया है। 

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इस मामले में कनाडाई पेंशन फंड  CDPQ के तीन पूर्व कर्मचारियों पर भी रिश्वत जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया गया। CDPQ अडानी समूह की कंपनियों में शेयरधारक है। यह मामला अडानी समूह के लिए एक और बड़ी चुनौती बन सकता है। इससे पहले जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके कारण अडानी समूह के बाजार मूल्य में 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। हालांकि, समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है और अधिकांश नुकसान की भरपाई की है। 

अभियोग से कुछ घंटे पहले ही बॉन्ड बेचे

अभियोग की खबर से कुछ घंटे पहले ही अडानी ग्रुप की एक इकाई ने 600 मिलियन डॉलर की पेशकश के लिए अमेरिकी कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में प्रवेश किया। इस पेशकश को 3 गुना से अधिक ओवरसब्सक्राइब किया गया। बाद में इन बॉन्ड की बिक्री भी रद्द कर दी गई थी।

अडानी ने एक महीने पहले भी इसी तरह की पेशकश की थी। हालांकि ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार मूल्य निर्धारण को लेकर निवेशकों के विरोध के बाद उस पेशकश को स्थगित करना पड़ा।

अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय (न्यूयॉर्क) के अनुसार, रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले में शामिल लोग हैं:

1. गौतम एस. अदानी

उम्र: 62, भारत

2. सागर एस. अडानी

उम्र: 30, भारत

3. विनीत एस. जैन

उम्र: 53, भारत

4. रंजीत गुप्ता

उम्र: 54, भारत

5. सिरिल कैबनेस

उम्र: 50, फ्रांस/ऑस्ट्रेलिया

6. सौरभ अग्रवाल

उम्र: 48, भारत

7. दीपक मल्होत्रा

उम्र: 45, भारत

8. रूपेश अग्रवाल

उम्र: 50, भारत

सेलफोन पर ट्रैक करने का आरोप

अदालत के दस्तावेजों में खुलासा हुआ कि रिश्वत योजना के दौरान अडानी को न्यूमेरो यूनो और द बिग मैन जैसे कोड नामों से संदर्भित किया गया था। साथ ही, उनके भतीजे सागर अडानी पर रिश्वत से संबंधित जानकारी को सेलफोन पर ट्रैक करने का आरोप है। अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC ) ने अडानी ग्रीन एनर्जी और एज़्योर पावर पर भी नागरिक मामले दर्ज किए हैं। इन कंपनियों ने कथित तौर पर अमेरिकी निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए। बता दें कि यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक से जुड़ी है। अब, इस मामले पर अडानी समूह की प्रतिक्रिया का इंतजार है। 

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राहुल गांधी ने की गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांग

गौरतलब है कि ताजा आरोपों के बाद भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांगी की। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी की अवैध गतिविधियों को संरक्षण दे रहे हैं। 

मोदी सरकार को अस्थिर करना चाहता है ‘डीप स्टेट’ 

भारत सरकार और कारोबारी जगत हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के समय को लेकर चिंतित हैं। रूसी मीडिया संस्थान स्पुतनिक की भारतीय शाखा स्पुतनिक इंडिया के मुताबिक, जानकार इसे ‘डीप स्टेट’ की साजिश मान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ‘डीप स्टेट’ मोदी सरकार को अस्थिर करना चाहता है। बांग्लादेश में अमेरिका की भूमिका को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। जानकार मानते हैं कि बाजार नियामक संस्थान भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट भी ‘डीप स्टेट’ की चालों की ही एक कड़ी है। उद्योग सूत्रों ने स्पुतनिक इंडिया को बताया है कि इसका मकसद भारतीय संस्थानों में विश्वास कमजोर करना है।

मजबूत होता भारत किनकी आंखों की किरकिरी?

2019 में भारत का शेयर बाजार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात 77% था जो 2023-24 में बढ़कर 124% हो गया है। सूत्रों ने कहा कि बाजारों में किसी भी तरह की उथल-पुथल का असर लाखों मध्यवर्गीय भारतीयों पर सीधे तौर पर पड़ सकता है जिन्होंने बाजार में सीधे निवेश किया है। इसके अलावा, विशेषज्ञों ने गौर किया है कि हिंडनबर्ग का जो इरादा था, उसके ठीक उलट हुआ है। उन्होंने कहा कि एलआईसी ने अडानी समूह की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है, हालांकि यह मामूली बढ़ोतरी है।

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क्यों भारत के पीछे हाथ धोकर पड़ा है अमेरिकी डीप स्टेट?

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों को हिंडनबर्ग रिसर्च की इस कोशिश के बारे में बताया गया है। उनका कहना है कि ये पश्चिमी ताकतों की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को अस्थिर करने के प्रयास हैं। सूत्रों के अनुसार, पश्चिमी देश भारत को अस्थिर क्यों करना चाहेंगे, इसके कई कारण हो सकते हैं। 

-भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और आने वाले दशकों में यह अमेरिका को पीछे छोड़ सकती है। 

-डॉलर के उपयोग को कम करने के बीच भारतीय रुपये का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

-भारत की विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता (स्ट्रैटिजिक अटॉनमी) की मजबूत परंपरा रही है।

बाहरी डीप स्टेट को भारतीयों का भी साथ!

गौरतलब है कि सूत्रों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि ‘डीप स्टेट’ के लोगों को कुछ भारतीयों का भी साथ मिल रहा है। इनमें कथित तौर पर विपक्षी नेता, प्रतिद्वंद्वी व्यवसायी और सरकार के कुछ लोग शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि ये भारतीय संस्थाएं ‘अल्पकालिक राजनीतिक या आर्थिक लाभ’ के लालच में व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ को नजरअंदाज कर रही हैं। सूत्रों का दावा है कि ‘हिंडनबर्ग को जितने दस्तावेज मिले हैं, वे भारतीयों की मदद के बिना संभव नहीं थे। ‘डीप स्टेट’ में अमेरिकी प्रतिष्ठान के एक धड़े और जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपति शामिल हैं, जिनके भारत में कई मोर्चे हैं।’

आरोपों को खारिज कर रहा है सेबी

सेबी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है। सेबी ने कहा है कि वह अडानी समूह के खिलाफ चल रही जांच में नरमी नहीं बरत रही है। इसके अलावा, भारतीय बाजार नियामक ने बुच के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भी खारिज कर दिया है। सेबी ने रविवार को एक बयान में कहा कि ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 3 जनवरी, 2024 को अपने आदेश में कहा था कि सेबी ने अडानी समूह से जुड़े 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है। इसके बाद, एक और जांच मार्च 2024 में पूरी हुई और एक बची हुई जांच पूरी होने वाली है’।

सेबी के बयान में आगे इस बात पर जोर दिया गया कि बुच ने समय-समय पर ‘संबंधित खुलासे’ किए हैं, और ‘अपने आपको ऐसे मामलों से अलग रखा है जहां हितों का टकराव हो सकता है’। यह बयान उस आरोप के जवाब में दिया गया था जिसमें कहा गया था कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने दो विदेशी फंडों में अपनी हिस्सेदारी छिपाई थी, जो अडानी की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े थे।

इस बीच, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में लगे आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण, शरारतपूर्ण और पूर्वनिर्धारित निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का हेरफेर’ बताया है। उन्होंने कहा है कि ऐसा ‘तथ्यों और कानून की अवहेलना करके व्यक्तिगत लाभ कमाने’ के लिए किया गया है। पिछले साल, अडानी ने हिंडनबर्ग के आरोपों को ‘भारत पर एक सुनियोजित हमला’ बताया था।

संजय सिंह का बीजेपी पर हमला

संजय ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच की जाये। साथ ही प्रधानमंत्री से पूछताछ हो और रिश्वत देने वाले गौतम अडानी- सागर अडानी और रिश्वत लेने वाले अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाये। संजय सिंह ने कहा, “मैंने एक फिल्म का गाना सुना था, तू जहां-जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा। प्रधानमंत्री अडानी के लिए यही गाना गाते हैं। जिस देश में जाते हैं, जिस कार्यक्रम में जाते हैं, जिस योजना की शुरुआत करते हैं, उसमें पहला फायदा भारत का नहीं अडानी का देखते हैं।”

‘कहीं कोई जांच नहीं, कहीं कोई कार्रवाई नहीं, ऐसा क्यों?’

आप सांसद ने आगे कहा कि अमेरिकी अदालत की जांच के बाद खुलासे ने पूरे देश को हैरान कर दिया है। उन्होंने कहा कि पूरा देश अचंभित है कि इतना बड़ा भ्रष्टाचार और इतना बड़ा लूट का धंधा बीजेपी के नेतृत्व में चल रहा है। सारे सबूत होने के बावजूद कहीं कोई जांच नहीं, कहीं कोई कार्रवाई नहीं। ऐसा क्यों हो रहा है? संजय सिंह ने कहा कि 12 हजार मेगावॉट का ठेका 2,125 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के बाद मिला।  गौतम अडानी ने भारत में अधिकारियों को 2,125 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। 

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में महंगी बिजली बेचने का ठेका मिला। हिंदुस्तान की जनता से कितनी लूट हो रही है। आप सांसद ने कहा कि गौतम अडानी और सागर अडानी को भारत में तत्काल गिरफ्तार किया जाए। दोनों से पूछताछ कर के बाद सच्चाई का पता चलेगा। 

संजय सिंह ने कहा कि भारत की जनता से महंगी बिजली के नाम पर हजारों करोड़ों रुपये लूटने का मामला है। लूटकांड में प्रधानमंत्री, अडानी और बीजेपी शामिल हैं। संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली के अंदर अरविंद केजरीवाल ने अडानी ग्रीन एनर्जी को घुसने नहीं दिया। अरविंद केजरीवाल ने महंगी बिजली बेचने और जनता को लूटने की छूट नहीं दी। अगर गलती से दिल्ली में बीजेपी आ गई तो महंगी बिजली के नाम पर जनता से भी पैसे लूटे जाएंगे।  

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