जगदीप धनखड़ ने उप राष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा

जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अपने उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।  राष्ट्रपति को पत्र में उन्होंने लिखा- स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार है।

DrashtaNews

नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अपने उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। 74 साल के जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मंत्रिपरिषद के सदस्यों को धन्यवाद भी दिया है।

इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला
धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।  राष्ट्रपति को पत्र में उन्होंने लिखा- स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार है। पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को भी सहयोग के लिए आभार जताया।

2022 में जगदीप धनखड़ ने 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त 2022 को हुए उप राष्ट्रपति के चुनाव में धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले थे। इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। सत्र के बीच में पद से इस्तीफा देने वाले धनखड़ पहले उपराष्ट्रपति हैं।

वे बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं। जगदीप धनखड़ ने 2022 में 14वें उप राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त 2022 को हुए उप राष्ट्रपति के चुनाव में धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को माक्ष 182 वोट मिले थे।2024 तक भारत का कृषि क्षेत्र और कृषि उत्पाद का जीडीपी में योगदान बताओ

त्याग पत्र- 

”माननीय राष्ट्रपति जी .. सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा, जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ, जगदीप धनखड़”

25 जून को उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के बाद जगदीप धनखड़ की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें तुरंत नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उनका चेकअप किया। धनखड़ नैनीताल में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद धनखड़ पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल के कंधे पर हाथ रखकर बाहर निकले। फिर महेंद्र पाल से गले लगकर रोने लगे।
करीब 10 कदम चलने पर धनखड़ के सीने में अचानक दर्द उठा। पूर्व सांसद महेंद्र पाल और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें संभाला था। इससे पहले जगदीप धनखड़ को 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द की शिकायत पर AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 12 मार्च 2025 को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था।

राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं उपराष्ट्रपति
भारत के उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। राज्यसभा की कार्यवाही चलाने का जिम्मा भी उन्हीं पर होती है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद जब तक नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं हो जाती, राज्यसभा के सभापति का काम उपसभापति संभालेंगे।
अनुच्छेद 91 के तहत, जब तक उपराष्ट्रपति का पद खाली रहेगा, तब तक राज्यसभा के उपसभापति एक्टिंग चेयरमैन रहेंगे। अभी राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह हैं, हालांकि इनका कार्यकाल भी इसी महीने खत्म होने वाला है।

प्रधानमंत्री के प्रति जताया आभार
उन्होंने आगे कहा कि मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का भी आभार प्रकट करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग मेरे लिए बेहद मूल्यवान रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।

धनखड़ ने कहा, मुझे माननीय सांसदों से जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला, वह मेरे लिए सदा अमूल्य रहेगा और मेरी स्मृति में अंकित रहेगा। मैं इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में मिले अमूल्य अनुभवों और ज्ञान के लिए अत्यंत आभारी हूं।’

जगदीप धनखड़ का जीवन परिचय
राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले धनखड़ 18 मई 1951 को एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में हुई।
फिर उनका एडमिशन सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में करवाया गया। धनखड़ का एनडीए में चयन हो गया था, लेकिन वो गए नहीं।
उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद एलएलबी की पढ़ाई की। जयपुर में ही रहकर वकालत शुरू की थी।
70 साल के धनखड़ को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था।
वे 1989 से 1991 तक राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा सांसद रहे। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।
उपराष्ट्रपति पद के लिए क्या है चुनाव की प्रक्रिया?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उप राष्ट्रपति का पद खाली हो गया है। इस पद को भरने के लिए फिर से चुनावी प्रक्रिया को पूरा करना होगा। जिसके बाद देश को नया उपराष्ट्रपति मिलेगा। भारत में उपराष्ट्रपति को भी उच्च सदन का सभापति भी कहा जाता है।

उपराष्ट्रपति के चुनाव के दौरान केवल लोकसभा और राज्य सभा के सांसदों को वोट करने का अधिकार।
इस चुनाव में राज्यसभा के मनोनित सदस्यों को भी वोट करने का अधिकार होता है।

उप राष्ट्रपति के लिए क्या है योग्यता
भारत का नागरिक होना अनिवार्य।
कम से कम 35 साल की उम्र को पूरा कर लिया हो।
जो भी उम्मीदवार उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा होता है उसे ₹15 हजार की जमानत राशि जमा करनी होती है।
वहीं, अगर चुनाव के दौरान 1/6 वोट नहीं मिलते हैं तो जमानत राशि जब्त हो जाती है।

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