BJP नेताओं के समर्थन से सरकारीतंत्र ने नागरिकों के जीवन को संकट में डाला

सरकारीतंत्र ने भारतीय नागरिकों के जीवन को संकट में डाल रखा है। ध्वनि, जल और वायु प्रदुषण को रोकने की बजाय भारतीय संस्कृति की आड़ में बीजेपी के नेता नागरिको के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। 2016 से बीजेपी नेता खुलेआम आतिशबाज़ी करने के लिए मुर्ख व्यक्तियों को उत्साहित कर रहे हैं।

DrashtaNews

नई दिल्ली। दिल्ली- एनसीआर की हवा अत्यंत प्रदूषित हो गयी है। इस जानलेवा वायु प्रदूषण ने कई लोगों की जान ले चुका है। BJP नेताओं के समर्थन से सरकारीतंत्र ने नागरिकों के जीवन को संकट में डाल रखा है। भारत में मानव जनित पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2022 में 17 लाख से अधिक लोगों की असामयिक मौतें हुईं। यह आंकड़ा वर्ष 2010 की तुलना में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

सरकारीतंत्र ने भारतीय नागरिकों के जीवन को संकट में डाल रखा है। ध्वनि, जल और वायु प्रदुषण को रोकने की बजाय भारतीय संस्कृति की आड़ में बीजेपी के नेता नागरिको के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। 2016 से बीजेपी नेता खुलेआम आतिशबाज़ी करने के लिए मुर्ख व्यक्तियों को उत्साहित कर रहे हैं। दीपावली के बाद दिल्ली में हर साल की तरह इस साल भी हवा खतरनाक स्तर को पार कर गयी है। पटाखों के बारूद अब भी हवाओं में घुले हैं।

भारत में जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता

प्रतिष्ठित चिकित्सा पत्रिका ‘द लैंसेट’ द्वारा प्रकाशित ‘2025 रिपोर्ट ऑफ द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ के अनुसार, इन मौतों में से 44 प्रतिशत के लिए जीवाश्म ईंधनों (कोयला, पेट्रोल और गैस) का उपयोग जिम्मेदार था। रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ सड़क परिवहन में पेट्रोल के उपयोग से ही 2.69 लाख लोगों की मौतें दर्ज की गईं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह प्रदूषण न केवल स्वास्थ्य बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी भारी पड़ रहा है। 2022 में बाहरी वायु प्रदूषण के कारण भारत को 339.4 अरब डालर (करीब 28 लाख करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हुआ, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 9.5 प्रतिशत है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के 128 विशेषज्ञ

यह रिपोर्ट यूनिवर्सिटी कालेज लंदन के नेतृत्व में तैयार की गई है, जिसमें 71 अकादमिक संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के 128 विशेषज्ञ शामिल थे। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के आगामी 30वें जलवायु सम्मेलन (कोप30) से पहले प्रकाशित की गई है और यह अब तक की सबसे व्यापक रिपोर्ट मानी जा रही है, जो जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के बीच संबंधों को उजागर करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता बहुत अधिक है।

अवश्य पढ़ें : बीजेपी नेताओं का आतिशबाज़ी प्रचार सफल, ‘रेड जोन’ में पहुंचा AQI

वर्ष 2022 तक कोयला देश की कुल ऊर्जा आपूर्ति का 46 प्रतिशत और कुल बिजली उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई (75 प्रतिशत) स्त्रोत बना हुआ था। वहीं, नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी केवल 2 से 10 प्रतिशत के बीच रही। सड़क परिवहन के लिए उपयोग में आने वाली लगभग 96 प्रतिशत ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों से आती है, जबकि बिजली की हिस्सेदारी मात्र 0.3 प्रतिशत है।

दिल्ली की हवा “खराब” और “बेहद खराब”
रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार “खराब” और “बेहद खराब” श्रेणी में बनी हुई है। पिछले सप्ताह राजधानी के कुछ हिस्सों में प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग ट्रायल किए गए। हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल “अल्पकालिक उपाय” है।

जंगलों की आग से 10 हजार मौतें रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2020 से 2024 के बीच हर साल औसतन 10,200 मौतें जंगलों में लगी आग से फैलने वाले पीएम 2.5 प्रदूषण से हुईं, जो 2003-2012 के आंकड़ों की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है। घरेलू प्रदूषण के मोर्चे पर भी स्थिति गंभीर है।

प्रदूषण की वजह से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
हर साल वायु प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ता है। अनुमान है कि भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली आर्थिक लागत प्रति वर्ष लगभग 8.5 लाख करोड़ रुपये (लगभग 120 अरब डॉलर) तक पहुँच चुकी है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल, काम से अनुपस्थिति, और उत्पादकता हानि शामिल है। सरकार और निजी क्षेत्रों पर स्वास्थ्य सेवा और रोग उपचार का बोझ बढ़ा है, जो इस आर्थिक दबाव को और बढ़ाता है।

DALYs का वर्षवार विवरण (2016-2025)
DALYs वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य में जन्म लेने वाले वर्षों के नुकसान और रोग के वर्षों के योग को मापता है।
-भारत में 2016 में वायु प्रदूषण के कारण लगभग 720 लाख DALYs खोए गए थे, जो 2025 तक लगभग 800 लाख तक बढ़ने का अनुमान है।
-DALYs के यह आंकड़े सार्जिकल, कार्डियोवैस्कुलर, और फेफड़ों के रोगों से जुड़े वर्षों को दर्शाते हैं, जो प्रदूषण के कारण हुए स्वास्थ्य असुविधाओं से जुड़ा हैं।

प्रति एक लाख आबादी पर 113 मौतें दर्ज

वर्ष 2022 में घरेलू ऊर्जा का 58 प्रतिशत हिस्सा ठोस बायोफ्यूल (लकड़ी, गोबर, कोयला आदि) जैसे अत्यधिक प्रदूषणकारी ईंधनों से आता रहा, जबकि केवल 18 प्रतिशत ऊर्जा बिजली से मिली। इन ईंधनों के उपयोग से प्रति एक लाख आबादी पर 113 मौतें दर्ज की गईं। रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में कहीं अधिक पाई गई।

2016 से 2025 के बीच भारत में वायु प्रदूषण से बीमार पड़ने और मरने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है, जिसमें हर साल लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और मृत्यु दर में चिंताजनक इज़ाफ़ा हुआ है।

वर्ष अनुमानित मृत्यु संख्या (लाख) प्रति 1 लाख जनसंख्या मृत्यु दर मुख्य बीमारियाँ
2016 18.0 229.4 स्ट्रोक, हार्ट डिजीज, लंग कैंसर, COPD
2017 12.4 222.5 अस्थमा, क्रॉनिक रोग
2018 21.7 217.1 फेफड़ों की बीमारी, हार्ट अटैक
2019 16.7 210.8 नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज
2020 19.6 196.0 हार्ट/फेफड़ों की बीमारी
2021 21.0 200.7 कार्डियोवैस्कुलर, कैंसर, स्ट्रोक
2022 17.2 195.0 (औसतन) PM2.5, घरेलू प्रदूषण
2023 20.0 186.0 क्रॉनिक डिजीज, स्ट्रोक, हार्ट डिजीज
2024 ~20.0 बढ़ते रोग, रिपोर्ट प्रतीक्षारत
2025 ~17.2 नवीनतम रिपोर्ट, कैंसर, हार्ट डिजीज

प्रदूषण से नागरिकों को हानि-
-हर साल 17-21 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण भारत में होती रही।
-सबसे ज्यादा प्रभावित बीमारियों में — स्ट्रोक, दिल की बीमारी, फेफड़ों का कैंसर, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) शामिल हैं।
-हाउसहोल्ड एयर पॉल्यूशन भी ग्रामीण क्षेत्र में उच्च मृत्यु दर का कारण है; 2022 में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति 1 लाख जनसंख्या 125 मौतें दर्ज की गईं।​
-2025 तक वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा में औसतन 3.5 साल की गिरावट आई है।

-कुल वैश्विक वायु प्रदूषण से जुड़ी मौतों में 26% भारतीय मामले हैं।

-बच्चों की फेफड़ों की कार्यक्षमता पर भी गंभीर प्रभाव; दिल्ली में आधे बच्चों में फेफड़ों की गड़बड़ी पाई गयी।

वर्षवार बीमारियों की संख्या और दर
-अस्थमा, फेफड़े संबंधी बीमारियाँ और कार्डियोवैस्कुलर रोग के मामले लाखों में हर साल बढ़ते रहे।

-2023 में कुल मौतों का 89% हिस्सा गैर-संक्रामक बीमारियों से था, जैसे हार्ट डिजीज, लंग कैंसर, डायबिटीज़।

हर साल लाखों अस्पताल में भर्ती वायु प्रदूषण की वजह से हुए। ​भारत में वायु प्रदूषण की वजह से मृत्यु और बीमारियों की स्थिति हर साल गंभीर बनी रही है, समय के साथ मृत्यु दर में वृद्धि और बीमारियों का स्वरूप भी जटिल हुआ है।

 

AFCONS ने किया कानूनों का उल्लंघन, द्रष्टा की शिकायत पर जिला प्रशासन ने किया समिति का गठन

Scroll to Top