प्रचंड गर्मी और लू से बलिया में 74 लोगों की गई जान

Due to the increase in the number of sudden deaths of patients admitted in the emergency and wards of the district hospital, even free dead bodies were not available. People had to carry the dead body in private vehicles. According to government data, there have been 101 deaths in a week. According to the employees, there were not so many deaths in a day even during the corona infection.

DrashtaNews

-50 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग सबसे ज्यादा मौत की चपेट में। 

बलिया। उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से गर्मी का प्रकोप जारी है।  प्रचंड गर्मी और लू के बीच यूपी के बलिया जिला अस्पताल से आने वाले मौत के आंकड़े भयावह हैं। आकंड़ों के अनुसार, बीते तीन दिनों में हीट स्ट्रोक से 74 लोगों की जान जा चुकी है। मौतों की संख्या ने दिल दहला कर रख दिया है। बलिया जिले में पिछले दो दिनों से लगतार तापमान 43-44 डिग्री सेल्सियस के ऊपर चल रहा है। डायरिया और लू के मरीजों से सरकारी व निजी अस्पताल के बेड फुल हो गए हैं। बलिया जिला अस्पताल की इमरजेंसी में आने वाले अधिकतर मरीजों की मौत हो जा रही है। बता दें कि शुक्रवार सुबह से देर रात तक 25 मरीजों की मौत हुई। इस सप्ताह सबसे अधिक मौत हुई, जो 31 थी।

जिला अस्पताल की इमरजेंसी और वार्डों में भर्ती मरीजों की अचानक मौत की संख्या में इजाफा होने के कारण नि:शुल्क शव वाहन तक नहीं मिले। लोगों को निजी वाहनों से शव लेकर जाना पड़ा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक सप्ताह में 101 मौत हुई है। कर्मचारियों के अनुसार, कोरोना संक्रमण के दौरान भी एक दिन में इतनी मौतें नहीं हुई थीं।

गंगा घाटों पर पूरी रात चिता की आग शांत नहीं हो रही है। 50 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग सबसे ज्यादा मौत की चपेट में आ रहे हैं। अचानक मौत के आंकड़ों में इजाफा होने से अस्पताल प्रशासन में खलबली मची है। आनन-फानन में इमरजेंसी कक्ष, इमरजेंसी वार्ड सहित अन्य वार्डों में कूलर और एसी लगवाए गए हैं। इसके बाद मरीजों को कुछ राहत मिल रही है। चिकित्सक लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय बता रहे हैं।

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि डा. दिवाकर सिंह भीषण गर्मी के कारण अचानक डायरिया, हीट स्ट्रोक, तेज बुखार, सांस की समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई। मरीजों को समय से चिकित्सक सुविधा न मिलने के कारण हालत खराब होने पर अस्पताल पहुंच रहे हैं। इससे इलाज के बाद भी हालत में सुधार नहीं हो रहा है।

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