नई दिल्ली। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 2022 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो ला नीना की स्थिति के बावजूद ‘पांचवां या छठा’ सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी के हालात पैदा करने वाली ग्रीनहाउस गैसों के रिकॉर्ड स्तर ने वैश्विक स्तर पर सूखा, बाढ़ और भीषण गर्मी के हालात में वृद्धि की है। साल 2022 में यूरोप में कम से कम 15,700 मौतों के पीछे कारण हीटवेव रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खास स्थानों के रियल टाइम डेटा से पता चलता है कि तीन ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड के स्तर में वृद्धि 2022 में भी जारी रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सूखा, बाढ़ और हीटवेव ने भारत सहित हर महाद्वीप पर समुदायों को प्रभावित किया और कई अरब डॉलर खर्च किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंटार्कटिक समुद्री बर्फ अपने रिकॉर्ड में सबसे कम स्तर पर गिरी है. कुछ यूरोपीय ग्लेशियरों का पिघलना चार्ट से हटकर है। पिछले आठ वर्षों में वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड में सबसे अधिक रहा है। साल 2022 में यह 1850-1900 के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक था। डब्ल्यूएमओ के सेक्रेट्री जनरल पेटेरी तालस ने आज एक बयान में कहा, “ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि जारी रहने और जलवायु परिवर्तन जारी रहने से दुनिया भर की आबादी चरम मौसम और जलवायु घटनाओं से गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।”
यूरोप में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने लाखों लोगों को प्रभावित किया
तालास ने कहा कि, “उदाहरण के लिए 2022 में पूर्वी अफ्रीका में लगातार सूखा, पाकिस्तान में रिकॉर्ड तोड़ बारिश और चीन और यूरोप में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने लाखों लोगों को प्रभावित किया। इससे खाद्य असुरक्षा बढ़ी, बड़े पैमाने पर पलायन बढ़ा और नुकसान होने से अरबों डॉलर खर्च किए गए।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में भारत में मानसून का आगमन पहले हुआ था और वापसी सामान्य समय के बाद हुई। भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्री-मॉनसून अवधि में असाधारण रूप से गर्मी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी ने अनाज की पैदावार कम कर दी और खास तौर पर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के कई जंगलों में आग लगी।
भारत और पाकिस्तान में फसलों की पैदावार में गिरावट
डब्लूएमओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि, “भारत और पाकिस्तान में 2022 के प्री-मॉनसून सीज़न में हीटवेव फसलों की पैदावार में गिरावट का कारण बनी। इससे गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद भारत में चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया। इससे अंतरराष्ट्रीय खाद्य बाजारों में खाद्य उपलब्धता खतरे में पड़ गई है। भारत में मानसून सीजन के दौरान अलग-अलग चरणों में बाढ़ आई थी। विशेष रूप से जून 2022 में उत्तर पूर्व में बाढ़ और भूस्खलन से 700 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इस मौसम के दौरान बिजली गिरने से 900 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
चीन में सबसे लंबे समय तक चली हीटवेव
चीन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज होना शुरू होने के बाद से सबसे व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव देखी गई। यह जून के मध्य से अगस्त 2022 के अंत तक चली थी। इसके परिणामस्वरूप 0.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान में अंतर से सबसे तेज गर्मी दर्ज की गई। रिकॉर्ड के अनुसार यह अब तक की दूसरी सबसे शुष्क गर्मी भी थी। दक्षिणी चीन के आधे से अधिक हिस्से में (ग्वांगडोंग प्रांत के अलावा) मौसमी वर्षा औसत से 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत कम हुई।
यूरोप ने भी कई हीटवेव का सामना किया. यूरोप में गर्मी के तीन महीनों में दौरान प्रत्येक माह में भीषण हीटवेव के हालात बनते रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मियों के दौरान स्पेन में लगभग 4,600 लोगों की मौत हुई। जर्मनी में 4,500, ब्रिटेन में 65 और इससे अधिक उम्र के 2,800 लोगों, फ्रांस में 2,800 और पुर्तगाल में 1,000 लोगों की मौतों के पीछे कारण असामान्य गर्मी रही। सबसे असाधारण हीटवेव जुलाई 2022 के मध्य में देखी गई।