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सरकार के खिलाफ युवाओं का हिंसक प्रदर्शन शुरू,लद्दाख में भाजपा कार्यालय हुआ आग के हवाले

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नई दिली/ लद्दाख (एजेंसी)।सरकार के खिलाफ श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल के बाद भारत में युवाओं का हिंसक प्रदर्शन शुरू हो चूका है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में बुधवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ। छात्रों की पुलिस और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोग घायल हैं।

प्रदर्शन के दौरान सरकार से आक्रोशित छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी करते हुए भाजपा कार्यालय और CRPF की गाड़ी में आग लगा दी। प्रशासन ने भी लेह में बिना अनुमति रैली, प्रदर्शन पर बैन लगा दिया है। ये छात्र सामाजिक कार्यकर्त्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वांगचुक पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे थे। मांगें पूरी न करने के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने आज बंद बुलाया था। इसी दौरान हिंसा हुई।

सरकार ने दिया था पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा
इन मांगों को लेकर सरकार के साथ बैठक दिल्ली में 6 अक्टूबर को होगी। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाते समय जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे।सरकार ने उस समय ही राज्य के हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था।

आंदोलनकारियों ने मंगलवार की रात को 24 सितंबर को लद्दाख बंद बुलाने का आह्वान किया था। भीड़ जुटाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। लोगों से लेह हिल काउंसिल पहुंचने की अपील की। इसका असर दिखा और बड़ी तादाद में लोग पहुंचे। लेह हिल काउंसिल के सामने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा रखे थे। जब आंदोलन कारी आगे बढ़े तो पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी, लेकिन भीड़ ने पुलिस की गाड़ी जलाई और तोड़फोड़ की।

लद्दाख के लिए दुख का दिन

सोनम वांगचुक ने लेह में हुई हिंसा पर दुःख जताया। उन्होंने कहा कि युवाओं में बढ़ती नाराजगी इस हिंसा का कारण बनी।उन्होंने बताया कि मंगलवार को एक 72 साल के आदमी और 62 साल की महिला को घायल होने पर अस्पताल ले जाना पड़ा था। यह घटना हिंसा का मुख्य कारण बनी। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का कोई असर न होने से युवाओं में गुस्सा बढ़ा।

कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 से 5 युवाओं की मौत हुई। हिंसा के बाद वांगचुक ने अनशन तोड़ते हुए कहा, यह लद्दाख के लिए दुख का दिन है। हम पांच साल से शांति के रास्ते पर चल रहे थे। अनशन किया, लेह से दिल्ली तक पैदल चलकर गए। आज हम शांति के पैगाम को असफल होते हुए देख रहे हैं। हिंसा, गोलीबारी और आगजनी हो रही है। मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि इस बेवकूफी को बंद करें। हम अपना अनशन तोड़ रहे हैं, प्रदर्शन रोक रहे हैं।

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