दिल्ली के तीनों नगर निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार हुआ -अमित शाह

DrashtaNews

नई दिल्‍ली । केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तकरार संसद में भी देखने को मिली। जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्‍ली में सत्‍तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) पर नगर निगमों के साथ सौतेलपन दिखने का आरोप लगाया। मंगलवार को राज्‍यसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि एमसीडी पर वास्‍तविकता सदन पर रखी चाहिए। यह एक तथ्‍य है कि इस तरह के व्‍यवहार के कारण पिछले 10 वर्षों में बहुत अधिक हड़तालें हुई है। AAP के सौतेले व्‍यवहार के कारण दिल्‍ली के तीनों निगम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि ‘आप’ के सौतेले व्‍यवहार के कारण हड़तालों की संख्‍या बढ़ी है।

शाह ने कहा, ‘तीनों नगर निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार हुआ, स्वाभाविक है कि विपक्षी सदस्य विरोध करते हैं। लेकिन मेरी बात सुनें। शाह ने कहा कि अगर राजनीतिक उद्देश्य से सरकारें नगर निकायों के साथ सौतेला व्यवहार करेंगी तो पंचायती राज और नगर निकाय व्यवस्था चल नहीं पाएगी। हमारी भी कई राज्यों में ऐसी सरकारें हैं, लेकिन कहीं ऐसा व्यवहार नहीं देखा गया. मैं अभी आंकड़े रखूंगा, उस पर कोई आपत्ति हो तो बताएं। नगर निगमों में वेतन और अन्य मुद्दों को लेकर पिछले दस वर्षों में 250 से ज्यादा बार हड़तालें की गईं। .विपक्षी सदस्‍यों खासकर ‘आप’ सांसदों की टोकाटोकी के बीच शाह ने कहा, ‘आलोचना करने के लिए सदन होता है। आलोचना का जितना अधिकार उनका है, उतना हमारा भी है आपको जो समय मिला है, उसमें तथ्‍यों के आधार पर बात करिए, मैं जवाब दूंगा। तीनों निगम अच्‍छे से काम करें इसके लिए समानता लाना जरूरी है। यह तभी होगा जब तीनों नियमों का एकीकरण किया जाए। मेरी सभी से अपील है कि पार्टी लाइन से ऊपर उठकर चर्चा करें।
इससे पहले, 30 मार्च को लोकसभा में पेश किए गए एमसीडी बिल का तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया। लोकसभा में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा था, ‘यह जो एमसीडी बिल है इस पर सिर्फ दिल्ली विधानसभा फैसला ले सकती है। उनको बिल पास करने का अधिकार है। संसद यह नहीं कर सकती क्योंकि 2011 में जो अमेंडमेंट हुआ था और तीनों निगमों में जो बंटवारा किया गया था, वह दिल्ली विधानसभा में हुआ था। ‘ तृणमूल सांसद ने कहा कि अगर आप संविधान को देखें तो उसमें साफ-साफ कहा गया है कि निगम के जो पावर हैं वह सिर्फ राज्य के हैं और यह स्टेट लिस्ट में भी हैं। दोनों रूल्स के मुताबिक आप यह नहीं कर सकते। हमने यह कह दिया कि अगर आप को लाना ही है, आप दिल्ली के चुनाव जीत जाइए फिर एसेंबली से कीजिए। आप संसद में यह नहीं कर सकते। ‘

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *