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मणिपुर में हिंसा जारी, कुकी समुदाय के 3 आदिवासियों की गोली मारकर हत्या

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नई दिल्ली,एजेंसी। 4 महीने से अधिक समय से मणिपुर में अराजकता और क्रूर हिंसा जारी है। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में मंगलवार 12 सितंबर सुबह अज्ञात लोगों ने कम से कम 3 आदिवासियों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने दी। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने आदिवासी बहुल कांगगुई क्षेत्र में इरेंग और करम वैफेई गांवों के बीच घात लगाकर हमला किया था।

COTU ने अपने बयान में कहा, “अगर केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति की बहाली की अपनी अपील के प्रति गंभीर है तो उसे तुरंत घाटी के सभी जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित करना चाहिए और सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 लागू करना चाहिए।”

पल्लेल में भड़की हिंसा बाद हुई घटना

अधिकारी ने कहा, “अभी हमारे पास ज्यादा जानकारी नहीं है। हम केवल इतना बता सकते हैं कि घटना सुबह करीब 8.20 बजे हुई जब अज्ञात लोगों ने इरेंग और करम वैफेई के बीच एक इलाके में तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।” बता दें कि यह घटना 8 सितंबर को तेंग्नौपाल जिले के पल्लेल में भड़की हिंसा के ठीक बाद सामने आई है, जिसमें 8 सितंबर को तीन लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

इससे पहले बुधवार 6 सितंबर को बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में बैरिकैड्स को तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे थे।

3 मई से मणिपुर में जानलेवा हिंसा जारी

मणिपुर में 3 मई से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं और अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया, जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़की।

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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