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झारखण्ड के 12 गांवों में यूरेनियम रेडिएशन से महिलाओं में बांझपन का लक्षण

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-विधायक के अनुसार, गांव के आस-पास खनन क्षेत्र है, जहां लगातार मशीनों और आधुनिक उपकरणों का प्रयोग हो रहा है। उनका दावा है कि इन इलाकों में रेडिएशन का स्तर सामान्य से ज्यादा है। जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर सीधा असर डाल रहा है।

रांची (एजेंसी)। झारखंड के डुमरी जिले के विधायक जयराम कुमार महतो ने विधानसभा में दावा किया कि जिले के आसपास के 12 गांवों की महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं।उन्होंने इसके पीछे का कारण यूरेनियम माइंस से निकलने वाला रेडिएशन है। सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा जादूगोड़ा की 47% महिलाएं मां बनने की क्रिया की इच्छा को ही जागृत नहीं कर पा रही हैं।

रेडिएशन का स्तर सामान्य से ज्यादा
झारखंड, भारत में यूरेनियम खनन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां खनन गतिविधियों से स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़े हैं, खासकर महिलाओं पर। विकिरण के संपर्क में आने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें बांझपन भी शामिल है।

यह एक संवेदनशील और चर्चा का मुद्दा है क्योंकि विधायक का यह दावा हेल्थ रिसर्च के हवाले से था। वे कहना चाह रहे हैं, इसके पीछे प्रमुख कारण जादूगोडा और आस-पास के 12 गांवों की महिलाओं का यूरेनियम की खदानों में काम करना है। ये गांव झारखंड के सिंहभूम जिले के अंतर्गत आते हैं, जहां कथित तौर पर रेडिएशन के कारण महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। विधायक के अनुसार, गांव के आस-पास खनन क्षेत्र है, जहां लगातार मशीनों और आधुनिक उपकरणों का प्रयोग हो रहा है। उनका दावा है कि इन इलाकों में रेडिएशन का स्तर सामान्य से ज्यादा है।

यूरेनियम खनन का काम कर रहीं महिलाएं
रिपोर्ट के मुताबिक, इन गांवों की कई महिलाएं यूरेनियम खनन क्षेत्रों में काम कर रही हैं या इन माइंस के करीब रहती हैं। विधायक का कहना है कि वहां का रेडिएशन इतना खतरनाक है कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर सीधा असर डाल रहा है। हालांकि, इस मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग और रेडिएशन विशेषज्ञों की ओर से विस्तृत जांच की आवश्यकता है।

DNA को नुकसान पहुंचा सकता है रेडिएशन

इस मुद्दे पर बात करते हुए एशियन हॉस्पिटल के प्रसूती एवं स्त्री रोग एवं रोबोटिक सर्जरी की सीनियर कंसल्टेंट गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. उषा प्रियंबदा कहती हैं कि अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक आयनाइज़िंग रेडिएशन के संपर्क में रहना पड़े, तो यह डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है। महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स पर इसका असर हो सकता है, जिससे ओव्यूलेशन या फर्टिलिटी में गिरावट आ सकती है।

यूरेनियम खनन और स्वास्थ्य पर प्रभाव

पुरुषों पर प्रभाव
कैंसर: यूरेनियम खनन से जुड़े विकिरण के संपर्क में आने से पुरुषों में विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि फेफड़े का कैंसर, हड्डी का कैंसर और रक्त कैंसर।

प्रजनन क्षमता में कमी: विकिरण शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, जिससे पुरुषों में प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।

अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: विकिरण के कारण अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि हृदय रोग, गुर्दे की समस्याएं और तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार।

महिलाओं पर प्रभाव
बांझपन: विकिरण महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है। यह अंडाशय को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अंडे का उत्पादन कम हो सकता है या पूरी तरह से बंद हो सकता है।
गर्भपात और जन्म दोष: विकिरण के संपर्क में आने वाली महिलाओं में गर्भपात और जन्म दोष वाले बच्चों के जन्म का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर: पुरुषों की तरह, महिलाओं में भी विकिरण के कारण विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और अंडाशय का कैंसर।
मासिक धर्म संबंधी समस्याएं: विकिरण मासिक धर्म चक्र को बाधित कर सकता है, जिससे अनियमितperiods,heavy bleeding और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: महिलाओं में भी विकिरण के कारण अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि थायरॉयड की समस्याएं, कमजोर हड्डियां और प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना।

महिलाओं में बांझपन पर विशेष प्रभाव

विकिरण अंडाशय में अंडे की कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है।
यह गर्भाशय की परत को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे निषेचित अंडे के लिए आरोपण करना मुश्किल हो जाता है।
विकिरण हार्मोन उत्पादन को बाधित कर सकता है, जो प्रजनन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विकिरण के प्रभाव व्यक्ति की खुराक और संपर्क की अवधि पर निर्भर करते हैं। हालांकि, यूरेनियम खनन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों, खासकर महिलाओं को स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

खनन क्षेत्र में रेडिएशन की मात्रा की निगरानी

विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल सर्वे और रेडिएशन जांच तत्काल हो।
प्रभावित महिलाओं को फ्री इनफर्टिलिटी टेस्टिंग और काउंसलिंग मिले।
खनन क्षेत्र में रेडिएशन की मात्रा की निगरानी के लिए सरकार सख्त कदम उठाए।
यह मामला सिर्फ एक मेडिकल इश्यू नहीं, बल्कि पर्यावरण, तकनीक और जन स्वास्थ्य से जुड़ा बड़ा सवाल है, इसके सरकार को भी काम करने की जरूरत है।

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