– ‘संघीय ढांचे को कुचलने के लिए इस प्रकार से अध्यादेश लाना शर्मनाक है – सांसद संजय सिंह
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में नौकरशाहों की नियुक्ति और स्थानंतरण को लेकर आम आदमी पार्टी की केंद्र सरकार से टकराव जारी है। केंद्र सरकार की कैबिनेट ने मंगलवार को दिल्ली अध्यादेश के स्थान पर एक विधेयक लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विधेयक को संसद में रखे जाने से पहले यह महज एक औपचारिकता है। सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की बैठक में इसे आज मंजूरी दी गई।
सरकार मॉनसून सत्र में ही इस बिल को संसद में पेश कर सकती है। सरकार मॉनसून सत्र में ही इस बिल को संसद में पेश कर सकती है। बताते चलें कि इस अध्यादेश को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से टकराव देखने को मिला है ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी दिल्ली में नौकरशाहों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े इस अध्यादेश का विरोध कर रही है, जिसे केंद्र सरकार ने मई में जारी किया था। ऐसे में इससे जुड़े विधेयक को लेकर भी संसद में सरकार और विपक्षी गठबंधन के बीच गतिरोध रहने के आसार हैं। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने इसे लेकर उपराष्ट्रपति को पत्र भी लिखा था।
इससे पहले खबर आई थी कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, डीएमके सांसद ए राजा, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने इस बिल को निष्प्रभावी करने संबंधी एक नोटिस दिया है। दरअसल सरकार जब भी संसद में किसी अध्यादेश के स्थान पर कोई विधेयक पेश करती है तब विपक्ष की ओर से इसे निष्प्रभावी बनाने के लिए इसके विरोध में सांविधिक संकल्प पेश किया जा सकता है।
अध्यादेश पर रोक की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था
गौरतलब है कि अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अध्यादेश पर रोक की अर्जी खारिज कर दी थी। अध्यादेश पर तीन जजों की पीठ ने कानून के दो सवाल भी तैयार किए थे. अनुच्छेद 239-एए(7) के तहत कानून बनाने की संसद की शक्ति की रूपरेखा क्या है? और क्या संसद अनुच्छेद 239-एए(7) के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करके दिल्ली के लिए शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त कर सकती है?
अध्यादेश में देरी से शासन व्यवस्था पंगु हो जाती
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अध्यादेश का बचाव किया था। हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि आप सरकार को सतर्कता विभाग के अधिकारियों का तबादला करने से रोकने के लिए दिल्ली अध्यादेश जल्दबाजी में लाया गया था। 11 मई के फैसले के बाद सतर्कता अधिकारियों से शिकायतें मिलीं थी। एक्साइज विभाग की जांच, फीडबैक यूनिट की जांच से संबंधित फाइलें सतर्कता विभाग के कार्यालयों से ली गईं थी। आप मंत्रियों के अहंकारी, असंवेदनशील व्यवहार के कारण अध्यादेश जारी करना पड़ा। अध्यादेश में देरी से शासन व्यवस्था पंगु हो जाती। देश विश्व स्तर पर शर्मिंदा होता। अधिकारियों के काम करने में बाधा डाली गई। दिल्ली में प्रशासनिक अराजकता के कारण आपातकालीन तरीके से अध्यादेश लाना पड़ा।
उधर मानसून सत्र से पहले सरकार द्वारा बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद आप नेता संजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा था, ‘संविधान संशोधन के विषय को अध्यादेश के जरिये कैसे पारित किया जा सकता है? दिल्ली की दो करोड़ जनता के अधिकारों को कुचलने का और केजरीवाल सरकार को नहीं चलने देने का हम लोग जमकर विरोध करेंगे।’ उन्होंने साफ किया था कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ यह अध्यादेश लाने का विरोध करेगी। उन्होंने कहा, ‘संघीय ढांचे को कुचलने के लिए इस प्रकार से अध्यादेश लाना शर्मनाक है