देश में ही बनेंगे सैनिकों के आर्मर से लेकर सैकड़ों नए आइटम

नई दिल्ली। अब देश में ही सैनिकों के आर्मर से लेकर बर्फीले इलाके की पोशाक का निर्माण किया जाएगा। इस प्रकार के आइटम टेक्निकल टेक्सटाइल के तहत आते हैं और अगले कुछ सालों में इस क्षेत्र में होने वाले रिसर्च की मदद से सैकड़ों नए आइटम का उत्पादन देश में शुरू होने जा रहा है। टेक्निकल टेक्सटाइल के तहत रिसर्च का ही परिणाम है कि अब बूलेट फ्रूफ जैकेट का निर्माण घरेलू स्तर पर शुरू हो गया है। टेक्सटाइल सचिव रचना शाह ने बताया कि पहले जैकेट की सिलाई में इस्तेमाल होने वाले धागे का भी आयात करना पड़ता था। गुरुवार को टेक्सटाइल सचिव रचना शाह ने बताया कि नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के तहत पिछले तीन सालों में कृषि, स्पो‌र्ट्स, मकान, रक्षा, पैकेजिंग जैसे कई क्षेत्रों के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादों को तैयार करने के लिए रिसर्च किया गया और अब इसके परिणाम मिलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अभी भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल का कुल कारोबार 20.5 अरब डॉलर का है जिसे वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर तक 40 अरब डॉलर तक ले जाना है। टेक्निकल टेक्सटाइल का निर्यात अभी मात्र 2.21 अरब डॉलर का है, जिसे अगले वित्त वर्ष के आखिर तक 10 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। वैश्विक स्तर पर टेक्निकल टेक्सटाइल का कारोबार 260 अरब डॉलर का है और टेक्निकल टेक्सटाइल का वैश्विक निर्यात बाजार 126 अरब डॉलर का है। शाह ने कहा कि ऐसे में टेक्निकल टेक्सटाइल के कारोबार में विकास की बड़ी संभावना है। भारत अभी 2-2.5 अरब डॉलर के टेक्निकल टेक्सटाइल का आयात भी करता है। मंत्रालय के मुताबिक टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए फाइबर व मशीनरी सबसे महत्वपूर्ण चीज है और इन दोनों पर दुनिया के तीन देश जापान, ताइवान व अमेरिका का वर्चस्व हैं। भारत फाइबर व मशीनरी दोनों सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहा है। मंत्रालय के मुताबिक अब सियाचीन जैसे सीमावर्ती इलाके में पहने जाने वाली पोशाक, पैराशूट के फैबरिक, बुलेटप्रुफ मैटेरियल, नौसैनिकों की तरफ समुद्र में इस्तेमाल होने वाली पोशाक भारत में बनने वाले हैं। एयर बैग, कार बॉडी कवर, हेलमेट, सीट बेल्ट, सीट कवर फैबरिक, बच्चे एवं व्यस्क के डायपर, इंडस्टि्रयल ग्लव्स, सैनिटरी नैपकिन, आर्टिफिशियल टर्फ जैसे कई टेक्निकल टेक्सटाइल से जुड़े आइटम का निर्माण शुरू हो गया है।

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नई दिल्ली। अब देश में ही सैनिकों के आर्मर से लेकर बर्फीले इलाके की पोशाक का निर्माण किया जाएगा। इस प्रकार के आइटम टेक्निकल टेक्सटाइल के तहत आते हैं और अगले कुछ सालों में इस क्षेत्र में होने वाले रिसर्च की मदद से सैकड़ों नए आइटम का उत्पादन देश में शुरू होने जा रहा है। टेक्निकल टेक्सटाइल के तहत रिसर्च का ही परिणाम है कि अब बूलेट फ्रूफ जैकेट का निर्माण घरेलू स्तर पर शुरू हो गया है।

टेक्सटाइल सचिव रचना शाह ने बताया कि पहले जैकेट की सिलाई में इस्तेमाल होने वाले धागे का भी आयात करना पड़ता था। गुरुवार को टेक्सटाइल सचिव रचना शाह ने बताया कि नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के तहत पिछले तीन सालों में कृषि, स्पो‌र्ट्स, मकान, रक्षा, पैकेजिंग जैसे कई क्षेत्रों के लिए टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादों को तैयार करने के लिए रिसर्च किया गया और अब इसके परिणाम मिलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अभी भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल का कुल कारोबार 20.5 अरब डॉलर का है जिसे वित्त वर्ष 2023-24 के आखिर तक 40 अरब डॉलर तक ले जाना है।

टेक्निकल टेक्सटाइल का निर्यात अभी मात्र 2.21 अरब डॉलर का है, जिसे अगले वित्त वर्ष के आखिर तक 10 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। वैश्विक स्तर पर टेक्निकल टेक्सटाइल का कारोबार 260 अरब डॉलर का है और टेक्निकल टेक्सटाइल का वैश्विक निर्यात बाजार 126 अरब डॉलर का है। शाह ने कहा कि ऐसे में टेक्निकल टेक्सटाइल के कारोबार में विकास की बड़ी संभावना है।

भारत अभी 2-2.5 अरब डॉलर के टेक्निकल टेक्सटाइल का आयात भी करता है। मंत्रालय के मुताबिक टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए फाइबर व मशीनरी सबसे महत्वपूर्ण चीज है और इन दोनों पर दुनिया के तीन देश जापान, ताइवान व अमेरिका का वर्चस्व हैं। भारत फाइबर व मशीनरी दोनों सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहा है।

मंत्रालय के मुताबिक अब सियाचीन जैसे सीमावर्ती इलाके में पहने जाने वाली पोशाक, पैराशूट के फैबरिक, बुलेटप्रुफ मैटेरियल, नौसैनिकों की तरफ समुद्र में इस्तेमाल होने वाली पोशाक भारत में बनने वाले हैं। एयर बैग, कार बॉडी कवर, हेलमेट, सीट बेल्ट, सीट कवर फैबरिक, बच्चे एवं व्यस्क के डायपर, इंडस्टि्रयल ग्लव्स, सैनिटरी नैपकिन, आर्टिफिशियल टर्फ जैसे कई टेक्निकल टेक्सटाइल से जुड़े आइटम का निर्माण शुरू हो गया है।

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