Site icon Drashta News

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास, राहुल गांधी बोले OBC कोटा के बगैर ये बिलअधूरा

DrashtaNews

संसद। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा मंगलवार को लोकसभा में प्रस्तुत महिला आरक्षण बिल  बुधवार को लंबी चर्चा के बाद तो-तिहाई बहुमत से पास हो गया। लोकसभा और देश की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम -2023’ (128 वां संविधान संशोधन) के पक्ष में लोकसभा के 454 सांसदों ने वोट दिया। वहीं, दो सांसदों ने बिल के खिलाफ अपना वोट दिया।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पर्ची से वोटिंग कराई। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और औरंगाबाद से सांसद इम्तियाज जलील ने महिला आरक्षण बिल के विरोध में वोट किया। अब इस विधेयक पर बृहस्पतिवार को राज्यसभा में चर्चा होगी। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में इसकी घोषणा की।

उन्होंने कहा कि सदन में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद यह तय किया गया कि संविधान ( 128 वां संशोधन ) विधेयक, 2023 पर बृहस्पतिवार को यहां चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा में विधेयक के पारित होने के बाद इसे उच्च सदन में चर्चा एवं पारित किए जाने के लिए पेश किया जाएगा। इस विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है। वहां से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साइन के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। महिला आरक्षण बिल नई संसद के लोकसभा में पास हुआ पहला बिल भी है।

महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू

महिला आरक्षण बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा।  लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिसीमन कमीशन को लेकर कहा कि ये हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया को निर्धारित करने वाली एक महत्वपूर्ण इकाई का कानूनी प्रावधान है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करते हैं। इसमें चुनाव आयोग के प्रतिनिधि भी होते हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि भी होते हैं। इसके कानून के तहत सभी मान्य राजनीतिक दलों के एक-एक सदस्य उस समिति के सदस्य होते हैं।

महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का नारा देशभर में दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात में उन्होंने जागरूकता पैदा की। इससे लिंगानुपात में सुधार हुआ था। अमित शाह ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाई का फायदा ये हुआ कि एक ओर लिंगानुपात में सुधार हुआ, दूसरा गुजरात में प्राइमरी एजुकेशन में 37 फीसदी ड्ऱॉपआउट रेशो था, लेकिन जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तो ये ड्रॉपआउट रेशो घटकर 0.7 फीसदी रह गया।

शाह ने कहा, “ये हमारे लिए राजनीति नहीं, मान्यता और संस्कृति का मुद्दा है। महिला सशक्तीकरण संविधान संसोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि ये महिलाओं के लिए सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता का मामला है। मोदीजी ने जिस दिन पीएम पद की शपथ ली, ये संकल्प लिया। ये सरकार का संकल्प है, जिसे पूरा किया गया।” गृहमंत्री ने इसके साथ बिल को पास कराने के लिए सहयोग मांगा।

OBC कोटा बिना ये बिल अधूरा

महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में हुई डिबेट में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हिस्सा लिया। राहुल गांधी ने इस दौरान ओबीसी को भी इस बिल में शामिल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना महिला आरक्षण बिल अधूरा है। राहुल गांधी ने कहा, “मेरे विचार से यह विधेयक आज ही लागू किया जा सकता है, लेकिन इसे आगे बढ़ने के मकसद से तैयार नहीं किया गया है।”

कानून मंत्री ने क्या कहा?

महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि परिसीमन को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है। परिसीमन के सेक्शन 8 और 9 में ये कहा गया है कि संख्या देकर ही निर्धारण होता है। इन तकनीकी चीजों में हम जाएंगे तो आप चाहते हैं कि ये बिल फंस जाए। लेकिन हम इस बिल को फंसने नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि महिला आरक्षण का विषय हॉरिजोन्टल भी है और वर्टिकल भी है। अब तुरंत तो परिसीमन, जनगणना नहीं हो सकती। आप कह रहे हैं कि तुरंत दे दीजिए।

आरक्षण को लागू करने के लिए लंबी संवैधानिक प्रक्रिया

आला सरकारी सूत्र के मुताबिक, महिला आरक्षण 2029 के लोकसभा चुनाव से संभव हो सकता है। आरक्षण को लागू करने के लिए लंबी संवैधानिक प्रक्रिया है। इस बिल को 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की जरुरत नहीं है। यानी संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा। लेकिन सरकार सबसे पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के रूल्स नोटिफाई करेगी। इसके बाद जनगणना का काम शुरू होगा। उसके बाद परिसीमन आयोग लोकसभा और विधानसभा परिसीमन का काम पूरा करेगा। महिला आरक्षण कानून जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा।

बहरहाल, विधेयक के प्रावधान यह स्पष्ट करते हैं कि इसके कानून बनने के बाद कराई जाने वाली जनगणना के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए परिसीमन की कवायद या निर्वाचन क्षेत्रों के पुन: सीमांकन के बाद ही आरक्षण लागू होगा।

Exit mobile version