इंफाल में सैकड़ों छात्र सड़कों पर उतरे, मोबाइल, इंटरनेट सेवा पर फिर से प्रतिबंध

मणिपुर में दो नाबालिगों की नृशंस हत्या पर विरोध प्रदर्शन के बीच मोबाइल इंटरनेट सेवा पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

DrashtaNews

केंद्र को अपनी निष्क्रियता पर शर्म आनी चाहिए-प्रियंका

इंफाल। मणिपुर में दो नाबालिगों की नृशंस हत्या पर विरोध प्रदर्शन के बीच मोबाइल इंटरनेट सेवा पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया है। ये प्रतिबंध फिलहाल रविवार तक प्रभावी रहेगा। राज्य सरकार ने दो जनजातियों के बीच हिंसक घटनाओं के बाद पांच महीने से लागू इंटरनेट सेवा पर से हाल ही में प्रतिबंध हटाया था। उत्तर-पूर्वी इस राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष में 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं।

अज्ञात हथियारबंद हमलावरों द्वारा दो युवा छात्रों की हत्या के विरोध में मंगलवार को इंफाल में सैकड़ों छात्र सड़कों पर उतरे। सुरक्षा बलों के साथ झड़प में लड़कियों सहित कम से कम 34 छात्र घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि आंदोलनकारी छात्रों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प तब हुई, जब छात्रों को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के बंगले की ओर मार्च करने से रोका गया। सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारी छात्रों को तितर-बितर करने के लिए आंसूगैस के गोले और धुआं बम का इस्तेमाल किया। घायल छात्रों को इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

लगभग पांच महीने के प्रतिबंध के बाद, राज्य में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने पर दो छात्रों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई, इसके बाद ये हंगामा मचा हुआ है। सूत्रों ने बताया है कि नाबालिग की हत्या से पहले बलात्कार के आरोपों की भी जांच की जा रही है। जुलाई में, दोनों को सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था, लेकिन उस समय उनका पता नहीं लगाया जा सका था। युवा लड़के के माता-पिता ने अमानवीय हत्याओं की निंदा की। पिता ने कहा, “मेरे बेटे या बेटी की क्या गलती थी, जो हत्या कर दी गई? उन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। वे बस घूम रहे थे। बेरहमी से हत्या करना अमानवीय है।”

क्या है पूरा मामला?
मणिपुर में जातीय हिंसा चरम पर पहुंचने पर छह जुलाई को 17 वर्षीय छात्रा हिजाम लिनथोइंगंबी और 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत का अपहरण किया गया था। उनके परिवारों को संदेह है कि उन्हें सशस्त्र हमलावरों ने मार डाला है।

दोनों बच्चे कर्फ्यू (जातीय हिंसा के कारण लगाए गए) में ढील दिए जाने के बाद बाइक से जा रहे थे, माना जा रहा है कि तभी उनका अपहरण कर लिया गया. इस मामले से आक्रोश फैल गया और कई लोगों ने सवाल उठाया कि पुलिस हत्यारों का पता क्यों नहीं लगा पा रही है। इस बीच, मणिपुर सरकार ने लोगों से संयम बरतने और अधिकारियों को दोनों के अपहरण और हत्या की जांच करने की अनुमति देने को कहा है।  सोमवार देर रात मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में, राज्य सरकार ने कहा कि मामला पहले ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि मणिपुर में बच्चे जातीय हिंसा के सबसे कमजोर शिकार हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करें। मणिपुर में हो रहे अपराध शब्दों से परे हैं, फिर भी राज्य में अपराधों को बिना किसी रोक टोक के जारी रहने दिया जा रहा है। केंद्र को अपनी निष्कि्रयता पर शर्म आनी चाहिए।

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