नई दिल्ली। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले गुजरात से एक ऐसा साइबर फ्रॉड सामने आया है जिसने जांच एजेंसियों तक को चौंका दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुजरात में साइबर धोखाधड़ी के मामलों में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है। आरोपियों ने फर्जी नोटिस भेजकर लोगों को धमकाया और अपराध की आय को हवाला के माध्यम से लॉन्ड्रिंग किया। यह मामला सूरत पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है।
ED की टीम ने जिन चार लोगों को पकड़ा है, उनके नाम हैं मकबूल अब्दुल रहमान डॉक्टर, काशिफ मकबूल डॉक्टर, महेश माफतलाल देसाई और ओम राजेंद्र पांडे। आरोप है कि इन लोगों ने डिजिटल अरेस्ट, फॉरेक्स ट्रेडिंग, फर्जी सुप्रीम कोर्ट और ED नोटिस भेजकर लोगों को ठगा और फिर उस रकम को क्रिप्टोकरेंसी और हवाला रूट के जरिए विदेश भेज दिया।
साइबर फ्रॉड की गुत्थी सुलझाने में जुटी ED
ED ने बताया कि इस मामले की जांच सूरत पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) द्वारा दर्ज FIR (15 अक्टूबर 2024) के आधार पर शुरू की गई थी। जांच के दौरान पता चला कि गिरोह ने कई अलग-अलग खातों और प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड्स का इस्तेमाल करते हुए ठगी की रकम इकट्ठा की।
फर्जी नोटिस, नकली कॉल्स और ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर साइबर फ्रॉड लोगों को ठगते हैं। आरोपियों ने भोले-भाले लोगों को डराने के लिए फर्जी ईमेल्स और कॉल्स के ज़रिए खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों का अधिकारी बताया। कई लोगों को “सुप्रीम कोर्ट समन” और “ED नोटिस” भेजे गए। इन चालबाजियों के जरिए पीड़ितों से करोड़ों रुपए वसूले गए। जांच एजेंसी के मुताबिक, ठगी की रकम को पहले कई बैंक खातों में जमा किया गया, फिर हवाला ऑपरेटरों के ज़रिए उसे क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदलकर ट्रैकिंग से बचने के लिए ब्लॉकचेन चैनल्स में भेजा गया। यह पूरा नेटवर्क कई राज्यों में फैला था और इसमें कई फर्जी कंपनियों व खातों का इस्तेमाल हुआ।
5 दिन की ED कस्टडी, आगे की जांच जारी
गिरफ्तार चारों आरोपियों को अहमदाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने ईडी को 5 दिन की हिरासत दी है। एजेंसी अब यह जांच कर रही है कि साइबर ठगी की असली रकम ₹100 करोड़ से कहीं ज्यादा तो नहीं।


