नागालैंड के MON जिले में हाल ही में पैरा कमांडों के एक ऑपरेशन में गलत पहचान की वजह से कई ग्रामीणों की मौत हो गई थी। इसके बाद से असम, मणिपुर व नागालैंड में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (AFSPA) हटाने की मांग जोरों पर है।
नई दिल्ली। देश की मोदी सरकार ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने नागालैंड, असम और मणिपुर के कुछ इलाकों से अफस्पा को हटाने का फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है।
अमित शाह नेट ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है।उन्होंने अगले ट्वीट में कहा कि अफस्पा के इलाकों में कमी सुरक्षा में सुधार और प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर पूर्व में स्थायी शांति लाने और उग्रवाद को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासों और कई समझौतों के कारण तेजी से विकास का परिणाम है। प्रधानमंत्री का धन्यवाद।
शाह ने आगे कहा कि हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं।
बता दें कि नागालैंड के MON जिले में हाल ही में पैरा कमांडों के एक ऑपरेशन में गलत पहचान की वजह से कई ग्रामीणों की मौत हो गई थी। इसके बाद से असम, मणिपुर व नागालैंड में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (AFSPA) हटाने की मांग जोरों पर है।
AFSPA क्या है ?
AFSPA सशस्त्र बलों को “अशांत क्षेत्रों” में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की शक्ति देता है। यह सशस्त्र बलों को कानून के उल्लंघन करते पाए जाने वाले व्यक्ति को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग या यहां तक कि उस पर गोली चलाने की भी अनुमति देता है।
“अशांत क्षेत्र” वह है, जहां “नागरिक शक्ति की सहायता में सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है”। AFSPA की धारा 3 के तहत, किसी भी क्षेत्र को विभिन्न धार्मिक, नस्ली, भाषा या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के सदस्यों के बीच मतभेदों या विवादों के कारण अशांत घोषित किया जा सकता है। किसी भी क्षेत्र को “अशांत” घोषित करने की शक्ति शुरू में राज्यों के पास थी, लेकिन 1972 में केंद्र को पारित कर दी गई।
यह अधिनियम बलों को बिना अरेस्ट वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, किसी परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने की भी अनुमति देता है। विवादास्पद कानून जम्मू-कश्मीर के अलावा नागालैंड, असम, मणिपुर (इंफाल के सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर) और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है. त्रिपुरा और मेघालय के कुछ हिस्सों को सूची से बाहर कर दिया गया था।
AFSPA सुरक्षा बलों को केंद्र द्वारा मंजूरी दिए जाने तक कानूनी कार्यवाही से भी बचाता है। नागालैंड हिंसा और हत्याओं के संदर्भ में, चिंता है कि केंद्र सेना की 21 पैरा स्पेशल फोर्स को जांच से बचाने के लिए कानून का हवाला दे सकता है।