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आजमगढ़ में सपा का मुस्लिम- यादव या ओवैसी का मुस्लिम -दलित समीकरण होगा कामयाब ?

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-2017 के विधानसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की लहर पीक पर थी तब भी यहां से बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिल सकी थी।

वाराणसी। पूर्वांचल सियासत का गढ़ मन जाता है तो, आज़मगढ़ सियासत का केंद्र। उत्तर प्रदेश में पांच चरणों के मतदान सम्पन्न हो चुके हैं जबकि छठे चरण का मतदान 3 मार्च (कल) और सातवें दौर का मतदान सात मार्च को होगा। छठवें और सातवें चरण में पूर्वांचल की सीटों पर मतदान होना है. पूर्वांचल की राजनीति में आजमगढ़ काफी अहमियत रखता है। यहां सात मार्च को मतदान को मतदान है। पूर्वांचल के चुनाव में आजमगढ़ फैक्टर काफी छाया हुआ है। सपा के मुस्लिम-यादव गठजोड़ की असल परीक्षा आजमगढ़ में ही है। आजमगढ़ जिले की 10 विधानसभा सीटों में मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या 50 प्रतिशत है।
भाजपा यूपी चुनाव में सपा शासन को गुंडाराज और आज़मगढ़ को आतंक का गढ़ बताते हुए आक्रामक प्रचार कर रही है। इससे पूर्वांचल के नतीजे बदल सकते हैं। आजमगढ़ जिले की जातीय गणित की बात करें यहां 24 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता, 26 प्रतिशत यादव और 20 प्रतिशत दलित वोटर हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की लहर पीक पर थी तब भी यहां से बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिल सकी थी। बाकी पांच सीटें सपा के खाते में और 4 सीटें बहुजन समाज पार्टी के हिस्से आई थीं।

उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला आतंकी कनेक्शन को लेकर एक बार फिर से चर्चा में है। सियायत करने वाले आजमगढ़ को आतंक का अड्डा, आतंक की नर्सरी जैसे टैग से पुकारते हैं। 2008 के अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में आजमगढ़ के 5 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। यूपी चुनाव में चुनावी रैलियों के दौरान नेताओं ने आजमगढ़ का कई बार जिक्र किया। बीजेपी ने अखिलेश यादव पर आतंकियों से जुड़े होने और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाया।

आजमगढ़ में ओवैसी फैक्टर भी नजर आ रहा है। यह बहुत ही अहम है क्योंकि जिस जगह सपा मुस्लिम-यादव समीकरण पर चुनाव मैदान में है वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मुस्लिम-दलित समीकरण के जरिये अपना भाग्य तलाश रही है। दलित और मुस्लिम वोटरों की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत है। यह वोट अगर किसी पार्टी की तरफ जाता है तो चुनाव नतीजे बदल सकते हैं.

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