GST की अब दो दरें 5% और 18%, दूध, रोटी हुई GST फ्री

एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए जल्द रजिस्ट्रेशन- अब माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) और स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन में लगने वाला समय 30 दिन से घटाकर सिर्फ 3 दिन कर दिया गया है।

DrashtaNews

GST काउंसिल की दो दिन की मीटिंग एक दिन में ही ख़त्म

नई दिल्ली। देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल की 56वीं बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। मुख्य फैसला यह था कि जीएसटी के मौजूदा चार बड़े स्लैब को घटाकर दो मुख्य दरों में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। 12% और 28% के स्लैब को हटा दिया गया है। अब केवल 5% और 18% की टैक्स स्लैब लागू होगी। दूध, रोटी, पिज्जा ,हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को GST से मुक्त कर दिया गया है। हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर भी जीएसटी खत्म कर दी गई है। GST काउंसिल के सभी फैसले 22 सितंबर से लागू होंगे।

निर्मला सीतारमण ने बताया कि दूध, रोटी, पिज्जा ब्रेड, छेना समेत कई फूड आइटम GST फ्री होंगे। इसके अलावा सीमेंट पर टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। इसके अलावा लग्जरी आइटम्स और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर 40% GST लगाया जाएगा। यह मीटिंग दो दिन (3-4 सिंतबर) होनी थी, जिसे एक दिन में ही खत्म कर दिया गया है।

किन चीजों से घटी 28 फीसदी GST?
एयर कंडीशनिंग (AC), 32 इंच से बड़े टीवी, सभी टीवी पर अब 18%, वॉशिंग मशीनें, छोटी कारें, 350 के बराबर या उससे कम वाली मोटरसाइकिलें. इन पर अब 28 फीसदी नहीं बल्कि 18 फीसदी जीएसटी लगेगी.

किन चीजों पर खत्म हुई जीएसटी?

जिन वस्तुओं पर GST 5 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है, वे हैं अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध, छेना और पनीर। सभी भारतीय रोटियों पर GST शून्य होगा। यानी रोटी हो या पराठा या जो भी हो, उन सभी पर GST शून्य होगा।

शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में मांग बढ़ेगी

कई लोगों का मानना है कि GST 2.0 से देश में कंजम्प्शन को बढ़ावा मिलेगा। शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में चीजों की डिमांड बढ़ेगी। राजनीतिक विश्लेषक आयुश नांबियार ने कहा, “इंडिया में जीएसटी से पहले का टैक्स सिस्टम एक ट्रैवलिंग सर्कस से कम नहीं था। हर राज्य में रिंगमास्टर के अपने नियम थे। हर सीमा एक नए टिकट काउंटर की तरह थी। इस शो में कॉर्मस से ज्यादा कनफ्यूजन था।”

उन्होंने कहा कि बातचीत की शुरुआत से क्रांति की शुरुआत होगी। जीएसटी के आलोचकों के लिए टैक्स का यह नया सिस्टम जटिलताओं का पिटारा था। लेकिन इसने बंटे हुए देश को एक बाजार का एक रूप, एक विजन दिया। अब भी इसमें सुधार की गुंजाइश है। इच्छा टैक्स की एक ऐसी व्यवस्था बनाने की है जिससे इंडिया की सिंगल आइडेंटिटी बन सके। इंडिया जैसे देश के लिए यह सिर्फ रिफॉर्म नहीं है बल्कि एक क्रांति से कम नहीं है। जीएसटी कलेक्शन अगस्त में साल दर साल आधार पर 6.5 फीसदी बढ़कर 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा।

GST काउंसिल की बैठक के मुख्य बातें –

कपड़े और जूते सस्ते होंगे- सूत्रों के मुताबिक, 2,500 रुपए तक के जूते और कपड़ों पर जीएसटी दर घटाकर 5% की जा सकती है, जिससे ये चीजें ग्राहकों के लिए सस्ती हो जाएंगी।
एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए जल्द रजिस्ट्रेशन- अब माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) और स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन में लगने वाला समय 30 दिन से घटाकर सिर्फ 3 दिन कर दिया गया है।
निर्यातकों के लिए ऑटोमेटिक रिफंड- निर्यातकों को अब जीएसटी रिफंड ऑटोमेटिक मिलेगा। इस प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है, जिससे उनका काम आसान होगा।
स्वास्थ्य बीमा और जीवन रक्षक दवाएं सस्ती होंगी- मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी काउंसिल ने बीमा प्रीमियम की दरों में कटौती करने पर सहमति जताई है, जिससे स्वास्थ्य बीमा लेना सस्ता हो जाएगा। इसके साथ ही, जीवन रक्षक दवाओं पर भी जीएसटी दरें कम होने की उम्मीद है।
ऑटोमेटिक रिटर्न फाइलिंग का प्रस्ताव- CNBC के मुताबिक, जीएसटी परिषद ने ऑटोमेटिक रिटर्न फाइलिंग सिस्टम लाने का प्रस्ताव भी रखा है, जिससे जीएसटी से जुड़े नियमों का पालन करना और भी आसान हो जाएगा।
लग्जरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर टैक्स बढ़ेगा- मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, 20 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली लग्जरी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी दर 5% से बढ़कर 18% हो सकती है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो टाटा मोटर्स, महिंद्रा, टेस्ला और मर्सिडीज-बेंज जैसी कंपनियों के लिए यह एक चुनौती बन सकता है।

175 आइटम्स पर GST दरों में कटौती संभव

करीब 175 आइटम्स पर GST दरों में कटौती हो सकती है। जिनमें फूड इंग्रेडिएंट्स, बादाम, स्नैक्स, रेडी-टू-ईट आइटम, जैम, घी, मक्खन, अचार, मुरब्बा, चटनी, ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, AC और रेफ्रिजरेटर आदि चीजें शामिल हैं। नई दरों से सभी आइटम्स पर एवरेज GST रेट घटकर 10% से नीचे आ जाएगी, जो अभी लगभग 11.5% है।

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा

सूत्रों के मुताबिक, GST काउंसिल की मीटिंग में विपक्षी राज्यों ने केंद्र से राजस्व की सुरक्षा और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की मांग की है। विपक्षी राज्यों का कहना है कि कंपनियों को कम टैक्स का फायदा उठाकर मुनाफाखोरी नहीं करने देना चाहिए। टैक्स में कटौती का पूरा लाभ सीधे ग्राहकों की जेब तक पहुंचना चाहिए।

साथ ही, वे चाहते हैं कि नए टैक्स स्लैब से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक साफ-सुथरी मुआवजा योजना बनाई जाए। कुछ बीजेपी शासित राज्यों ने भी इस बदलाव से राजस्व घाटे की चिंता जाहिर की है।

जब 2017 में GST लागू हुआ था, तब केंद्र ने राज्यों को पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई का वादा किया था। इसके लिए लग्जरी और सिन गुड्स (हानिकारक सामान) पर सेस लगाया गया था, लेकिन यह व्यवस्था जून 2022 में खत्म हो गई। अब विपक्षी राज्य चाहते हैं कि 40% लग्जरी टैक्स से मिलने वाला पैसा राज्यों की तिजोरी में जाए, ताकि उनकी माली हालत न बिगड़े।

केंद्र सरकार का मकसद नवरात्रि और फेस्टिव सीजन में कई सेक्टरों में डिमांड और सेल्स को बढ़ावा देना है। यही वजह है कि नई दरें 22 सितंबर से लागू की गई हैं। दरअसल, सरकार कई प्रमुख सेक्टरों में बिक्री की रफ्तार धीमी होने की आशंका से चिंतित है। इसके लिए वह राज्यों के रेवेन्यू लॉस से जुड़ी चिंताओं को दूर करने पर काम कर रही है।

GST काउंसिल के मंत्रियों के समूह से मिल चुकी मंजूरी

पिछले हफ्ते ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने केंद्र सरकार के दो स्लैब वाले प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 21 अगस्त को बताया था कि ग्रुप ने मौजूदा 12% और 28% की दरों को हटाकर 5% और 18% के स्ट्रक्चर के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

नई दरों से कंज्यूमर गुड्स की कीमतें घटने की संभावना

नई GST दरों से कंज्यूमर गुड्स की कीमतों में कमी आने की संभावना है। जिससे त्योहारी सीजन में खरीदारी को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, राज्यों को राजस्व में कमी की चिंता है, जिसे केंद्र सरकार कई उपायों से हल करने की कोशिश कर रही है।

GST काउंसिल की मीटिंग में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद है। जिसके बाद देश में एक सिंपल एंड कंज्यूमर फ्रेंडली टैक्स सिस्टम लागू हो सकता है।
GST से जुड़े मामलों में आखिरी फैसला GST काउंसिल ही लेती है। काउंसिल में मेंबर के तौर पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल हैं।

 टैक्स 12% से 5% होगा

एक्सपर्ट के मुताबिक, सूखे मेवे, ब्रांडेड नमकीन, टूथ पाउडर, टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, सामान्य एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर दवाएं, प्रोसेस्ड फूड, स्नैक्स, फ्रोजन सब्जियां, कंडेंस्ड मिल्क, कुछ मोबाइल, कुछ कंप्यूटर, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, गीजर जैसी चीजें सस्ती होंगी।

इनके अलावा बिना बिजली वाले पानी के फिल्टर, इलेक्ट्रिक आयरन, वैक्यूम क्लीनर, 1000 रुपए से ज्यादा के रेडीमेड कपड़े, 500-1000 रुपए की रेंज वाले जूते, ज्यादातर वैक्सीन, एचआईवी/टीबी डायग्नोस्टिक किट, साइकिल, बर्तन पर भी कम टैक्स लगेगा।

ज्योमेट्री बॉक्स, नक्शे, ग्लोब, ग्लेज्ड टाइल्स, प्री-फैब्रिकेटेड बिल्डिंग, वेंडिंग मशीन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन, कृषि मशीनरी, सोलर वॉटर हीटर जैसे प्रोडक्ट भी 12% के टैक्स स्लैब में आते हैं। दो स्लैब की मंजूरी के बाद इन पर 5% टैक्स लगेगा।

टैक्स 28% से 18% होगा

सीमेंट, ब्यूटी प्रोडक्ट, चॉकलेट, रेडी-मिक्स कंक्रीट, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एसी, डिशवॉशर, निजी विमान, प्रोटीन कॉन्सेंट्रेट, चीनी सिरप, कॉफी कॉन्सेंट्रेट, प्लास्टिक प्रोडक्ट, रबर टायर, एल्युमिनियम फॉयल, टेम्पर्ड ग्लास, प्रिंटर, रेजर, मैनिक्योर किट, डेंटल फ्लॉस।

 

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