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23 और 24 मार्च को होगी देश की बात, राष्ट्रीय रोजगार नीति पर सामाजिक संगठन करेंगे चर्चा

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नई दिल्ली। राष्ट्र निर्माण में सबकी भागीदारी और हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक संगठन ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’पर चर्चा करेंगे। सिविल लाईन स्थित शाह ऑडिटोरियम में ‘देश की बात फाउण्डेशन’ ने 23 और 24 मार्च को चर्चा में भाग लेने के लिए देश भर के सामाजिक संगठनों को बुलावा भेजा है। भगत सिंह की शहादत दिवस पर ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’ पर चर्चा एक क्रांति का आगाज है।
कोआर्डिनेटर राजेंद्र शर्मा ने कहा की देश में व्यवसायिक एकाधिकार और पूँजीवादियों का सत्ताधिशों से गठबंधन रोजगार के लिए अभिशाप बन गया है। आज भारत में 40 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अस्थाई, असुरक्षित नौकरी कर रहे लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। किसी यूवा को परिवारिक जिम्मेदारियां तो किसी को कौशल की कमी सुरक्षित रोजगार के लिए बाधा बन रही है। लाखों खाली पड़ी सरकारी वैंकेंसी पर नियुक्ति नहीं हो रही है। प्राईवेट सेक्टर कर्मचारियों के शोषण करने के लिए छटनी के बहाने खोजते रहते हैं। कारपोरेट का हर व्यवसायिक क्षेत्र में एकाधिकार बढ़ रहा है।

ऐसी अनगिनत समस्याओं के समाधान के लिए ‘राष्ट्रीय रोजगार नीति’ पर देश भर के संगठन चर्चा करेंगे। कोआर्डिनेटर कृष्णा यादव ने बताया कि देश की बात फाउण्डेशन के नेतृत्व में विषय के जानकार और व्यवहारिक अध्ययन करने वाले कार्यक्रम का हिस्सा बने हैं। भारत में रोजगार की प्रकृति, बेरोजगारी की स्थिति, छोटे मझौले उद्योग,लघु प्रौद्योगिकी, एमएसपी, कौशल प्रशिक्षण अन्तराष्ट्रीय व्यापार , न्यूनतम मजदूरी आदि मुद्दों पर राष्ट्रीय रोजगार नीति की रुपरेखा तय की जायेगी।

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